ऑकस समझौता अमेरिका की चालाकी और ऑस्ट्रेलिया के लिए 'बोझ'

in #international2 years ago

_129003615_reuters.01.jpg

13 मार्च को सेन डिएगो में अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और ब्रिटेन ने आधिकारिक तौर पर ऑकस परमाणु पनडुब्बी समझौते की घोषणा की.
इसके तहत अमेरिका और ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया को परमाणु क्षमता वाली उन्नत किस्म की पनडुब्बियां देंगी.
जानकार इस समझौते को दक्षिण चीन सागर में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने की पश्चिमी मुल्कों की कोशिश मान रहे हैं.
चीनी विदेश मंत्रालय और चीनी सरकारी मीडिया में इस सुरक्षा समझौते का विरोध किया गया है.
चीनी सरकारी मीडिया ने कहा है कि इस समझौते का असर चीन और ऑस्ट्रेलिया के बीच रिश्तों में पिघल रही बर्फ़ पर पड़ेगा और इससे ऑस्ट्रेलिया पर बोझ बढ़ेगा.
एक सैन्य एक्सपर्ट्स ने कहा है कि चीन को "पनडुब्बीरोधी सिस्टम" बनाना चाहिए.

अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया के बीच ऑकस परमाणु समझौता होने के बाद लगातार दूसरे दिन चीनी विदेश मंत्री वांग वेनबिन ने आरोप लगाया है कि ये तीनों देश ताज़ा परमाणु पनडुब्बी समझौते पर हामी भरने के लिए अंतरराष्ट्रीय आणविक उर्जा एजेंसी (आईएईए) को बाध्य कर रहे हैं.

समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार 15 मार्च को हुए संवाददाता सम्मेलन में वांग वेनबिन ने कहा, "आईएईए की मौजूदा सुरक्षा व्यवस्था कारगर तरीके से इस बात की निगरानी नहीं कर सकती कि ऑस्ट्रेलिया अपने रास्ते से बहकेगा नहीं और मिल रहे परमाणु मैटीरियल का इस्तेमाल परमाणु हथियार बनाने के लिए नहीं करेगा."

उन्होंने कहा कि अमेरिका, ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया और आईएईए को ये हक़ नहीं है कि परमाणु पनडुब्बी समझौते की सुरक्षा और निगरानी को लेकर किसी तरह के 'निजी समझौते' करें.

उन्होंने कहा कि इस तरह के सौदों पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को "मिलकर विचार करना चाहिए और कोई फ़ैसला लेना चाहिए."