चार एक्सईएन और एक लेखाकार के खिलाफ जांच बैठाई गई

बलिया 15 सितम्बरः (डेस्क)बलिया जिले में जल निगम (ग्रामीण) में एक बड़ा टेंडर घोटाला सामने आया है, जिसमें अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। इस मामले में अधिशासी अभियंता जेके गुप्ता, अजीत कुमार सिंह, अरविंद्र कुमार, और वर्तमान एक्सईएन मुकीम अहमद के साथ-साथ क्षेत्रीय लेखाकार अजीत कुमार भी शामिल हैं। इन सभी पर आरोप है कि उन्होंने टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता की, जिससे जल निगम को करोड़ों रुपये का नुकसान हुआ।

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जल निगम के प्रबंध निदेशक ने इस मामले की गंभीरता को देखते हुए जल निगम झांसी के मुख्य अभियंता राकेश कुमार को जांच के लिए नामित किया है। उन्हें जांच रिपोर्ट 5 अक्टूबर तक प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। यह कदम तब उठाया गया जब यह स्पष्ट हुआ कि टेंडर प्रक्रिया में गड़बड़ी हुई है, जिससे सरकारी धन का दुरुपयोग हुआ है।

टेंडर प्रक्रिया में अनियमितता
जिले के जल निगम (ग्रामीण) में टेंडर प्रक्रिया को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि अधिकारियों ने जानबूझकर टेंडर में अनियमितता की, जिससे न केवल सरकारी धन की बर्बादी हुई, बल्कि परियोजनाओं की गुणवत्ता पर भी असर पड़ा। इस घोटाले में शामिल अधिकारियों के बीच पैसे के बंटवारे की भी चर्चा है, जिससे यह संकेत मिलता है कि यह मामला केवल एक या दो अधिकारियों तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई स्तरों पर साजिश हो सकती है।

जांच की प्रक्रिया
जांच के लिए नामित मुख्य अभियंता राकेश कुमार को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी पहलुओं की गहनता से जांच की जाए। उन्हें यह देखना होगा कि क्या टेंडर प्रक्रिया में नियमों का पालन किया गया था या नहीं। इसके अलावा, यह भी जांचा जाएगा कि क्या किसी प्रकार की मिलीभगत थी, जिससे अधिकारियों को लाभ हुआ।

अधिकारियों की प्रतिक्रिया
इस मामले पर अधिकारियों की प्रतिक्रिया भी सामने आ रही है। कुछ अधिकारियों ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा है कि यह सब राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है। वहीं, कुछ ने स्वीकार किया है कि टेंडर प्रक्रिया में कुछ कमियां हो सकती हैं, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि सभी प्रक्रियाएं नियमों के अनुसार ही की गई थीं।

जनता की प्रतिक्रिया
इस घोटाले के उजागर होने के बाद स्थानीय जनता में आक्रोश है। लोगों का कहना है कि इस प्रकार के घोटाले सरकारी तंत्र की विश्वसनीयता को कमजोर करते हैं। उन्होंने सरकार से मांग की है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं।

निष्कर्ष
बलिया में जल निगम (ग्रामीण) के टेंडर घोटाले ने न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग का मामला उजागर किया है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे कुछ अधिकारी अपनी स्वार्थी इच्छाओं के लिए सरकारी तंत्र का दुरुपयोग कर सकते हैं। अब यह देखना होगा कि जांच के बाद क्या कार्रवाई की जाती है और क्या दोषियों को सजा मिलती है। यह मामला न केवल बलिया बल्कि पूरे प्रदेश के लिए एक चेतावनी है कि सरकारी योजनाओं में पारदर्शिता और ईमानदारी बनाए रखना कितना आवश्यक है।