झारखंड की सियासत में क्या चल रहा है, क्यों सीटी बजा रहे हैं हेमंत सोरेन

in #jharkhand2 years ago

_126468282_d25b0644-0d68-480a-978a-045db2df712e.jpg.webpबिहार के गांवों में बच्चे एक खास खेल खेलते हुए गुनगुनाते हैं - दिल्ली से चिट्ठी आई, रास्ते में गिर गई, कोई देखा है... फिर खेल शुरू होता है और इसमें शामिल खिलाड़ी एक-एक कर आउट होते जाते हैं. अंत में जो एक बच्चा बचता है, उसे इस खेल का विजेता घोषित कर दिया जाता है.

झारखंड की सियासत की ताजा हालत बिहार के बच्चों के उस खेल की तरह हो गई है.

मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक भारत के चुनाव आयोग ने झारखंड के राज्यपाल रमेश बैस को बंद लिफाफे में एक चिट्ठी भेजी है. दिल्ली से चली वह चिट्ठी 25 अगस्त की सुबह रांची पहुंची. आयोग ने इस चिट्ठी में झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की विधानसभा सदस्यता रदद् करने की सिफारिश की है. अब राज्यपाल को इस मसले पर अंतिम निर्णय लेना है. वे अपने निर्णय से चुनाव आयोग को अवगत कराएंगे, ताकि वहां से हेमंत सोरेन की विधायकी रद्द करने का गजट नोटिफिकेशन जारी किया जा सके. फिर यह नोटिफिकेशन झारखंड विधानसभा के अध्यक्ष को भेजा जाएगा. उसके बाद हेमंत सोरेन विधायक नहीं रहेंगे. क्योंकि, वे मुख्यमंत्री हैं और इसके लिए उनका विधायक होना ज़रूरी है, लिहाजा उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ेगा. इस प्रकार उनकी सरकार गिर जाएगी.

हालांकि, स्थानीय मीडिया में सूत्रों के हवाले से चल रही इन खबरों का कोई आधिकारिक आधार अभी तक सार्वजनिक नहीं है. चुनाव आयोग या राजभवन ने न तो ऐसे किसी पत्र की पुष्टि की है और न इसका खंडन. मतलब, बिहार के बच्चों के उस खेल की तरह दिल्ली से चली चिट्ठी, जो रांची के राजभवन में गिरी है, उसे अभी तक बाहर के किसी आदमी ने नहीं देखा है. सबकुछ अन-आफिशियल है.
_126468284_1be6f31c-0572-4efe-ad33-8044530fc4fc.jpg.webpबीबीसी ने झारखंड के राज्यपाल के साथ काम कर रहे एक वरिष्ठतम अधिकारी से इस बावत आधिकारिक टिप्पणी या कन्फर्मेशन चाहा था, लेकिन राजभवन सचिवालय ने उसका कोई जवाब नहीं दिया.
_126468286_b0132fd4-1a58-4907-b0e9-e5801eaa2088.jpg.webpमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के नेतृत्व वाली यूपीए की सरकार को जेएमएम के 30, कांग्रेस के 18, आरजेडी और सीपीआई एमएल के 1-1 विधायकों का समर्थन प्राप्त है. इसके अलावा एक निर्दलीय विधायक भी उनके समर्थन में हैं.
_126468288_b1b8fe9a-72d0-4566-aee4-4f20087598d4.jpg.webpमुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नेतरहाट के महुआडांड़ में शुक्रवार को दिए गए अपने भाषण में आर-पार की लड़ाई लड़ने के संकेत भी दिए हैं. अपने ख़िलाफ़ पिछले छह महीने से चल रहे आफ़िस ऑफ़ प्रॉफिट के मामले में उन्होंने पहली दफा राज्यपाल पर निशाना साधा है. उनका आरोप है कि राज्यपाल भी उनकी सरकार गिराने की साजिश में शामिल हैं.

हेमंत सोरेन ने कहा, "पता नहीं वहां राजभवन में क्या षड़यंत्र रच रहा है. ये लोग अभी 4-5 महीना से हमको सत्ता से बेदखल करने के लिए, मेरा गला रेतने के लिए आरी (लकड़ी काटने का औजार) बना रहा है लेकिन इन लोग का आरी नहीं बन पा रहा है. जो जिससे आगे बढ़ता है, वहीं टूट जाता है. क्योंकि उनको पता है कि ये झारखंड की मिट्टी के इस नौजवान को इतनी आसानी से नहीं गिराया जा सकता है. चिंता मत करो. ये आदिवासी का बच्चा है. इनलोगों की चाल से न कभी हमारा रास्ता रुका है और न हमलोग इनसे कभी डरे हैं. डर-भय तो हम आदिवासियों के बीच रहा ही नहीं. हमारे पूर्वजों ने इतने आंदोलन किए हैं कि आदिवासी समूह में डर-भय का चीज ही नहीं है. हमारे डीएनए से डर और भय को हमारे पूर्वजों ने पहले ही भगा दिया है."

नेतरहाट जाने के पहले हेमंत सोरेन ने यूपीए विधायकों की एक बैठक की. ऐसी ही एक और बैठक उनकी नेतरहाट वापसी के बाद हुई. महज 12 घंटों के अंदर हुई दो बैठकों के अगले दिन शनिवार की सुबह यूपीए विधायक फिर से मुख्यमंत्री आवास में जुटे. वहां उनकी औपचारिक बैठक हुई. इसके बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के साथ उनके समर्थक सभी विधायक तीन लग्जरी बसों में सवार होकर खूंटी जिले के लतरातू डैम चले गए. वहां से बोटिंग करती और पिकनिक मनाती उनकी तस्वींरें मीडिया को भेजी गईं. एक तस्वीर में हेमंत सोरेन हिप-हिप हुर्रे के अंदाज में सीटी बजाते दिखे. मतलब साफ था कि वे अपनी एकजुटता के साथ यह भी साबित करना चाहते थे कि उन्हें कोई चिंता नहीं है. वे हर परिस्थिति का मुकाबला करने के लिए तैयार हैं. विधायकों की बसें पिकनिक के बाद देर शाम रांची लौट आईं.
_126468324_763f8690-a4c9-4cf4-84c1-a497bd5c9228.jpg.webpहेमंत सोरेन पर लोक जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 की धारा ए के तहत कार्रवाई की अपील करने वाली बीजेपी के नेता इस मुद्दे पर आक्रामक तो हैं लेकिन उनके पास वह जादुई आंकड़ा नहीं है, जिससे वे सरकार बनाने का दावा कर सकें. बीजेपी के 26 विधायकों के अलावा उन्हें आजसू पार्टी के 2 और कुछ निर्दलीय विधायकों का समर्थन हासिल है. वे तभी सरकार बना सकते हैं, जब कोई पार्टी टूटे और उनके विधायक बीजेपी के समर्थन में आ जाएं. यह फिलहाल संभव नहीं दिखता. लिहाजा, बीजेपी के कुछ नेता राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की मांग करने लगे हैं.