नही जागा प्रशासन बदस्तूर जारी है वर्मा और जैन का खेल

in #issue2 years ago

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मामला स्वच्छ भारत मिशन का
साइबर सेल से हो जांच तो खुलेंगे राज़
बीते दिनों मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने कहा कि भ्रष्टाचार कोढ़ है, इसे पूरी तरह समाप्त करना है। भ्रष्टाचार पर राज्य सरकार की जीरो टोलरेंस की नीति है। जन-कल्याणकारी योजनाओं, विकास कार्यों, और आपराधिक प्रकरणों पर कार्यवाही के मामलों में भ्रष्टाचार की प्रत्येक शिकायत या सूचना पर दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ तत्काल कार्यवाही सुनिश्चित करें। जन-सामान्य को योजनाओं का बिना लिए-दिए, समय पर लाभ मिले, सभी क्षेत्रों में सुशासन स्थापित हो, यही राज्य सरकार की प्राथमिकता है। किन्तु उनकी इन्ही प्राथमिकता को दरकिनार कर अनुपपूर जिले में
भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा रहा है
कूड़ा उठाने के लिए खरीदी गई लगभग 200 ई-रिक्शा खरीद में करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया है. जिले से प्राप्त निधि से आनन-फानन में लगभग 200 ई-रिक्शा तीन गुनी अधिक कीमत में यह ई-रिक्शे खरीदे गए हैं.सामान्य तौर पर एक ई-रिक्शा 60-70 हजार रुपए में मिल जाता है, लेकिन ग्राम पंचायत ने एक ई-रिक्शा 2.50 लाख रुपए में खरीदा है. वही पंचायत वालों को ई-रिक्शा खरीदने का कोई फायदा भी नहीं मिल रहा है, इतना ही नही ग्राम पंचायत में बैठे सचिव को जिला पंचायत में बैठे
स्वच्छ भारत मिशन के अधिकारी के द्वारा जैन को काम दिलाने के लिए पूरी योजना बनाई जाती है इतना ही नही आईडी पासवर्ड लेकर जैन के चहेते विकास के माध्यम से सारे टेंडर लगाए जाते हैं जिसकी पुष्टि साइबर के माध्यम से की जा सकती है आखिर ग्राम पंचायत की आईडी दूसरी आईपी एड्रेस पर कैसे खुल रही है वो कौन है जो सारी जानकारी बिकास नामक व्यक्ति को उपलब्ध करा रहा है इतना ही नहीं एक बार फिर लगभग पचास ग्राम पंचायतों में ई रिक्शा खरीदी के टेंडर वर्मा की मिलीभगत से जैन के लिए विकास के द्वारा अपने गृह ग्राम से जारी किए गए हैं आखिर इस भ्रष्टाचार पर रोक क्यों नही लग पा रही है इस भ्रष्टाचार में कौन कौन शामिल हैं यह बड़ा सवाल है
कब जागेगा प्रशासन
जिला पंचायत यूं तो पंचायतों के मूलभूत सुविधाओं आवश्यकताओं को पूरा करने के उद्देश्य से बड़ी धनराशि खर्च करता है किन्तु जिम्मेदार है जो मूल अवधारणा से इतर काम करते नज़र आते हैं सरकार की बहुआयामी योजना है स्वच्छ भारत मिशन किन्तु इसमे भी शासन को जिम्मेदारों के द्वारा करोड़ो की आर्थिक छति पहुचाई जा रही है बीते दिनों नवागत सीईओ जिला पंचायत को पूरे मामले की जानकारी दी गई किन्तु आज तलक उनके द्वारा इस मामले में संज्ञान नही लिया गया है आखिर वर्मा और जैन का ऐसा क्या दबाब है जो जिम्मेदार इस मामले में कार्यवाही करने से बच रहे हैं
साइबर सेल से हो जांच तो विकास के खुलेंगे राज़
स्वच्छ भारत मिशन में जिला पंचायत में हो रहे भ्रष्टाचार की जड़े काफी गहरी है इसमे सचिव से शुरुआत होते हुए जिला पंचायत के वर्मा के बाद जैन का विकास नामक ब्यक्ति है जो पूरे खेल को अंजाम देता है जेम में निविदा कैसी निकालनी है ये वर्मा और जैन मिलकर तय करते हैं और इस काम को संजय नगर का विकास अंजाम देता है इस पूरे मामले की जांच साइबर सेल से कराई जाए तो टेंडर कहा से लगा किस आईपी एड्रेस से लगा विकास को आईडी पासवर्ड किसने दिया ये सब मामला सामने आ सकता है और ये कोई पहला मामला नहीं है इसके पूर्व भी ये जोड़ी कई कमाल कर चुकी हैं आवश्यकता है सिर्फ एक बार साइबर से जांच की यदि अधिकारी ने निष्पक्ष जांच की तो सारा मामला खुल सकता है

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