Karnataka High Court: हाईकोर्ट ने कहा- नाबालिग मोह से पॉक्सो के भंवर में फंसा
कोर्ट ने कहा कि युवाओं ने मानव जिज्ञासा के साथ जैविक लालसा में यह कृत्य किया। धारा पांच के तहत ऐसे कार्य अपराध करने वाले कार्यों से पूरी तरह से अलग हैं। पॉक्सो के इन प्रावधानों के बारे में छात्रों को नहीं पता था, जो खुद नाबालिग हैं और मोहित हो गए।
पॉक्सो अधिनियम के तहत दर्ज याचिका पर सुनवाई करते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा कि किशोरावस्था के समय लड़के-लड़की में रोमांटिक प्रेम कभी-कभी मोह से उत्पन्न होता है। इसके परिणामस्वरूप लड़का खुद को पॉक्सो अधिनियम के प्रावधानों के भंवर में फंसा लेता है। ऐसे में याचिकाकर्ता को उस अपराध के जाल से मुक्त करना जरूरी है। यदि ऐसा नहीं किया गया तो छात्र का भविष्य खतरे में पड़ जाएगा। यह टिप्पणी करते हुए जस्टिस एम नागाप्रसन्ना ने नाबालिग को आईपीसी और पॉक्सो के तहत दुष्कर्म मामले से बरी करते हुए दोनों परिवारों के बीच समझौते को सही ठहराया। साथ ही निचली अदालत में लंबित कार्यवाही को भी रद्द कर दिया।