*रोचक होगा इस बार का छात्रसंघ चुनाव*

in #jodhpur2 years ago

IMG-20220813-WA0031.jpgपूर्व छात्रनेता रांकावत से विशेष चुनावी चर्चा

जोधपुर। जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में दो वर्षों के अंतराल के बाद हो रहे छात्रसंघ चुनाव बेहद ही रोचक होने वाले है वही इस चुनाव के परिणाम भी चोंकाने वाले होंगे।

ये कहना है जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय के पूर्व वरिष्ठ छात्रनेता अधिवक्ता मयंक रांकावत का।
गौरतलब है कि रांकावत ने सन 2010 से 2019 तक के छात्रसंघ चुनावो को बारीकी से देखा है व विश्वविद्यालय के वोटरों का संगठनात्मक व जातिगत समीकरणों से वे बेहद करीबी से जानकार भी है।
हमारे संवादाता से विशेष बातचीत मे मयंक रांकावत ने बताया कि इस छात्रसंघ चुनाव में दोनों ही छात्रसंघठनो ने एक ही जाट समाज के प्रत्याक्षियों पे विश्वास जताते हुए चुनावी मैदान में ताल ठोकी है इसका सबसे बड़ा कारण ये रहा है कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद ने 2011 के छात्रसंघ चुनावों में अंतिम बार जाट प्रत्याशी के रूप में महेंद्र नैन को चुनावी मैदान में बतौर अध्यक्ष पद के प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारा था तत्पश्चात प्रत्येक चुनाव में केवल राजपूत समाज के उम्मीदवार को ही टिकट देते आ रहे है इसी कारण संघठन ने इस बार अपने दो मजबूत कार्यकर्ताओ में से एक राजवीर सिंह चौधरी को इस बार टिकट दिया क्योंकि संघठन में जाट समाज से जुड़े कार्यकर्ताओं की काफी लंबे समय से ये मांग रही है कि उनके समाज के उम्मीदवार को संघठन टिकट दे। यही कारण रहा कि मोती सिंह जोधा को संगठन ने इस बार के लिए होल्ड पे रखा। वही दूसरी और कांग्रेस के छात्रसंघठन एनएसयूआई ने अपने मूल वोट बैंक को एक बार फिर साधने की तैयारी करते हुए जाट समाज से आने वाले उम्मीदवार हरेन्द्र चौधरी पर दांव खेला। हरेन्द्र के टिकट में कांग्रेस आलाकमान की भूमिका भी नजर आ रही है।
दोनो ही संघठनो से जाट समाज के उम्मीदवार उतारने के बाद राजपूत समाज ने भी एकजूट होने का प्रयास किया और एक बैठक कर तीनो प्रत्याशियों में से किसी एक को निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मैदान में उतारने का फैसला किया। राजपूत समाज से आने वाले कुछ पूर्व छात्रसंघ अध्यक्षो व समाज के कुछ प्रतिनिधियों व उम्मीदवारों के बीच हुई बैठक में अरविंद सिंह को बतौर निर्दलीय प्रत्याशी चुनावी मैदान में उतारने का फैसला हुआ। परंतु पिछले कुछ चुनावो में अपने राष्ट्रभक्ति शब्दो व कविताओं से मंच संचालन कर युवाओ के बीच अपनी अनोखी छवि बनाने वाले इस बार अध्यक्ष पद के प्रत्याशी मोती सिंह जोधा ने अपने साथियो के आग्रह पर चुनावी मैदान में निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में ताल ठोक दी। जोधा ने उद्बोधन में कहा कि वे 36 क़ौम के युवाओ के निवेदन पर मैदान में उतरे है और राजपूत समाज को भी उनका समर्थन करना चाहिए।
एक और नया रूप इस चुनाव में ये भी है कि इस बार एमबीएम इंजीनियरिंग कॉलेज के मतदाता इस चुनाव में जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय में वोटिंग नही कर सकते है क्योंकि उनका अपना अलग विश्वविद्यालय है। तो एमबीएम के वोटरों की कमी भी इस बार सभी प्रत्याशीयो को खलेगी क्योंकि प्रत्येक चुनावो में हर एक प्रत्याशी यही प्रयास करता है कि एमबीएम उनके पक्ष में मतदान करे। और होता भी यही है कि एमबीएम हमेशा एक तरफ़ा मतदान हेतु जाना जाता है और किसी भी प्रत्याशी के जीत नीव में एमबीएम अपना महत्वपूर्ण योगदान रखता है।
वही स्टूडेंट्स फेडरेशन ऑफ इंडिया अभी तक अध्यक्ष पद के प्रत्याशी की तलाश में ही है। उन्हें उम्मीद है कि राजपूत समाज का एक उम्मीदवार उनके पास टिकट के लिए जरूर आएगा।
इसलिए कह सकते है कि इस बार का ये छात्रसंघ चुनाव अपने आप मे बेहद रोचक चुनाव होने वाला है व आगामी कई चुनावो में इस चुनाव की वोटबैंक की गणित को मद्देनजर रखते हुए ही छात्रसंघठन व प्रत्याशी अपनी रूपरेखा बनाएंगे।

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