पूर्वांचल के धनंजय सिंह की बाहुबली सांसद बनने की कहानी
पूर्वांचल के धनंजय सिंह की बाहुबली से सांसद बनने की कहानी, कभी पुलिस ने एनकांउटर में मार गिराने का किया था दावा
बाहुबली धनंजय सिंंह तीन शादी कर चुके हैं. उनकी पहली पत्नी ने शादी के 9 महीने बाद ही संदिग्ध परिस्थतियों में आत्महत्या कर ली थी. वहीं दूसरी पत्नी से उनका तलाक हो चुका है. वह इन दिनों अपनी नौकरानी की हत्या के जुर्म में सजा काट रही हैं. वहीं उन्होंने 2017 में श्रीकला रेड्डी से तीसरी शादी की है.
से चमकता रहा है, लेकिन कुछ सितारे हैं, जिनका राजनेता बनने का रास्ता जरायम की दुनिया से होकर गुजरा है. ऐसा ही एक नाम जौनपुर के बाहुबली विधायक धनंजय सिंह का है. जिन्होंने एक बाहुबली से संसद बनने तक का सफर तय किया है. उनके इस सफर में कई उतार-चढ़ाव रहे हैं. छात्र राजनीति से लोकसभा की चौखट तक पहुंचे जौनपुर के बाहुबली विधायक धनंजय सिंह आज भी यूपी की राजनीति में अपनी धमक रखते हैं, लेकिन एक दौर वह भी था, जब उनके चर्चे पुलिस की गोली का निशाना बनने को लेकर हुए थे. असल में कभी उत्तर प्रदेश पुलिस ने धनंजय सिंह को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था, लेकिन यह दावा समय के साथ हवा हो गया.
10वीं कक्षा में लगा था हत्या का आरोप
धनंजय सिंह ने जौनपुर के टीडी कॉलेज में छात्र राजनीति में कदम रखा. इसके बाद धनंजय लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे. यहां भी आपराधिक गतिविधियों में इनका नाम सामने आया. धनंजय सिंह पर हत्या, डकैती, लूट, रंगदारी, धमकी समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं. मऊ जिले के ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की हत्या में धनंजय सिंह का नाम भी सामने आया था. इसके बाद उन्होंने कोर्ट में सरेंडर भी किया था, लेकिन जमानत पर रिहा होने के बाद से ही फरार हो गए. इसके पहले भी धनंजय कई बार जेल की हवा खा चुके हैं.
वहीं धनंजय सिंह ने 1990 में हाईस्कूल की पढ़ाई महर्षि विद्या मंदिर से की थी. इसी दौरान पहली बार उन पर पूर्व शिक्षक गोविंद उनियाल की हत्या का आरोप लगा था. हालांकि, इस मामले में पुलिस कुछ भी साबित नहीं कर पाई. इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद धनंजय लखनऊ गए. वहां लखनऊ यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. यहीं से उन्होंने ठेकेदारी के क्षेत्र में कदम रखा. धनंजय के ऊपर कई आपराधिक मामले दर्ज होते गए.
यह था धनंजय सिंह के ‘एनकाउंटर’ का किस्सा
17 अक्तूबर 1998 की रात थी, पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि गैंगस्टर धनंजय सिंंह अपने साथियों के साथ मिर्जापुर रोड़ स्थित एक पेट्राेल पंप पर डाकैती डालने आना वाला है. इस सूचना पर पुलिस सक्रिय हुई. इसके बाद पुलिस ने इस स्थान पर एनकाउंटर करते हुए 3 लोगों काे मार गिराया. पुलिस ने दावा किया कि मारे गए लोगोंं में एक धनंजय सिंह भी शामिल है, एनकाउंटर को लेकर पुलिस ने सबको बताया था कि धनंजय सिंह मारा गया. यह वहीं धनंजय सिंह था, जिसकी पहचान पूर्वांचल में जौनपुर के बाहुबली के तौर पर थी, लेकिन समय के साथ धनंजय के एनकाउंटर का दावा झूठा निकला.
एनकांंउटर के कुछ महीने यानी फरवरी 1999 में एक व्यक्ति एक केस के सिलसिले में पुलिस के सामने पेश हुआ. उसे देखकर यूपी पुलिस के होश उड़ गए. कई महीनों पहले पुलिस ने जिसे एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था, वो धनंजय सिंह पुलिस वालों के सामने था. तब ये राज खुला कि भदोही एनकाउंटर में बाहुबली धनंजय के मारे जाने की खबर झूठी थी. धनंजय जिंदा और फरार थे. भदोही फेक एनकाउंटर केस की खबर ने ऐसी आग पकड़ी कि मानवाधिकार आयोग ने जांच बिठा दी. इस एनकाउंटर में शामिल 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए. जिस बाहुबली को मार गिराने का दावा किया गया था, उसी ने अपने जिंदा होने का सबूत देकर 34 पुलिसवालों का पुलिस रिकॉर्ड खराब कर दिया।
पूर्वांचल के धनंजय सिंह की बाहुबली से सांसद बनने की कहानी, कभी पुलिस ने एनकांउटर में मार गिराने का किया था दावा
बाहुबली धनंजय सिंंह तीन शादी कर चुके हैं. उनकी पहली पत्नी ने शादी के 9 महीने बाद ही संदिग्ध परिस्थतियों में आत्महत्या कर ली थी. वहीं दूसरी पत्नी से उनका तलाक हो चुका है. वह इन दिनों अपनी नौकरानी की हत्या के जुर्म में सजा काट रही हैं. वहीं उन्होंने 2017 में श्रीकला रेड्डी से तीसरी शादी की है.
उत्तर प्रदेश की राजनीति का सितारा पूर्वांचल से चमकता रहा है, लेकिन कुछ सितारे हैं, जिनका राजनेता बनने का रास्ता जरायम की दुनिया से होकर गुजरा है. ऐसा ही एक नाम जौनपुर के बाहुबली विधायक धनंजय सिंह का है. जिन्होंने एक बाहुबली से संसद बनने तक का सफर तय किया है. उनके इस सफर में कई उतार-चढ़ाव रहे हैं. छात्र राजनीति से लोकसभा की चौखट तक पहुंचे जौनपुर के बाहुबली विधायक धनंजय सिंह आज भी यूपी की राजनीति में अपनी धमक रखते हैं, लेकिन एक दौर वह भी था, जब उनके चर्चे पुलिस की गोली का निशाना बनने को लेकर हुए थे. असल में कभी उत्तर प्रदेश पुलिस ने धनंजय सिंह को एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था, लेकिन यह दावा समय के साथ हवा हो गया.
10वीं कक्षा में लगा था हत्या का आरोप
धनंजय सिंह ने जौनपुर के टीडी कॉलेज में छात्र राजनीति में कदम रखा. इसके बाद धनंजय लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंचे. यहां भी आपराधिक गतिविधियों में इनका नाम सामने आया. धनंजय सिंह पर हत्या, डकैती, लूट, रंगदारी, धमकी समेत कई आपराधिक मामले दर्ज हो चुके हैं. मऊ जिले के ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि अजीत सिंह की हत्या में धनंजय सिंह का नाम भी सामने आया था. इसके बाद उन्होंने कोर्ट में सरेंडर भी किया था, लेकिन जमानत पर रिहा होने के बाद से ही फरार हो गए. इसके पहले भी धनंजय कई बार जेल की हवा खा चुके हैं.
वहीं धनंजय सिंह ने 1990 में हाईस्कूल की पढ़ाई महर्षि विद्या मंदिर से की थी. इसी दौरान पहली बार उन पर पूर्व शिक्षक गोविंद उनियाल की हत्या का आरोप लगा था. हालांकि, इस मामले में पुलिस कुछ भी साबित नहीं कर पाई. इंटरमीडिएट की पढ़ाई पूरी करने के बाद धनंजय लखनऊ गए. वहां लखनऊ यूनिवर्सिटी से उन्होंने ग्रेजुएशन किया. यहीं से उन्होंने ठेकेदारी के क्षेत्र में कदम रखा. धनंजय के ऊपर कई आपराधिक मामले दर्ज होते गए.
यह था धनंजय सिंह के ‘एनकाउंटर’ का किस्सा
17 अक्तूबर 1998 की रात थी, पुलिस को मुखबिर से सूचना मिली कि गैंगस्टर धनंजय सिंंह अपने साथियों के साथ मिर्जापुर रोड़ स्थित एक पेट्राेल पंप पर डाकैती डालने आना वाला है. इस सूचना पर पुलिस सक्रिय हुई. इसके बाद पुलिस ने इस स्थान पर एनकाउंटर करते हुए 3 लोगों काे मार गिराया. पुलिस ने दावा किया कि मारे गए लोगोंं में एक धनंजय सिंह भी शामिल है, एनकाउंटर को लेकर पुलिस ने सबको बताया था कि धनंजय सिंह मारा गया. यह वहीं धनंजय सिंह था, जिसकी पहचान पूर्वांचल में जौनपुर के बाहुबली के तौर पर थी, लेकिन समय के साथ धनंजय के एनकाउंटर का दावा झूठा निकला.
एनकांंउटर के कुछ महीने यानी फरवरी 1999 में एक व्यक्ति एक केस के सिलसिले में पुलिस के सामने पेश हुआ. उसे देखकर यूपी पुलिस के होश उड़ गए. कई महीनों पहले पुलिस ने जिसे एनकाउंटर में मार गिराने का दावा किया था, वो धनंजय सिंह पुलिस वालों के सामने था. तब ये राज खुला कि भदोही एनकाउंटर में बाहुबली धनंजय के मारे जाने की खबर झूठी थी. धनंजय जिंदा और फरार थे. भदोही फेक एनकाउंटर केस की खबर ने ऐसी आग पकड़ी कि मानवाधिकार आयोग ने जांच बिठा दी. इस एनकाउंटर में शामिल 34 पुलिसकर्मियों पर मुकदमे दर्ज हुए. जिस बाहुबली को मार गिराने का दावा किया गया था, उसी ने अपने जिंदा होने का सबूत देकर 34 पुलिसवालों का पुलिस रिकॉर्ड खराब कर दिया.
2022 में रारी सीट से पहली बार बने विधायक
जरायम की दुनिया में अपना नाम बुलंद कर चुके धनंजय सिंह ने जौनपुर जिले की रारी विधानसभा सीट से पहली बार 2002 में चुनाव लड़ा. इस चुनाव में वह निर्दलीय जीत हासिल कर विधायक चुने गए. इसके बाद 2007 के चुनाव में उन्होंने जेडीयू के टिकट पर चुनाव लड़ने का फैसला किया. इस बार भी धनंजय ने जीत का स्वाद चखा. 2009 में बीएसपी के टिकट पर पहली बार लोकसभा पहुंचे, लेकिन 2011 में मायावती ने उन्हें पार्टी के खिलाफ काम करने के आरोप में पार्टी से निष्कासित कर दिया. इसके बाद धनंजय सिंह सियासत में फिर कभी खड़े नहीं हो पाए.
2012 के बाद अभी तक नहीं मिली जीत
साल 2012 से धनंजय सिंह का राजनीतिक कैरियर गिरने लगा था. उनकी पत्नी जागृति सिंह पर नौकरानी की हत्या का आरोप लगे थे. इस मामले में धनंजय सिंह और उनकी पत्नी को जेल जाना पड़ा था. इसके बाद उनकी पत्नी जागृति सिंह ने साल 2012 में मल्हनी से विधानसभा का चुनाव लड़ा था, लेकिन उन्हें हार का समाना करना पड़ा. इसके बाद फिर धनंजय सिंह कभी विधायक नहीं बन पाए. आखिरी बार वह साल 2020 के उपचुनाव में पूर्व मंत्री पारसनाथ यादव के बेटे लकी यादव के खिलाफ खड़े हुए. दोनों में कांटे की टक्कर थी, लेकिन इस बार भी धनंजय को हार का समाना करना पड़ा था. हालांकि बीते साल उनकी तीसरी पत्नी श्रीकला जौनपुर जिला पंचायत अध्यक्ष का चुनाव जीतने में सफल रही थी. इस जीत में उन्होंने अपना दल (एस) का भी समर्थन लिया था. हालांकि, उनकी जीत के जश्न में धनंजय सिंह शामिल नहीं हो सके थे,