शोधकर्ताओं का दावा, ताजमहल के नीचे भी बने हैं कमरे, ‘काले ताजमहल’ में भी दफन हैं बड़े रहस्य Tajmahal

in #kala2 years ago

देश में इन दिनों ताजमहल देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्यार की निशानी ताजमहल घेरे में है। इस बीच ताजमहल की एक अलग कहानी सामने आई है। पुरातत्व विभाग के शोधकर्ताओं के अनुसार ताजमहल वर्ष 1631 में बनना शुरू हुआ और 1653 में बनकर तैयार हुआ। ताज महल बनाने वाले कारीगरों की निर्माण कुशलता का नमूना पूरी दुनिया में विख्यात है। ताजमहल को लेकर अब तक पुरातत्व विभाग के कई शोधकर्ताओं ने शोध किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार स्थानीय लोग कुछ इतिहासकारों के हवाले से ताज महल के स्थान पर शिव मंदिर होने की बात कहते हैं। दावा तो ताज महल में देवी देवताओं के मन्दिर होने के भी हैं। बहरहाल, इन दिनों जंग लगे तालों में बंद कमरों का राजफाश करने को लेकर हो रही है। और तो और अब सवाल काले ताजमहल पर भी उठ रहे हैं।
देश में इन दिनों ताजमहल देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्यार की निशानी ताजमहल घेरे में है। इस बीच ताजमहल की एक अलग कहानी सामने आई है। पुरातत्व विभाग के शोधकर्ताओं के अनुसार ताजमहल वर्ष 1631 में बनना शुरू हुआ और 1653 में बनकर तैयार हुआ। ताज महल बनाने वाले कारीगरों की निर्माण कुशलता का नमूना पूरी दुनिया में विख्यात है। ताजमहल को लेकर अब तक पुरातत्व विभाग के कई शोधकर्ताओं ने शोध किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार स्थानीय लोग कुछ इतिहासकारों के हवाले से ताज महल के स्थान पर शिव मंदिर होने की बात कहते हैं। दावा तो ताज महल में देवी देवताओं के मन्दिर होने के भी हैं। बहरहाल, इन दिनों जंग लगे तालों में बंद कमरों का राजफाश करने को लेकर हो रही है। और तो और अब सवाल काले ताजमहल पर भी उठ रहे हैं।
देश में इन दिनों ताजमहल देशभर में चर्चा का विषय बना हुआ है। प्यार की निशानी ताजमहल घेरे में है। इस बीच ताजमहल की एक अलग कहानी सामने आई है। पुरातत्व विभाग के शोधकर्ताओं के अनुसार ताजमहल वर्ष 1631 में बनना शुरू हुआ और 1653 में बनकर तैयार हुआ। ताज महल बनाने वाले कारीगरों की निर्माण कुशलता का नमूना पूरी दुनिया में विख्यात है। ताजमहल को लेकर अब तक पुरातत्व विभाग के कई शोधकर्ताओं ने शोध किया है। शोधकर्ताओं के अनुसार स्थानीय लोग कुछ इतिहासकारों के हवाले से ताज महल के स्थान पर शिव मंदिर होने की बात कहते हैं। दावा तो ताज महल में देवी देवताओं के मन्दिर होने के भी हैं। बहरहाल, इन दिनों जंग लगे तालों में बंद कमरों का राजफाश करने को लेकर हो रही है। और तो और अब सवाल काले ताजमहल पर भी उठ रहे हैं।
शोधकर्ताओं का दावा है कि ताजमहल जितना ऊपर है उतना नीचे भी है। कुतुबमीनार भले ही ऊंची स्मारक हो लेकिन ताजमहल कुतुबमीनार से भी ऊंचा है। बताया जाता है कि ताजमहल कुओं के ऊपर है। जनश्रुति है शाहजहां ने ताजमहल के नीचे से एक रास्ता भी बनवाया था ताकि अंदर ही अंदर बाहर निकला जा सके। हालांकि ये रास्ता तभी से बंद है। लेकिन ताजमहल के नीचे कमरे अभी मौजूद हैं। इनमें खजाना बंद होने की संभावनाएं भी व्यक्त की जाती हैं।
इतिहासकार डॉ अशोक वर्मा के अनुसार जब शाहजहां ने कारीगरों के हाथ काटने की घोषणा की तब कारीगरों ने एक छेद खुला छोड़ दिया। मुख्य कारीगर उस्ताद अहमद लाहोरी और दिल्ली निवासी एक व्यक्ति को एक कमरे में हिंदू देवी देवताओं की कुछ प्रतिमाएं दिखी। इसके बाद पहले से चल रही चर्चाएं तेज हो गई। लेकिन पुरातत्व विभाग देश के ऐतिहासिक स्मारकों से छेड़छाड़ करने की इजाजत नहीं देता है। इस वजह से आजतक इस बारे मे खुलासा नहीं हो सका।