मोबाइल , एक अभिशाप या वरदान ?

in #jhunjhunu2 years ago (edited)

आज से करीब दस साल पहले तक एक जमाना था जब सास बहू सीरीयल को टीवी पर सभी लोग देखा करते थे। तब सोचते थे समाज को यह टीवी सीरियल वाले हि खराब कर रहे हैं।तब टीवी भी खुब देखा जाता था जिसमे छोटे बडे सभी शामील होते थे।मगर इन दस से पन्द्रह सालो मे डिजीटल क्रांति ने इतने पांव पसारे है कि इसका तोड पाना मुश्किल हो रहा है।आज घर के प्रत्येक सदस्य के पास अपना खुद का मोबाइल है। सभी उसमे बीजी रहने लगे है।आज कल हर कोई अपने को अकेला होना चाहता है।उसका मोबाइल उसका साथी हो गया है।आज कल तो छोटे छोटे बच्चे भी मोबाईल कि लत का शिकार हो रहे हैं मोबाइल के बिना खाना नहीं खाते है यह आदत बहुत हि खतरनाक होती है। आज महिलाओं मे यह देखा गया है कि अब वे टीवी पर सास बहू के सीरियल को छोडकर अपने मायके वालो से घंटो बातें करती रहती है ओर उनके सीखाएं हुए नियमो पर चलकर घर को विनाश कि ओर धकेल देती है।इससे अच्छा तो टीवी सीरियल होते थे जिनको केवल दुसरो कि ज़िंदगी पर होते देखते थे मगर मोबाईल से तो खुद कि ज़िंदगी पर घरेलु प्रकरण होते देखते है। जो महिलाएं अपने पीहर या मायके से राय या सलाह या सभी बाते शेयर करती है व़ अकेले परिवार रहना पसंद करते हैं।इसी वजह से घरेलू हिंसा के मामले बढते जा रहे हैं।
मोबाइल को महिलाओं एवं बच्चों से दुर रखे । आज-कल शोसल मिडिया मे अनेक असामाजिक व भड़काऊ पोस्ट आती है जिसमें बच्चे शिक्षा कम व टाइम पास ज्यादा करने लगे हैं।
इसलिए मोबाइल का सदुपयोग करना बहुत ही जरूरी है वरना परिणाम बहुत हानिकारक हो सकते हैं।

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very nice work

मोबाइल को बच्चों से दूर रखना चाहिए।
बच्चों में गलत आदत का प्रभाव पड़ता है