पर्व के महान दिनों में शास्त्र श्रवण व वाचन आवश्यक : साध्वी सिद्धि सुधा जी
पर्व के महान दिनों में शास्त्र श्रवण व वाचन आवश्यक : साध्वी सिद्धि सुधा जी
चेन्नई । एएमकेएम में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने प्रवचन सभा को संबोधित करते हुए कहा कि पर्वाधिराज पर्यूषण का दूसरा दिन दया दिवस के रूप में आत्मिक गुणों का विकास करने के लिए उपस्थित हुआ है। हम सभी इस महान पर्यूषण की आराधना, साधना, जप व तप में तल्लीनता से लगे हुए हैं। प्रात:कालीन मंगलवेला में भक्ताम्बर कलश की स्थापना के साथ भक्ताम्बर का अनुष्ठान जो सर्व आदि व्याधि उपाधि को मिटा कर आध्यात्मिक रूप से सुख शांति शारीरिक शाता को प्रदान करने वाला है।
साध्वी सुविधि ने अंतगढ़ सूत्र का बहुत ही सुन्दर विवेचन किया। इस तीसरे वर्ग में तेरह अध्ययनों का वर्णन किया। इसमें आज मदीलपुर नगरी नाग गाथा पति भार्या सुलशा रानी के पुत्र अनिकेशन जिनकी 32 रानियों द्वारिका नगरी, देवकी रानी का वर्णन दिया। अनिकेशन आदि छ: भाइयों ने अरिष्ठ नेमीनाथ भगवान से दीक्षा संयम अंगीकार कर बेले की तपस्या करते हुए द्वारिका नगरी व बेले के पारणा के लिए देवकी महारानी के यहां दो दो के गोचरी के लिए पधारे। साध्वी समिति ने कहा जिस प्रकार इन पर्व के महान दिनों में शास्त्र श्रवण व वाचन आवश्यक है उसी प्रकार इन महान दिनों में प्रतिक्रमण करना भी आवश्यक है।
प्रतिक्रमण यानी दोषों की आलोचना व प्रायश्चित करना। हम द्रव्य क्रिया तो करते हैं। उसके साथ भावों की शुद्धि भी आवश्यक है। प्रतिक्रमण पांच प्रकार के बताए।