काबुल में भारतीय अधिकारियों से मिलने के बाद बोला तालिबान

in #international2 years ago

20220603_154220.jpgअफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के आने के बाद पहली बार भारत की ओर से आधिकारिक दौरा हुआ है। इसे भारत के रुख़ में आए परिवर्तन के तौर पर देखा जा रहा है. पिछले साल अगस्त में तालिबान ने जब अफ़ग़ानिस्तान को अपने नियंत्रण में लिया था, तब भारत ने सारे राजनयिक संबंध ख़त्म कर लिए थे।

गुरुवार भारतीय विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जे.पी. सिंह ने काबुल में अफ़ग़ानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर ख़ान मुतक्क़ी से मुलाक़ात की। विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव जे.पी. सिंह के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल भी काबुल गया था। अफ़ग़ानिस्तान के न्यूज़ चैनल टोलो न्यूज़ के मुताबिक़ भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि इस यात्रा का उद्देश्य "अफ़ग़ानिस्तान में हमारी मानवीय सहायता की डिलीवरी ऑपरेशन" की देखरेख पर बात करना था।

तालिबान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल क़हर बाल्खी ने जेपी सिंह दौरे और हुई बातचीत की जानकारी दी है। बाल्खी ने कहा कि उनके विदेश मंत्री ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल की काबुल यात्रा को अफ़ग़ानिस्तान-भारत संबंधों में 'एक अच्छी शुरुआत' कहा है। बाल्खी ने कहा, "बैठक भारत-अफ़ग़ान राजनयिक संबंधों, द्विपक्षीय व्यापार और मानवीय सहायता पर केंद्रित थी।"

इस बैठक को लेकर बाल्खी ने कई ट्वीट किए हैं। अपने ट्वीट में उन्होंने लिखा है, “जेपी सिंह ने दोनों देशों के बीच संबंधों को ऐतिहासिक बताते हुए कहा कि भारत अफ़ग़ानिस्तान की आधारभूत ढांचागत, छोटी परियोजनाओं, क्षमता निर्माण, शैक्षिक छात्रवृत्ति और मानवीय सहायता के लिए मदद करना चाहता है।”

तालिबान ने मानवीय सहायता की पेशकश करने के लिए भारत सरकार को धन्यवाद दिया और भारतीय प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि अफ़ग़ानिस्तान अपनी संतुलित विदेश नीति को ध्यान में रखते हुए, भारत के साथ एक महत्वपूर्ण क्षेत्रीय देश के रूप में राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक संबंधों को बढ़ाना चाहता है। बाल्खी ने ये भी कहा है कि “भारतीय प्रतिनिधिमंडल ने अफ़ग़ानिस्तान के प्रति अपनी ग़ैर-हस्तक्षेप नीति का आश्वासन दिया और कहा कि भारत अफ़ग़ानिस्तान के घरेलू मामलों में हस्तक्षेप नहीं करेगा।”

“तालिबान सरकार में उप-विदेश मंत्री स्टानिकज़ई ने भारतीय प्रतिनिधिमंडल को आश्वासन दिया कि अफ़ग़ान-भारत संबंध आपसी सम्मान और संयुक्त द्विपक्षीय हितों के आधार पर आगे बढ़ेंगे, और अन्य देशों की अंतर-प्रतिद्वंद्विता से प्रभावित नहीं होंगे।”