अल्पवर्षा के बाद भी माला जलाशय में क्षमता से अधिक पानी, ओवरफ्लो शुरू
अल्पवर्षा के बाद भी माला जलाशय में क्षमता से अधिक पानी, ओवरफ्लो शुरू
जबेरा
जिले का सबसे बड़ा जलाशय माला मानगढ़ बीते तीन दिनों की बारिश अपनी 21 फीट की जलभराव की क्षमता से अधिक हो गया और आज से ओवरफ्लो शुरू हो गया। माला जलाशय के ओवरफ्लो से निकली जनपद जबेरा इकलौती शून्य नदी की जल धारा भी तेज गति से प्रवाहित हो गई है जिससे क्षेत्र के किसानों में खुशी की लहर दौड़ गई। 50 कि मी के पहाड़ी क्षेत्र के सैकड़ों नदी, नालों सहित शून्य नदी का जल मानगढ़ जलाशय में समाहित होता है। इससे बम्होरी अंचल के दर्जनों गांव में रवि, खरीफ सीजन की फसलों की सिचाई होती है और क्षेत्र का कि सान एक बार जलाशय में पूर्ण जलभराव होने पर दोनों फसलों की सिंचाई के लिए पर्याप्त जल का स्टॉक मानकर फसलों की सिचाई की चिंता से दूर हो जाती है। माला मानगढ़ जलाशय अपनी भराव क्षमता को पूर्ण करने पर जलमग्न होने पर समुद्र सा नजारा दिखाई देता है। जहां तक नजर पहुंचती है पानी ही पानी दिखाई देता है। इस दृश्य को देखने के लिए पूरे क्षेत्र के लोग पहुंच रहे हैं।
18 कि मी के क्षेत्रफल में फैले जलाशय में 40 किमी की दूरी पर कटनी जिले के बहोरीबंद, बाकल तक बारिश का पानी जलाशय में समाहित होता है। इससे जलाशय क्षेत्र में माला बम्होरी अंचल में अल्पवर्षा की स्थिति में भी कटनी जिले में बारिश हो जाए तो यह जलाशय अपनी जल भराव क्षमता 21 फीट को पूर्ण कर लेता है। ऐसा कोई वर्ष नहीं जिसमें सूखे के हालातों में भी सौ वर्ष की आयु को पूर्ण कर रहे माला जलाशय ने अपनी जलभराव क्षमता से अछूता रहा हो। अंग्रेजी शासन में बने जलाशय की जल भराव क्षमता बड़ी ही अदभूत होने के साथ- साथ जलाशय की तकनीक भी अद्भुत है। 1929 से लेकर 2022 तक जलाशय 93 वर्ष की आयु में जलाशय के बांध में समाहित शून्य नदी सहित दर्जनों छोटी, मोटी नदि, नालों के जल के तेज बेग ने जलाशय के बांध की मजबूती को चुनोती नहीं दे पाया है। माला जलाशय से नहरों के द्वारा मिलने वाली सिचाई सुविधा के चलते इस क्षेत्र को धान का कटोरा भी कहा जाता है। वहीं माला जलाशय अपनी जल भराव क्षमता को पूर्ण कर लेता है।
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