मुख्यमंत्री गहलोत के भाई अग्रसेन के घर व दुकान पर अलसुबह सीबीआई की रेड

in #jodhpur2 years ago

मुख्यमंत्री गहलोत के भाई अग्रसेन के घर व दुकान पर अलसुबह सीबीआई की रेडScreenshot_2022-06-17-22-17-14-53_40deb401b9ffe8e1df2f1cc5ba480b12.jpg: पहले ईडी भी दे चुकी रेड
गहलोत दिल्ली में व्यस्त, मामले को लेकर राजनीतिक हलचलें तेज, कांग्रेस का विरोध जारी, देर रात सीबीआई टीम पूछताछ कर निकली, कांग्रेसियों का झेला विरोध, बेटा बेटी को महामंदिर थाने लाए
जोधपुर। प्रदेश के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के घर शुक्रवार की अलसुबह केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो ने एक मामले को लेकर छापा मारा। मामला पोटाश को लेकर है। इससे पहले कुछ अरसे पहले प्रवर्तन निदेशालय ईडी की तरफ से भी छापेमारी की गई थी। मुख्यमंत्री गहलोत इस वक्त प्रदेश से बाहर दिल्ली मेें होना बताए जाते है। इस छापेमारी को राजनीतिक ढंग से भी देखा जा रहा है। रात तक सीबीआई की टीम इस पर अनुसंधान में लगी थी। युवा कांगे्रस की तरफ से अग्रसेन के घर के बाहर धरना प्रदर्शन देर रात तक जारी रहा। जैसे ही सीबीआई टीम पूछताछ कर घर के बाहर निकली तो उन्हें कांग्रेसियों घेर लिया। पुलिस के आलाधिकारियों ने सीबीआई टीम को उनसे दूर किया। विरोध के बीच काफी नारेबाजी चली। सूत्रों के मुताबिक सीबीआई अग्रसेन के पुत्र एवं पुत्री को महामंदिर थाने लेकर पहुंचे है। थाने के आस पास सुरक्षा घेरा बढ़ाने के साथ आरएसी के जवानों को अब तैनात कर दिया गया है।
मुख्यमंत्री गहलोत के भाई अग्रसेन के घर और दुकान पर सीबीआई ने छापा मारा है। अग्रसेन गहलोत पर आरोप है कि 2007 से 2009 के बीच फर्टिलाइजर बनाने के लिए जरूरी पोटाश किसानों में बांटने के नाम पर सरकार से सब्सिडी पर खरीदी और प्रोडक्ट निजी कंपनियों को बेचकर मुनाफा कमाया। इस मामले की जांच में भी चल रही है। कस्टम विभाग ने अग्रसेन की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपए की पेनाल्टी भी लगाई थी। अग्रसेन की अपील पर हाईकोर्ट ने ईडी से जुड़े मामले में उनकी गिरफ्तारी पर रोक लगाई थी। अब इस मामले में सीबीआई ने जांच शुरू की है।
सुबह अचानक पहुंची टीम, शहर में चर्चा:
गहलोत के भाई अग्रसेन के ठिकानों पर शुक्रवार अलसुबह अचानक से सीबीआई की टीम पहुंची। उस समय अग्रसेन घर पर ही थे, सीबीआई की टीम में पांच अधिकारी दिल्ली और पांच अधिकारी जोधपुर से है। फिलहाल टीम के सदस्य जांच में जुटे हैं। अंदर किसी को प्रवेश नहीं दिया जा रहा है। बताया जाता है कि एक टीम दुकान पर भी पहुंची है। सीबीआई रेड की जानकारी मिलने पर शहर में चर्चा का माहौल गर्मा गया।
यह बताया जाता है मामला :
प्रवर्तन निदेशालय के अफसरों के अनुसार अग्रसेन गहलोत की कंपनी अनुपम कृषि, म्यूरियेट ऑफ पोटाश (एमओपी) फर्टिलाइजर के एक्सपोर्ट पर बैन होने के बावजूद उसके निर्यात में शामिल थी। एमओपी को इंडियन पोटाश लिमिटेड (आईपीएल) इम्पोर्ट कर किसानों को सब्सिडी पर बेचती है।
अग्रसेन गहलोत इसके ऑथराइज्ड डीलर थे। 2007 से 2009 के बीच उनकी कंपनी ने सब्सिडाइज रेट पर एमओपी खरीदा, लेकिन उसे किसानों को बेचने की बजाय दूसरी कंपनियों को बेच दिया। उन कंपनियों ने एमओपी को इंडस्ट्रियल सॉल्ट के नाम पर मलेशिया और सिंगापुर पहुंचा दिया। डायरेक्ट्रोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने 2012-13 में फर्टिलाइजर घोटाले का खुलासा किया था। जानकारी के अनुसार कस्टम विभाग ने अग्रसेन की कंपनी पर करीब 5.46 करोड़ रुपए की पेनाल्टी भी लगाई थी।
रात तक चलती रही कार्रवाई:
केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो की टीम शुक्रवार रात तक इस बारे में पड़ताल करती रही। उनके मकान और दुकान में किसी को भी प्रवेश से मनाही कर दी गई थी। सुबह से ही इस कार्रवाई को लेकर शहर में चर्चा का माहौल बना होने के साथ राजनीतिक गलियारे में हलचल पैदा कर दी है।
यह आरोप लगा था :
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बड़े भाई अग्रसेन की फर्म पर पोटाश खरीद कर किसानों को बेचने के बजाय निर्यात कर मोटा मुनाफा कमाने का आरोप लगा था। वर्ष 2009 में कस्टम विभाग ने उनकी फर्म पर 5.45 करोड़ का जुर्माना लगाया था। इसके खिलाफ वे कोर्ट में चले गए। इस मामले के नौ साल बाद प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की एंट्री हुई और उनके घर छापा मारा गया। इसकी जांच अभी तक लंबित चल रही है। इस मामले में अग्रसेन की गिरफ्तारी पर हाईकोर्ट ने रोक लगाई थी। अब तेरह वर्ष बाद सीबीआई भी इस मामले में कूद पड़ी और आज अग्रसेन के घर पहुंच गई। सीबीआई के छापा मारने से 13 वर्ष पुराने घोटाले का जिन्न एक बार फिर बाहर निकल आया है। हालांकि डायरेक्ट्रोरेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलिजेंस ने 2012-13 में फर्टिलाइजर घोटाले का खुलासा किया था। अग्रसेन शुरू से ही इस मामले में खुद को बेदाग बताते रहे हैं। वे कहते हैं कि मुख्यमंत्री का भाई होने के कारण उन्हें बेवजह बदनाम किया जा रहा है। पहले ईडी और अब सीबीआई जांच से स्पष्ट है कि केन्द्रीय एजेंसियां इस मामले में उन्हें आसानी से छोडऩे वाली नहीं है।
पोटाश किसानों को बांटने के नाम पर सब्सिडी पर खरीद:
आरोप है कि 2007 से 09 के बीच फर्टिलाइजर बनाने के लिए जरूरी पोटाश किसानों में बांटने के नाम पर सरकार से सब्सिडी पर खरीदी गई। इस प्रोडक्ट को निजी कंपनियों को बेचकर मुनाफा कमाया। उस समय अशोक गहलोत राजस्थान के मुख्यमंत्री थे और केंद्र में मनमोहन सिंह की सरकार थी। अग्रसेन की फर्म ने सरकार से खरीदी गई पोटाश का एक बड़ा हिस्सा कुछ अन्य फर्म के जरिए एक्सपोर्ट कर दिया था।
यंू आ गए शक के घेरे में :
अहमदाबाद स्थित डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू के रीजनल ऑफिस को पता चला कि एक फर्म एमओपी (खाद बनाने में इस्तेमाल पदार्थ) एक्सपोर्ट कर रही है। मलेशिया और ताइवान की फर्म को फैल्सपार और इंडस्ट्रियल सॉल्ट के नाम पर एमओपी एक्सपोर्ट किया गया। इसका इस्तेमाल नॉन यूरिया फर्टिलाइजर बनाने में किया जाता है।

गुजरात के कांडला पोर्ट के कमिश्नर ने जांच में पाया कि इस पूरे मामले में एक सिंडिकेट काम कर रहा है। बड़े पैमाने पर किसानों का हक मारकर करोड़ों का घोटाला किया जा रहा है। इस मामले में सबसे पहले दिनेश चन्द्र अग्रवाल का नाम सामने आया था। उससे पूछताछ के बाद ही जांच एजेंसियां पूरे मामले की तह तक पहुंची थीं। कमिश्नर ऑफ कस्टम ने अपनी रिपोर्ट में लिखा था कि इंडियन पोटाश लिमिटेड ने अग्रसेन गहलोत की फर्म को अपना डिस्ट्रिब्यूटर बनाया था। उसके जरिए किसानों को सस्ती दर पर एमओपी दी जानी थी।

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