ईगो को करें जीवन से गो: संत चन्द्रप्रभ

in #jodhpur2 years ago

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जोधपुर। संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि प्रभावशाली व्यक्तित्व के लिए व्यवहार में विनम्रता अपनाइए और बोली में मधुरता। विनम्रता दूध का काम करेगी तो मधुरता शरबत का। इस नसीहत को सदा याद रखिए कम खाइए, ग़म खाइए और नम जाइए। नगीनें आखिर उसी सोने में लगा करते हैं, जो नरम होता है। झुकता वही है, जिसमें कुछ जान है, अकड़पन तो मुर्दे की पहचान है। अधिक दानों वाले पौधे ज्यादा झुकते हैं, भूसे वाले अकड़े हुए खड़े रहते हैं। हम उस वृक्ष की तरह बनें जो जैसे-जैसे फलों से लदता है, नमता चला जाता है। उस काठ की तरह न बनें जो टूट तो सकता है, पर नम नहीं सकता।
कायलाना रोड स्थित संबोधि धाम में संत चन्द्रप्रभ ने कहा कि मित्रों को नमस्कार करने की और अपने से बड़ों के चरण स्पर्श करने की आदत डालिए। अभिवादन के बदले अभिवादन मिलता है और प्रणाम के बदले आशीर्वाद। यदि जीवन का धन है तो सोचिए कि आप अब तक यह धन कितना बटोर पाए हैं।
जीवन में झुकना सीखिएं :
यह व्यर्थ का ग़रूर है कि मुर्गी समझती है कि उसने अंडा देकर किसी नक्षत्र को जन्म दिया है और बैलगाड़ी के नीचे चलने वाला कुत्ता समझता है कि उसी के कारण गाड़ी चल रही है। जीवन में झुकना सीखिए, हमारी तो औकात ही क्या है बड़े-बड़े महल खंडहर हुए हैं और बड़े-बड़े राजा महाराजा चला-चली के खेल के हिस्से बने हैं। यह कितनी बड़ी बात है कि सिक्के हमेशा आवाज करते हैं और नोट हमेशा शांत और लचीले रहते हैं। आपकी भी जब कीमत बढ़़ जाए तो खुद को शांत और विनम्र रखिए। अपनी औकात का शोर मचाने का काम कम कीमत वाले लोग ही किया करते हैं। अहंकार को सोडा वाटर की शीशी की गोली समझिए जो दूसरों की विशेषताओं को आपके अंदर नहीं जाने देती और आपकी विशेषताओं को अंदर से बाहर नहीं आने देती। अहंकार में हम फूल तो सकते हैं, पर फैल नहीं सकते।

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