भेजा खाने से लेकर फेफड़े निकालने तक- काले जादू के चक्कर में हो चुकी हैं कई जघन्य हत्याएं

in #kalajadu2 years ago

Black-Magic-1200.webpकेरल के पठानमथिट्टा जिले में एक अनुष्ठानिक 'बलिदान' में एक दंपति ने दो महिलाओं की हत्या करके उनका मांसभक्षण किया और फिर उन्हें अपने ही घर के अहाते में दफना दिया. इस मामले ने भारत में इसी तरह की कई अन्य घटनाओं की यादें ताज़ा कर दी, जहां अंधविश्वास या 'काले जादू' के नाम पर इसी तरह से हत्याएं की गईं.
केरल में ‘काले जादू’ के चलते की गई हत्याओं के मामले में बुधवार को बेहद विभत्स जानकारियां सामने आई. यहां पठानमथिट्टा जिले में एक अनुष्ठानिक ‘बलिदान’ में एक दंपति ने दो महिलाओं की हत्या करके उनका मांसभक्षण किया और फिर उन्हें अपने ही घर के अहाते में दफना दिया. इस मामले ने भारत में इसी तरह की कई अन्य घटनाओं की यादें ताज़ा कर दी, जहां अंधविश्वास या ‘काले जादू’ के नाम पर इसी तरह से हत्याएं की गईं.
इस साल अक्टूबर में ही दक्षिण दिल्ली के लोधी कॉलोनी में सीआरपीएफ मुख्यालय के निर्माण स्थल पर छह साल के एक लड़के की कथित तौर पर हत्या करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में आरोपियों उन्होंने ‘समृद्धि के लिए बलि’ देने की बात कही थी. इसके अलावा मई में मध्य प्रदेश के सीधी जिले में एक व्यक्ति ने कथित तौर पर काले जादू के शक में अपने 60 वर्षीय मामा का सिर काट दिया और फिर वह एक हाथ में कटा हुआ सिर और दूसरे में कुल्हाड़ी लेकर लगभग दो किलोमीटर तक पैदल चलता रहा, जिसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ लिया.
काले जादू और अन्य अंधविश्वास से जुड़े अपराध भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, और 21 द्वारा प्रदान की गई मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करते हैं. ये अपराध कई अंतरराष्ट्रीय संधियों का भी उल्लंघन करते हैं. ऐसे मामलों में राष्ट्रीयव्यापी कानून की कमी के कारण ‘काले जादू’ की कोई स्थापित परिभाषा नहीं है. इस तथ्य के बावजूद कि संविधान और अंतरराष्ट्रीय कानून मौलिक अधिकारों की गारंटी देते हैं, जमीनी स्तर पर हकीकत हुत अलग है, जैसा कि ‘भारत में काला जादू कैसे संचालित होता है’ विषय पर लीगल सर्विसेज इंडिया की एक रिपोर्ट बताती है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक इसके लिए मुख्य रूप से भारतीय दंड संहिता की खामियां जिम्मेदार हैं. इस स्थिति के आलोक में, कुछ भारतीय राज्यों ने 1999 से विशिष्ट काला जादू विरोधी कानूनों की आवश्यकता को मान्यता दी है.
महाराष्ट्र का कानून
महाराष्ट्र सरकार ने वर्ष 2013 में व्यापक रूप से प्रचारित अंधविश्वास विरोधी कानून पारित किया, जिसे मानव बलिदान और अन्य अमानवीय बुराई और अघोरी प्रथाओं तथा काला जादू रोकथाम एंव उनमूलन अधिनियम नाम दिया गया. यह कानून काले जादू, मानव बलि, बीमारियोंको ठीक करने के लिए जादू का इस्तेमाल और लोगों के अंधविश्वास को बढ़ाने वाली अन्य प्रथाओं को अवैध बनाता है. इस कानून का मकसद आर्थिक और शारीरिक नुकसान पहुंचाने वाले अंधविश्वासों पर अंकुश लगाना है.

इस कानून के तहत दोषी पाए जाने पर अपराधी को छह से सात साल की जेल की सजा और 5,000 से 50,000 रुपये तक के आर्थिक दंड भुगतना पड़ सकता है. ये सभी गैर जमानती अपराध हैं. ऐसे में आरोपी का दोष सिद्ध होने पर सक्षम अदालत पुलिस को अपराध के स्थान के साथ-साथ अन्य प्रासंगिक जानकारी को स्थानीय समाचार पत्र में प्रकाशित करने का आदेश दे सकती है.
कर्नाटक का कानून
महाराष्ट्र के नक्शेकदम पर चलते हुए कर्नाटक ने बैंगलोर के नेशनल लॉ स्कूल में पढ़ रहे कानून के छात्रों की मदद से कर्नाटक अंधविश्वास निवारण विधेयक, 2013 लागू किया. इस कानून को अंधविश्वास विरोधी विधेयक के रूप में जाना जाता है. अधिकारियों को उम्मीद थी कि यह जादू टोना, काला जादू, और लोगों तथा जानवरों दोनों को खतरे में डालने वाले धर्म के नाम पर किए गए कृत्यों जैसे विभिन्न क्रूर रीति-रिवाजों को समाप्त कर देगा.
इसमें अलौकिक शक्तियों के उपयोग के लिए मानव बलि, नग्न महिलाओं की परेड कराना और यौन शोषण जैसे जघन्य कृत्यों से सख्ती से निपटने के प्रावधान हैं. रिपोर्ट में कहा गया है कि अमानवीय बुरी प्रथाओं और काला जादू रोकथाम और उन्मूलन विधेयक, 2017 को हाल ही में कर्नाटक मंत्रिमंडल ने मंजूरी दी थी.

इसके बावजूद हाल के वर्षों में विभिन्न राज्यों में गाहे-बगाहे अंधविश्वास के नाम की गई जघन्य हत्याओं के चौंकाने वाले मामले मानव चेतना को झकझरोते रहे हैं.
भेजा सूप’
भारतीय सीरियल किलर पर आधारित हालिया प्रदर्शित एक डॉक्यूमेंट्री ने 20 साल पहले हुए ऐसी ही एक जघन्य वारदात की याद ताज़ा कर दी. दरअसल दिसंबर 2000 में एक हिंदी दैनिक के पत्रकार धीरेंद्र सिंह रहस्यमय तरीके से लापता हो गए थे. जागरण की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में राजा कोलंदर और एक वक्षराज को गिरफ्तार किया गया था. इस मामले में कोलंदर को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी.

पुलिस की तफ्तीश में यह भी पता चला कि राजा कोलंदर ने कथित तौर पर काले चादू के चक्कर में एक और व्यक्ति की हत्या कर दी थी और खुद को बुद्धिमान बनाने के इरादे से उसका भेजा ‘खा लिया’. रिपोर्टों में बताया गया कि पुलिस को कथित तौर पर उस फार्महाउस से ही दूसरा शव मिला था, जहां कोलंदर रहता था.
अनुष्ठान में 6 साल की बच्ची से गैंगरेप, हत्या कर फेफड़े तक निकाले
इंडिया टुडे की एक रिपोर्ट में बताया गया कि वर्ष 2020 में उत्तर प्रदेश के कानपुर में 6 साल की बच्ची के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया और फिर उसकी हत्या करके हत्यारों ने उसके फेंफड़े निकाल लिए थे. पुलिस के अनुसार, उस बच्ची के साथ इस जघन्य हरकत के पीछे वजह काला जादू ही था, जो कि एक नि:संतान महिला की मां बनने की इच्छापूर्ति के लिए किया गया था.

वह बच्ची कानपुर के घाटमपुर इलाके से दीवाली की रात से लापता थी. उसका शव मिलने के बाद पुलिस ने हत्यारों अंकुल कुरील (20) और बीरन (31) को गिरफ्तार कर लिया. आरोपी के अनुसार, लड़की की हत्या कर उसके फेफड़े को निकालकर मुख्य साजिशकर्ता परशुराम कुरील को काला जादू करने के लिए दिया गया था.
सतयुग लाने के लिए बेटियों की हत्या
इसके अलावा एक अन्य मामले ने वर्ष 2021 में सुर्खियां बटोरीं. जहां आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में एक दंपति ने अपनी दो बेटियों की इस अंधविश्वास में हत्या कर दी कि वे आध्यात्मिक शक्ति के कारण कुछ ही घंटों के भीतर दोबारा जीवित हो जाएंगे. उनका मानना था कि उनकी बेटियों के दोबारा जिंदा होते ही ‘कलियुग’ का अंत हो जाएगा और सतयुग शुरू हो जाएगा. इस मामले में और भी हैरानी की बात यह थी कि जिन दो लड़कियों की बलि दी गई वे दोनों भी इस अंधविश्वास में यकीन करती थी.

रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस दंपति पर अपनी बेटियों को डंबल और त्रिशूल से वार करके मारने आरोप है. चित्तूर के एसपी सेंथिल कुमार के अनुसार, दंपति को यकीन था कि वे सभी बुराइयों से मुक्त होने के बाद जीवित लौट आएंगी. इन दंपति को अपनी दोनों बेटियों की हत्या करके अलौकिक शक्तियों को खुश करने की उम्मीद थी
वहीं उनके पड़ोसियों के अनुसार, दंपति अपने घर पर अजीबोगरीब पूजा करते थे और हत्या की रात भी इसी तरह की रस्म अदा की गई थी.