छक कर पीजिए शराब, सभी हैं आज़ाद
कुशीनगर।बात करते हैं शराबियों को सुविधा मुहैया कराने वाले अवैध चिखना कारोबारियों की। इन दिनों हलके में तैनात सिपाहियों का कहर बिजली बन टूट पड़ता है। चर्चा है कि कुछ सिपाहियों ने इन चिखना दुकानों को लेकर अपना इगो बना रखा है। बेवजह लाठियां भांजना , आम लोगों को जांच के नाम पर परेशान करने से बाजार का माहौल बदलता नजर आ रहा है। जिस बावत व्यवसायियों में दबी जुबान नाराजगी व्याप्त है।
जबकि इसी चौकी क्षेत्र के तरयासुजान व भुलियां में चिखना कारोबारी पूरे मौज में है वहीं पुरे थाना क्षेत्र कि बात करें तो डिबनी, अहिरौलीदान, तमकुहीराज,सलेमगढ़ ,सेवरही कहीं भी पुलिस का ऐसा पहरा नहीं जैसा कि तिनफेडिया व रामपुर बंगरा में देखा जा रहा है। हालांकि संवेदनशीलता के विषय में बात करें तो उपरोक्त अधिकांश सीमावर्ती बाजारों में पुलिस के लिए बराबर चुनौती रहती है। पर अन्य सभी जगहों में इन कारोबारियों पर पुलिस का स्नेह प्राप्त है और यह स्नेह किश शर्त पर प्राप्त है बताने की जरूरत नही।
पोस्ट का अभिप्राय कत्तई ऐसा नहीं कि मानवता के संवेदनशीलता पर अबैध गतिविधियां को बढ़ावा दिया जाए अपितु पुलिस नियमावली व कार्यप्रणाली पर उठते सवालों पर है। ऐसे जगहों पर अपराधिक तत्वों का जमावड़ा होता है। यहां पहुंचने वाले उपद्रवी तत्व समाज में अशांति पहुंचाते है तो सभी जगह पर एक ही तरह के कार्रवाई का विधान होना चाहिए।
जानकारी के मुताबिक क्षेत्र के अधिकतर चीखने की दुकानों पर चीखना के साथ साथ शराब भी उपलब्ध हो जा रहा है।