पत्नी आशिक के साथ चली गई और अब पति बच्चे को लेकर चलाता है रिक्शा
कलेजे के टुकड़े को जन्म देने वाली मां ने त्याग दिया परंतु पिता उसे सीने से लगाए रहता है। बेटे को सीने से चिपकाए पिता रिक्शा लेकर घर से निकल पड़ता है। एक हाथ में रिक्शे का हैंडल थामता है तथा दूसरे हाथ से बच्चे को सीने से लगाए रहता है। चरगवां में वह जिस मार्ग से रिक्शा लेकर गुजरता है लोग उसे देखते रह जाते हैं। मूलत: बिहार के कठियार निवासी राजेश मालदार रोजगार की तलाश में एक दशक पूर्व जबलपुर आया था। इन दिनों चरगवां में रिक्शा चलाने का काम कर रहा है। जिस महिला से उसने विवाह किया था वह दो मासूम बच्चों व राजेश को छोड़कर अपने प्रेमी के साथ भाग गई। तबसे राजेश अपने 12 माह के बेटे को सीने से लगाए रिक्शा चला रहा है। उसकी गरीबी और बेबसी देखकर लोग मदद के लिए आगे आने लगे हैं।
राजेश मालदार बिहार से आने के बाद जबलपुर में रेलवे स्टेशन के बाहर फुटपाथ पर अपना डेरा जमा लिया था। वहीं रहकर मजदूरी करने लगा। फुटपाथ पर ही अपने माता-पिता के साथ जीवन यापन करने वाली सिवनी जिले की एक युवती से राजेश का प्रेम हो गया। दोनों ने शादी कर ली। दो बच्चों लक्ष्मी (3) व अजय (12) का जन्म हुआ। स्टेशन का फुटपाथ छोड़कर वह पत्नी व बच्चों को लेकर चरगंवा चला गया। वहां भी फुटपाथ पर टीन टपरे व पालिथिन की झोपड़ी बनाकर रहने लगा। रिक्शा चलाकर परिवार का भरण पोषण करने लगा। करीब एक माह पूर्व राजेश की पत्नी अपने किसी प्रेमी के भाग गई।
मुंहबोली सास के पास छोड़ देता है बेटी को-
मासूम बच्चों के भरण पोषण के लिए राजेश के पास रिक्शा चलाने अथवा मजदूरी करने के अलावा कोई दूसरा रास्ता नहीं है। बेटी कुछ समझदार है, इसलिए वह उसे फुटपाथ पर रहने वाली अपनी मुंहबोली सास के पास छोड़ देता है। बेटे अजय को साथ में लेकर रिक्शा चलाने के लिए चला जाता है। राजेश का कहना है कि रिक्शा चलाने के दौरान बेटे की भूख प्यास का वह ख्याल रखता है। यही वजह है कि वह उसे किसी और के पास नहीं छोड़ता। राजेश ने कहा कि ऐसे भी हालात बनते हैं, जब उसे भूखे पेट रहना पड़ता है, परंतु अपने दोनों बच्चों का पेट भरने में वह कोई कसर नहीं छोड़ता।