जापान के इस मंदिर से क्यों चिढ़ते हैं दक्षिण कोरिया और चीन?

in #japan2 years ago

Japan-China-South Korea: जापान के दो मंत्रियों के विवादित युद्ध स्मारक मंदिर का दौरा करने से चीन और दक्षिण कोरिया बौखला उठे हैं. दरअसल टोक्यो में यासुकुनी मंदिर सैन्य प्रभुत्व वाले स्थल के तौर पर जाना जाता है. जिसे द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान मारे गए 23 लाख लोगों की याद में बनाया गया है. इनमें से ज्यादातर जापानी थे. चीन और दक्षिण कोरिया इस मंदिर में होने वाली आधिकारिक यात्राओं को लेकर नाराज रहते हैं. क्योंकि युद्ध के दौरान और उसके बाद जापानी सेना ने चीन और दक्षिण कोरिया को सबसे ज्यादा परेशान किया था.
चीन ने जापान के मंत्रियों के यासुकुनी मंदिर पर जाने को 'गंभीर रूप से उकसावे' वाला कदम बताया है. बीजिंग ने कहा कि चीन जापान से अनुरोध करता है कि वह इतिहास से सीख ले, सैन्यीकरण का अंत करे.इसके अलावा दक्षिण कोरिया की सरकार ने भी युद्ध स्मारक की इस यात्रा को 'निराशाजनक घटना' बताया है. यह स्मारक जापान की महानता को बताता है, जो पिछले युद्ध से जुड़ा है, साथ ही जिसने युद्ध अपराधियों को जगह दी थी.दूसरे विश्व युद्ध के आठ दशक बाद यासुकुनी मंदिर अब भी पूर्वी एशिया में युद्ध के दर्दनाक समय की याद दिलाता है. ये मंदिर 1869 मेंबनाया गया था. यासुकुनी दो शब्दों से मिलकर बना है, जिसका जापानी भाषा में मतलब देश और शांति हैजापान ने 1910 से 1945 तक कोरिया पर शासन किया था और उसी समय 1931 से 1945 तक जापान ने चीन के कुछ हिस्सों पर भीकब्जा किया हुआ था. जिसके चलते आज भी इन दोनों देशों के रिश्ते जापान से सामान्य नहीं हैं.जापान के कई लोग यासुकुनी मंदिर में अपने रिश्तेदारों को श्रद्धांजलि देने के लिए आते हैं. चीन और दक्षिण कोरिया की आपत्ति है कि यहां युद्ध अपराधियों को सम्मानित किया गया था.
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