कश्मीर से दोनों श्रमिकों के शव कन्नौज पहुंचे, हर आंख हुई नम कन्नौज

in #kannauj2 years ago

यूपी के Screenshot_20221020-182210_Chrome.jpgकन्नौज। कश्मीर में आतंकियों का निशाना बने दो श्रमिकों के शव एक साथ गांव पहुंचने पर दोनों परिवारों में कोहराम मच गया। परिजनों को रोता-बिलखता देख ग्रामीण भी रोने लगे। श्रमिकों के शवों को देखने के लिए आसपास के गांवों के ग्रामीण भी पहुंचे। वहीं, राज्यमंत्री असीम अरुण और सांसद सुब्रत पाठक समेत अन्य जनप्रतिनिधियों ने दोनों परिजनों को सांत्वना दी। इसके बाद कानपुर के अरौल गंगा घाट पर श्रमिकों का अंतिम संस्कार हुआ

ठठिया थाना क्षेत्र के दन्नापुरवा निवासी रामसागर (50), मुनेश (38), भाई रामबाबू, भोला, मोनू, पिंटू और विनय कश्मीर के शोपियां में सेब के बागान में पैकेजिंग और लोडिंग करते थे। रात आतंकियों ने हेड ग्रेनेड फेंक दिया था। इससे रामसागर और मुनेश की मौत हो गई थी। जिला प्रशासन की टीम बुधवार की सुबह 10 बजे लखनऊ एयरपोर्ट से दोनों श्रमिकों के शव लेकर गांव पहुंची।

पति रामसागर का शव देखते ही पत्नी मालती देवी बेसुध हो गई। वहीं मुनेश का शव पत्नी पुष्पा सदमे में आ गई। परिजनों को चीखपुकार से हर किसी की आंखे नम हो गईं। तिर्वा विधायक कैलाश राजपूत, भाजपा जिलाध्यक्ष नरेंद्र राजपूत, अवधेश राठौर, ब्लाख प्रमुख सदर रामू कठेरिया, राजन अवस्थी और सपा नेता विजय द्विवेदी ने भी परिजनों को ढांढस बंधाया।

दो एकड़ कृषि भूमि और आर्थिक सहायता का दिया आश्वासन
कन्नौज। राज्यमंत्री असीम अरुण ने परिजनों को आश्वासन देते हुए कहा कि दोनों परिवार को दो-दो एकड़ कृषि योग्य जमीन, परिवार के एक-एक व्यक्ति को संविदा पर नौकरी और कम से कम 20-20 लाख की आर्थिक सहायता दी जाएगी। मृतकों के बच्चों को सरकार की ओर से शिक्षा मुहैया कराई जाएगी।

इस बार सेब और कपड़े नहीं आए
कन्नौज। डेढ़ माह कमाई कर हर साल दीपावली पर रामसागर और मुनेश कश्मीर से सेब और बच्चों के लिए कपड़े लाते थे। इस बार कुदरत को ऐसा मंजूर नहीं था। गांव में ताबूतों में श्रमिकों के शव पहुंचे। गांव में भीड़ के बीच चीख-पुकारें मची थी। मासूम अनुष्का, प्रिया, रिया और रंजीत गमगीन माहौल में पिता मुनेश को खोज रहे थे। रोते हुए पत्नी पुष्पा देवी कह रहीं थी। हर साल पति सेब और कपड़े लाते थे। पति की मौत से दुनिया उजड़ गई।


पिता को मुखाग्नि देकर फफक पड़ा प्रांशू
अरौल गंगा घाट पर मुनेश को बेटे प्रांशू (16) ने मुखाग्नि दी। पिता को मुखाग्नि देते ही वह फफक कर रोने लगा। तब राज्यमंत्री असीम अरुण और परिवार के अन्य लोगों ने उसे संभाला। वहीं रामसागर को छोटे भाई सर्वेश ने मुखाग्नि दी। एक साथ गांव के दो लोगों की घाट पर चिताओं को जलता देख लोगों की आंखों में आंसू आ गए।