चीनी राष्ट्रपति ब्रिक्स समिट में क्या ये बातें पीएम मोदी को सुना रहे थे

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ब्रिक्स देशों के वर्चुअल सम्मेलन में गुरुवार को चीन ने खुलकर गुटबाजी और आर्थिक प्रतिबंधों को लेकर पश्चिमी देशों पर निशाना साधा. इस सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे.

ब्रिक्स (BRICS) मतलब ब्राज़ील, रूस, इंडिया, चाइना और साउथ अफ़्रीका से है. ब्रिक्स इन्हीं पाँच देशों का गुट है. गुरुवार का इसका सालाना समिट था, जो वर्चुअल हुआ है.

14वें सम्मेलन की अध्यक्षता कर रहे चीन के राष्ट्रपति परोक्ष तौर पर नेटो और क्वॉड पर निशाना साधते हुए दिखे. अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और जापान के साथ भारत भी क्वॉड का भी हिस्सा है.

नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइज़ेशन यानी नेटो दूसरे विश्व युद्ध के बाद 1949 में बना था. इसे बनाने वाले अमेरिका, कनाडा और अन्य पश्चिमी देश थे. इसे इन्होंने सोवियत यूनियन से सुरक्षा के लिए बनाया था. तब दुनिया दो ध्रुवीय थी. एक महाशक्ति अमेरिका था और दूसरी सोवियत यूनियन.

शुरुआत में नेटो के 12 सदस्य देश थे. नेटो ने बनने के बाद घोषणा की थी कि उत्तरी अमेरिका या यूरोप के इन देशों में से किसी एक पर हमला होता है तो उसे संगठन में शामिल सभी देश अपने ऊपर हमला मानेंगे. नेटो में शामिल हर देश एक दूसरे की मदद करेगा. अब इसके सदस्य क़रीब 30 देश हैं.

चीन ने इस दौरान एकतरफ़ा आर्थिक प्रतिबंधों का विरोध करके रूस के समर्थन में भी आवाज़ उठाई. वहीं, रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने आर्थिक प्रतिबंधों का मसला उठाया.

इस सम्मेलन को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी संबोधित किया. लेकिन, उन्होंने अपने संबोधन में चीन और रूस के उठाए मसलों पर बयान ना देकर सिर्फ़ महामारी के संदर्भ में वैश्विक आर्थिक सहयोग पर बात की.

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बात सरहद पार
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चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा, ''हमें शीत युद्ध की मानसिकता और गुटबाज़ी को छोड़ना चाहिए. हमें एकतरफ़ा प्रतिबंधों और उनके दुरुपयोग का विरोध करना चाहिए. दुनिया के लिए जानना ज़रूरी है कि एक बड़े परिवार की तरह एक साझे भविष्य के साथ एक समुदाय बनाना एक्सक्लूसिव सर्कल्स (विशेष समूह) बनाने से कहीं ज़्यादा बेहतर है.''

चीन एक्सक्लूसिव सर्कल्स शब्द का इस्तेमाल अक्सर क्वॉड जैसे समूहों के लिए करता है. क्वॉड को चीन विरोधी गुट के तौर पर देखा जाता है और इसका सदस्य भारत भी है.

चीन के राष्ट्रपति अप्रत्यक्ष रूप से नेटो और क्वॉड पर निशाना साधते रहे. चीन 'शीत युद्ध वाली मानसिकताट अमेरिका के लिए इस्तेमाल करता है और गुरुवार को भी चीनी राष्ट्रपति ने इसी टर्म का इस्तेमाल कर यूएस पर निशाना साधा.

रूस और चीन अमेरिका को लेकर साथ दिखते हैं लेकिन भारत अमेरिका को लेकर रूस और चीन से समहत नहीं है. ऐसे में शी जिनपिंग ने कई ऐसी बातें पीएम मोदी के सामने कहीं जिन पर भारत की राय बिल्कुल अलग है. माना जा रहा है कि शी जिनपिंग की बातें पीएम मोदी को असहज करने वाली थीं.