आजमगढ़ में दहेज हत्या के मामले में पति को 7 साल की सजा: 2017 में गला दबाकर की गई हत्या, 12

in #jail7 days ago

आजमगढ़ 12 सितम्बरः(डेस्क)आजमगढ़ में दहेज हत्या के मामले में पति को सात साल कठोर कारावास और चार हजार रुपये का अर्थदंड

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आजमगढ़ जिले में एक दहेज हत्या के मामले में अदालत ने दोषी पति को सात साल कठोर कारावास और चार हजार रुपये का अर्थदंड सुनाया है। घटना 31 जुलाई 2017 की है, जब तरवां थाना क्षेत्र के ऊंचगांव निवासी किरन राजभर की ससुराल में गला दबाकर हत्या कर दी गई थी। अपर सत्र न्यायाधीश कोर्ट नंबर सात रमेशचंद्र ने बुधवार को इस मामले में फैसला सुनाया। अभियोजन पक्ष ने 12 गवाहों के बयान अदालत में पेश किए थे, जिनके आधार पर अदालत ने पति को दोषी करार दिया।

किरन राजभर का विवाह 10 जून 2015 को गाजीपुर जनपद के मरदह थाना के ग्राम बैदवली निवासी सतिराम की भतीजी के साथ हुआ था। शादी के बाद से ही ससुराल पक्ष द्वारा दहेज की मांग को लेकर किरन का उत्पीड़न किया जाता था। 31 जुलाई 2017 को जब किरन अपने ससुराल में थी, तभी उसका पति गला दबाकर हत्या कर दिया।

वादी पक्ष के अनुसार, किरन की हत्या दहेज की मांग को लेकर की गई। उसके पिता सतिराम ने तरवां थाने में 31 जुलाई 2017 को ही दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस ने तत्कालीन में ही आरोपी पति को गिरफ्तार कर लिया था और मामले की जांच शुरू कर दी थी।

अदालत में अभियोजन पक्ष ने कुल 12 गवाहों के बयान पेश किए थे, जिनमें से कुछ गवाह घटना के प्रत्यक्षदर्शी भी थे। गवाहों ने अपने बयानों में बताया कि दहेज की मांग को लेकर किरन का उत्पीड़न होता था और उसकी हत्या भी इसी कारण से की गई।

अदालत ने गवाहों के बयानों और अन्य सबूतों के आधार पर आरोपी पति को दोषी करार दिया और उसे सात साल कठोर कारावास की सजा सुनाई। साथ ही उस पर चार हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया।

यह फैसला अदालत द्वारा दहेज प्रथा के खिलाफ एक और कड़ा कदम है। दहेज प्रथा भारतीय समाज में एक गंभीर समस्या है और इसके कारण हर साल कई महिलाओं की जान चली जाती है। अदालतों द्वारा दोषियों को कठोर सजा देकर इस प्रथा पर अंकुश लगाने का प्रयास किया जा रहा है।

हालांकि, दहेज प्रथा पर अंकुश लगाने के लिए कानून के साथ-साथ समाज में भी जागरूकता लाने की जरूरत है। महिलाओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक होना चाहिए और दहेज की मांग करने वालों के खिलाफ आवाज उठानी चाहिए। साथ ही, समाज को भी इस प्रथा को खत्म करने में अपनी भूमिका निभानी चाहिए।

इस फैसले से यह संदेश जाता है कि दहेज हत्या जैसी घृणित घटनाओं के लिए कड़ी सजा दी जाएगी और दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा। यह फैसला दहेज प्रथा के खिलाफ लड़ाई में एक और मील का पत्थर साबित होगा और महिलाओं को सुरक्षित और सम्मानजनक जीवन जीने का अधिकार दिलाने में मदद करेगा।