पानी के लिए अभी दस साल करना होगा इंतजार

in #jhansi8 days ago

झांसी 11 सितंबर:(डेस्क)केन-बेतवा लिंक परियोजना: बुंदेलखंड की प्यास बुझाने का सपना
केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) बुंदेलखंड की सूखी जमीन की प्यास बुझाने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। मध्यप्रदेश की यह पहली परियोजना २००५ में शुरू हुई और इसके तहत केन नदी को बेतवा नदी से २३१.४५ किलोमीटर लंबी नहर से जोड़ा जा रहा है। हालांकि, तमाम अड़चनों के चलते परियोजना की रफ्तार बेहद धीमी है और बजट आवंटित होने के बाद भी कई परियोजनाओं में अभी शुरुआती काम भी शुरू नहीं हो सका है।

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परियोजना का महत्व
केबीएलपी का मुख्य उद्देश्य बुंदेलखंड के सूखे इलाकों में पानी की कमी को दूर करना है। यह परियोजना जब पूरी होगी तो इससे ६.३५ लाख हेक्टेयर जमीन में सिंचाई की सुविधा मिलेगी और ७९ मेगावाट बिजली उत्पादन होगा। इससे बुंदेलखंड के किसानों को काफी राहत मिलेगी और इलाके का आर्थिक विकास भी होगा।

अड़चनें और देरी
केबीएलपी की रफ्तार धीमी होने के कई कारण हैं। पर्यावरण मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, वित्तीय संसाधनों की कमी और राजनीतिक मतभेद जैसे कारणों से परियोजना में देरी हो रही है। इसके अलावा, कोविड-19 महामारी ने भी काम को प्रभावित किया है। परियोजना के कुछ हिस्सों में काम शुरू हो चुका है, लेकिन अधिकांश हिस्सों में अभी भी शुरुआती काम भी नहीं हो सका है।

वित्तीय चुनौतियां
केबीएलपी के लिए पर्याप्त बजट आवंटित किया गया है, लेकिन वित्तीय संसाधनों की कमी एक बड़ी चुनौती है। परियोजना के लिए अब तक ९,३९३ करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं, लेकिन इसके लिए कुल ४७,५६९ करोड़ रुपये की जरूरत है। इस अंतर को पूरा करने के लिए केंद्र और राज्य सरकारों को मिलकर काम करना होगा।

भविष्य की उम्मीदें
केबीएलपी पूरी होने पर बुंदेलखंड के किसानों और आम लोगों के जीवन में बदलाव आएगा। यह परियोजना बुंदेलखंड की सूखी जमीन को हरा-भरा करने और किसानों को सिंचाई की सुविधा देने में मदद करेगी। इससे इलाके का आर्थिक विकास भी होगा और लोगों को रोजगार के नए अवसर मिलेंगे। हालांकि, परियोजना में अभी कई चुनौतियां हैं, लेकिन यह बुंदेलखंड के लिए एक आशा की किरण है।

निष्कर्ष
केन-बेतवा लिंक परियोजना बुंदेलखंड की सूखी जमीन की प्यास बुझाने का एक महत्वाकांक्षी प्रयास है। हालांकि, तमाम अड़चनों के चलते परियोजना की रफ्तार बेहद धीमी है और बजट आवंटित होने के बाद भी कई परियोजनाओं में अभी शुरुआती काम भी शुरू नहीं हो सका है। पर्यावरण मंजूरी, भूमि अधिग्रहण, वित्तीय संसाधनों की कमी और राजनीतिक मतभेद जैसे कारणों से परियोजना में देरी हो रही है। हालांकि, केबीएलपी पूरी होने पर बुंदेलखंड के किसानों और आम लोगों के जीवन में बदलाव आएगा और यह इलाके के आर्थिक विकास में मदद करेगी।