कासगंज-जिले में नदी संरक्षण हेतु किसानों द्वारा अपनाए गए प्रयास।

in #kasganj2 years ago

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यूपी(कासगंज)-डब्लू डब्ल एफ इंडिया नदियों के लिए जीवन कार्यक्रम (2020-2023) के अंतर्गत गंगा और रामगंगा नदी प्रणालियों के संरक्षण की दिशा में काम कर रहा है। कार्यक्रम के उद्देश्यों में से एक गंगा और रामगंगा नदी प्रणालियों में दीर्घकालिक पर्यावरणीय प्रवाह की प्राप्ति की दिशा में काम करना है।

इस कार्यक्रम के अंतर्गत आज दिनांक 27 मई 2022 को उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग, कासगंज जिला प्रशासन और डब्लू डब्ल एफ इंडिया ने मिल कर अमापुर विकास खंड के लखमीपुर गॉव मे जल संरछन और मृदा प्रबंधन हेतु संवाद आयोजित किया गया । जिसमे बाछमाई राजवाहा कमांड के अंतर्गत आने वाली जल उपभोक्ता समितियों के पदाधिकारीयो सहित और कमांड के अन्य गावों से 200 जागरूक किसान जिनहोने जैविक कृषि और सिंचाई मे पानी की खपत कम करने के लिए अमृत पानी के उतपादन की शुरुआत की है, और इसके लिए इस संवाद मे शामिल हुए। इस कार्यक्रम के मुखय अतिथि श्री तेज प्रताप मिश्र, मुख्य विकास अधिकारी कासगंज रहे। जिनहोने किसानों से संवाद करते हुए कहा की गॉव मे लोगों को जल संरछन हेतु तालाबों मे पानी भर कर रखना चाहिए और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगाने चाहिए। उन्होंने आनगे कहा की डब्लू डब्लू एफ इंडिया द्वारा शुरू किए गए अमृत पानी को अन्य गॉव के भी लोग बनाकर फसलों मे प्रयोग करे। कार्यक्रम के दौरान चार मक्का के ट्रेनचर को बाछमाई राजवाहा की अमापुर, चाँदपुर और आनंदपुर माइनरों और जाटऊ राजवाहा की जल उपभोक्ता समितियों के पद्धतिकारियों को प्रदान किए। संवाद की शुरुआत करते हुए डब्लू डब्लू एफ इंडिया के नितिन कौशल ने जल उपभोक्ता समितियों के अधिकारों और उनकी जिम्मेदारियों हेतु प्रशिछित कराने की बात कही। ट्रेंचर द्वारा ज्यादा से ज्यादा किसान मुक्का की बुआई करते हुए सिंचाई मे पानी की बचत करे और काली नदी मे जल प्रवाह बढ़ाए। डब्लू डब्लू एफ के राजेश बाजपेई ने बताया की अमृत पानी और जीवामृत का उपयोग करते हुए किसानो ने सिंचाई मे कम पानी का प्रयोग करना शुरू कर दिया है। डब्लू डब्लू एफ के कृषि वैज्ञानिक डा शैलेन्द्रनाथ पांडे ने बताया की किसानों ने जैविक खेती को अपनाते हुए रासायनिक खादों का प्रयोग करना कम कर दिया है। लखमिपुर गॉव से आए हुए गुड्डू सिंह ने बताया की किस तरह उन्होंने अमृत पानी और जीवामृत को स्वयं बनाकर अपने खेत मे प्रयोग किया है तथा कोई भी रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया है। उन्होंने आनगे बताया की उनका काम देख कर गॉव के ही 40 किसानों ने भी अपने अपने घरों मे अमृत पानी का उतपादन शुरू कर दिया है। संवाद के दौरान मुख्य विकास अधिकारी महोदय ने 20 किसानों को उनके द्वारा नदी संरछन कार्य हेतु किए योगदान के लिए प्रशस्ति पत्र प्रदान किए। अंत मे उन्होंने इन किसानों को गंगा मित्र बनते हुए नदी एवं जल संरछन के लिए प्रेरित किया।IMG-20220528-WA0077.jpg