एससीओ की बैठक में पीएम मोदी, राष्ट्रपति पुतिन और शी जिनपिंग क्या बोले

in #international2 years ago

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उज़्बेकिस्तान के शहर समरकंद में शुक्रवार को हो रहे शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की शिखर बैठक में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन संकट और महामारी का ज़िक्र किया और कहा कि इस कारण दुनिया के देश खाद्य संकट से जूझ रहे हैं.

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने कहा कि पाकिस्तान में शांति स्थापित हो इसके लिए ज़रूरी है कि उसके पड़ोसी अफ़ग़ानिस्तान में शांति रहे.

सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने सदस्य देशों के लिए विशेष खेलों के आयोजन पर ज़ोर दिया. वहीं चानी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने कहा कि आतंकवाद विरोधी अभियान को बढ़ावा देने के लिए चीन दो हज़ार सुरक्षाकर्मियों की ट्रेनिंग का आयोजन करेगा.

दो दिन के इस सम्मेलन में मोदी के अलावा चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़, उज़्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शवकत मिर्ज़ियोयेव, बेलारूस के राष्ट्रपति एलेक्ज़ेंडर लुकाशेन्को, किर्गिस्तान के राष्ट्रपति सदर जापारोव और कज़ाख़स्तान के राष्ट्रपति कासिम जोमार्ट तोकायेव शामिल हुए. इस बैठक में किसने क्या कहा आइए जानते हैं-

एससीओ सम्मेलन

एससीओ सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, "महामारी के बाद पूरा विश्व आर्थिक रिकवरी की चुनौती का सामना कर रहा है. एससीओ के देश वैश्विक जीडीपी में 30 फ़ीसदी का योगदान देते हैं और दुनिया की 40 फ़ीसदी जनसंख्या इन्हीं देशों में रहती हैं. भारत सदस्य देशों के बीच अधिक सहयोग और आपसी विश्वास का समर्थन करता है."

उन्होंने कहा, "महामारी और यूक्रेन संकट से ग्लोबल सप्लाई चेन में कई बाधाएं पैदा हुई हैं जिसके कारण विश्व अभूतपूर्व ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रहा है. एससीओ को हमारे क्षेत्र में विश्वस्त, रेज़िलिएंट और डाइवर्सिफ़ाइड सप्लाई चेन विकसित करने की कोशिश करनी चाहिए. इसके लिए बेहतर कनेक्टिविटी की ज़रूरत होगी, लेकिन ये भी होता कि हमारे सदस्य देश एक-दूसरे को ट्रांज़िट का पूरा हक़ दें."

उन्होंने कहा कि वो भारत को एक मैन्युफ़ैक्चरिंग हब बनाने की कोशिश कर रहे हैं. पीएम मोदी ने कहा, "भारत की अर्थव्यवस्था में इस साल 7.5 फीसदी की वृद्धि की उम्मीद है जो दुनिया की कई बड़ी अर्थव्यवस्था में सबसे अधिक होगी."

मोदी ने मिलेट्स यानी बाजरे (एक तरह का मोटा अनाज) का भी ज़िक्र किया और कहा, "विश्व के देश खाद्य चुनौती का सामना कर रहे हैं जिससे निपटने का एक रास्ता मिलेट्स हो सकता है. ये पुराने वक्त से मिलने वाला एक तरह का सुपरफ़ूड है जिसकी खेती में कम लागत लगती है. ये एससीओ देशों के अलावा दूसरे देशों में हज़ारों सालों से उगाया जाता है. हमें अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स फ़ूट फ़ेस्टिवल के आयोजन पर विचार करना चाहिए."

एससीओ देशों के बीच पारंपरिक दवाओं पर सहयोग बढ़ाना चाहिए. इसके लिए भारत पारंपरिक दवाओं पर एक नया एससीओ वर्किंग ग्रुप बनाने की पहल करेगा.