रूस की सबसे बड़ी कोयला कंपनी ने भारत को दिया बड़ा ऑफर, बाइडेन के धोखे के बीच पुतिन का तोहफा!

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पिछले हफ्ते अमेरिका ने पाकिस्तान को अपने एयरफोर्स को मजबूत करने के लिए 450 मिलियन डॉलर की राशि देने की घोषणा की है, जिसको लेकर भारत में काफी नाराजगी है और कहा जा रहा है, कि बाइडेन ने भारत की पीठी पर छूरा घोंपा है और इस बीच रूस ने भारत को एक और बड़ा तोहफा देने का फैसला किया है और ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, रूस की सबसे बड़ी कोयला आपूर्तिकर्ता कंपनी, साइबेरियन कोल एनर्जी कंपनी (SUEK) भारत में एक ऑफिल खोलने के लिए बातचीत कर रही है।

SUEK के सीईओ मैक्सिम बसोव ने कहा कि, पश्चिमी देशों के प्रतिबंध के बीच भारत एक शीर्ष निर्यात गंतव्य के तौर पर उभर रहा है।
SUEK के सीईओ मैक्सिम बसोव ने इकोनॉमिक टाइम्स को दिए गये एक इंटरव्यू में कहा कि, 'भारत में कंपनी का शिपमेंट, जो परंपरागत रूप से रूसी कोयले का एक छोटा आयातक रहा है, उसका आयात साल 2022 के पहले छह महीनों में बढ़कर 1.25 मिलियन टन हो गया, जो पूरे 2021 की तुलना में दोगुना है'। आपको बता दें कि, रूसी कोयला कंपनी एसयूईके, दुनिया का चौथा सबसे बड़ा कोयला आपूर्तिकर्ता कंपनी है, जो भारत में कोयले की आपूर्ति को सालाना 10 मिलियन टन तक बढ़ा सकता है, अगर उसकी सभी रसद चुनौतियों का समाधान कर दिया जाता है और ये भारत के मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर के लिए बहुत बड़ी खबर है, क्योंकि, रूसी कोयले की क्वालिटी काफी ज्यादा अच्छी होती है और उसकी डिमांड पूरी दुनिया में सबसे ज्यादा है। चीन के पास खुद का कोयला को विशाल भंडार होने के बाद भी वो उच्च गुणवत्ता वाले रूसी कोलये का आयात करता है। कंपनी के सीईओ बसोव ने हाल के हफ्तों में भारत का दौरा किया है, जहां उनकी भारत में ऑफिस खोलने को लेकर अहम बातचीत हुई है।

रूस से कम ही कोयला खरीदता रहा है भारत

कंपनी के सीईओ बसोव ने कहा कि, "एसयूईके भारत के साथ संबंध बढ़ाने में रुचि रखता है। इसलिए, कंपनी वर्तमान में भारत से व्यापार के रास्ते में आने वाली चुनौतियां, जैसे सप्लाई चेन, रसद विकल्प, डिमांड जेनरेशन और भारत में कोयले की आपूर्ति करने में लागत को कैसे कम किया जाए, इन सब मुद्दों को हल करने की कोशिश कर रही है''। बासोव ने कहा कि, ऐतिहासिक रूप से पहले भारत रूसी कोयला आपूर्तिकर्ताओं के लिए प्राथमिकता वाले बाजारों में से एक नहीं था, क्योंकि भारत में सप्लाई करने में लागत काफी ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन, यूरोपीय संघ द्वारा रूस के खिलाफ लगाए गये प्रतिबंधों की वजह से अब रूसी कंपनियों की भारतीय बाजारों में रूचि काफी बढ़ गई है और रूसी शिपमेंट भारत की तरफ काफी बढ़ रहे है। उन्होंने कहा कि, "कुछ महीनों में, पिछले साल के मुकाबले 50% या उससे अधिक की वृद्धि दर्ज की है। जहां रूस पहले प्रति वर्ष 5-7 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति करता था, अब वह हर महीने लगभग 2 मिलियन टन कोयले की आपूर्ति करता है।

भारत को क्या फायदे होंगे?

दुनिया की चौथी सबसे बड़ी कोयला कंपनी एसयूईके, जो पारिस्थितिक रूप से अनुकूल कोयले का उत्पादन करता है, वो साइबेरिया में अपनी परियोजनाओं में भारतीय प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को आमंत्रित करने के अलावा, भविष्य में भारतीय ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश का भी पता लगाएगा। भारतीय कार्यालय के उद्घाटन के बाद रूसी कोयला कंपनी ऊर्जा और धातु विज्ञान, दोनों क्षेत्रों में कई भागीदारों के साथ काम करेगी और भारतीय कोयला या ऊर्जा परियोजनाओं में निवेश करना शुरू करेगी। सूत्रों के मुताबिक, रूसी कोयला कंपनी एसयूईके, इंटरनेशनल नॉर्थ साउथ ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर (INSTC) और व्लादिवोस्तोक पोर्ट के इस्तेमाल के जरिए भारत के साथ दीर्घकालिक जुड़ाव पर नजर गड़ाए हुए है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने व्लादिवोस्तोक में पूर्वी आर्थिक मंच में अपने हालिया भाषण में इस बंदरगाह के मैक्सिमम उपयोग के लिए जोर दिया था।

दुनिया का सबसे अच्छा कोयला होने का दावा

रूसी कोयला कंपनी एसयूईके का दावा है कि, वो जिस कोयले का उत्पादन करता है, वो काफी हाई क्वालिटी की होती है और उसके कोयले की क्वालिटी को बेंचमार्क माना जाता है और उसका मार्केट अब तक जापान और यूरोप के बाजार रहे हैं, जहां पर्यावरण को लेकर कठोर नियम हैं, चाहे वो कोयले से निकलने वाली धुएं की बात हो या फिर राख की। लिहाजा, कंपनी कहती है, कि उसका कोयला दुनिया में सबसे अच्छी क्वालिटी का है, जिसका इस्तेमाल व्यावहारिक तौर पर अभी तक निर्यात संयंत्रों में होता रहा है,जहां काफी अच्छी क्वालिटी के कोयले की जरूरत होतची है। लिहाजा, कंपनी के सीईओ ने कहा कि, "मैं विश्वास के साथ कह सकता हूं कि पर्यावरणीय प्रभाव के मामले में हमारा कोयला दुनिया में सबसे स्वच्छ है ... हमारे पोर्टफोलियो में विभिन्न ग्रेड का कोयला शामिल है, जो भारतीय भागीदारों से बहुत रुचि पैदा करता है।"

भारत से परिचित हैं एसयूईके के सीईओ

एसयूईके के सीईओ बसोव भारत के लिए कोई अजनबी नहीं है और उन्होंने मास्को में एक भारतीय स्कूल में पढ़ाई की है, इसके अलावा अतीत में कई बार भारत का दौरा किया है, जिसमें एक भारतीय मठ में अद्वैत का अध्ययन भी शामिल है। रूस से भारत के कोयला आयात के लिए भुगतान तंत्र के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि, "हमारी कंपनी वर्तमान में अमेरिकी डॉलर में काम करती है, लेकिन अन्य मुद्राओं में भुगतान भी हमारे लिए एक संभावना है, खासकर जब से यह रूसी कंपनियों के खिलाफ प्रतिबंध लगाए गये हैं। भारतीय कोयला बाजार में रूसी आपूर्तिकर्ताओं के साथ लगभग आधा कारोबार चीन की युआन, सऊदी अरब की दिरहम या फिर हांगकांग की डॉलर में लेनदेन किया है और रूसी बैंकों के साथ भारतीय रुपये में कारोबार पर भी बात चल रही है।