कुपोषण की जंग कानपुर देहात में कागजों पर ही सीमित हकीकत कुछ और

in #kanpurlast month

1000666631.jpg
जिम्मेदारों की अनदेखी से जिले में कुपोषण के खिलाफ जंग कागजों में ही सीमित है। हालात यह है कि अति कुपोषित 2137 बच्चों में सिर्फ 928 बच्चे ही स्वास्थ्य केंद्रों में इलाज को भेजे गए।

जबकि जटिल रोगों से पीड़ित अति कुपोषित सिर्फ 31 बच्चे ही एनआरसी भर्ती कराए जा सके। अव्यवस्था के चलते यहां भर्ती बच्चों को उनके परिजन एक हफ्ते से अधिक समय तक यहां नहीं रख सके। जिला कार्यक्रम विभाग के आंकड़ों में इस साल जिले में अति कुपोषित 2137 बच्चे चिन्हित हुए हैं। अति कुपोषित बच्चों के पोषण के लिए जिला अस्पताल में जनवरी 2016 में पोषण पुनर्वास केंद्र संचालित किया गया था।इसमें कुपोषित बच्चों के इलाज के साथ न्यूट्रीशन, दवाओं, फल व पोषाहार आदि उपलब्ध कराने तथा उनकी 24 घंटे देखभाल करने के अलावा उनके साथ रहने वाली माताओं को भी निशुल्क भोजन की व्यवस्था है। साथ ही कुपोषित बच्चों के शारीरिक एवं मानसिक विकास के लिए खिलौनों आदि का भी इंतजाम है।आंगनबाड़ी कार्यकर्तियों के साथ हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर पर तैनात सीएचओ, एएनएम व बीएचएनडी टीमोंं को अति कुपोषित बच्चों को पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराने की जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन लापरवाही के चलते कुपोषित बच्चों को इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालात यह है कि अति कुपोषित 2137 बच्चों में सिर्फ 1955 का ही अभी तक सत्यापन हो पाया है। इनमें 928 बच्चे स्वास्थ्य केंद्रों में आंगनबाड़ी कर्मियों द्वारा भेजा गया। इनमें 393 बच्चों को दवा देकर वापस कर दिया गया।

अधिक दिन भर्ती नहीं रह सके जटिल रोगों से पीड़ित

जटिल रोगों से ग्रस्त अति कुपोषित सिर्फ 31 बच्चों को ही पोषण पुनर्वास केंद्र में भर्ती कराया जा सका। इनमें जटिल रोगों से ग्रस्त अति कुपोषित अमरौधा से 8, राजपुर से 6, मलासा से 5, सरवन खेड़ा से 4, डेरापुर से 3, झींझक, मैथा व रसूलाबाद से 2- 2 बच्चे ही भर्ती कराए गए। जबकि अकबरपुर व संदलपुर से जटिल रोग से पीड़ित एक भी बच्चा यहां भर्ती नहीं हुआ। वहीं अव्यवस्था व अनदेखी के चलते यहां भर्ती हुए इन बच्चों के परिजन एक हफ्ते से अधिक समय तक यहां रखने की हिम्मत नहीं जुटा सके। सीएमओ डॉ. एके सिंह के अनुसार कुपोषित बच्चों के उपचार व पोषण के लिए उनको जिला अस्पताल की एनआरसी में भर्ती कराने की जिम्मेदारी वेलनेस सेंटरों के सीएचओ व बीएचएनडी टीमों को भी दी गई है। वहां अव्यवस्था को दुरुस्त कराने की जिम्मेदारी सीएमएस को करनी है। जटिल रोग से पीड़ित अति कुपोषित बच्चों को भर्ती कराने की प्रकिया की मानीटरिंग कर प्रभावी कार्रवाई कराई जाएगी।