भीमा कोरेगांव मामला: 3 महीने के भीतर आरोप तय करने पर लो फैसला, NIA से बोला सुप्रीम कोर्ट
सुप्रीम कोर्ट ने भीमा कोरेगांव हिंसा मामले की सुनवाई कर रही राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत को सख्त निर्देश देते हुए कहा है कि वह आरोपियों के खिलाफ तीन महीने के भीतर आरोप तय करने पर फैसला ले। दरअसल NIA ने हिंसा मामले में कथित माओवादी लिंक को लेकर आरोपियों पर गतिविधि रोकथाम अधिनियम, 1967 (UAPA) के तहत मामला दर्ज किया है। अब शीर्ष अदालत ने NIA कोर्ट को UAPA के तहत आरोप तय करने को लेकर तीन महीने का वक्त दिया है।
सुप्रीम कोर्ट ने एनआईए कोर्ट को निर्देश दिया कि वह मामले में आरोपी द्वारा दायर आरोपमुक्ति आवेदनों पर भी एक साथ फैसला करे। पीठ ने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को भीमा कोरेगांव मामले में फरार अन्य आरोपी व्यक्तियों से कार्यकर्ता गोंजाल्विस के मुकदमे को अलग करने के लिए उपयुक्त कदम उठाने का निर्देश दिया। मामले के चार आरोपियों को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है। इस पर न्यायमूर्ति यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पीठ ने एनआईए से कहा कि वह पहले से गिरफ्तार किए गए 15 आरोपियों के मुकदमे को अलग करने के लिए निचली अदालत का दरवाजा खटखटाए ताकि सुनवाई शुरू हो सके। साथ ही फरार आरोपितों को भगोड़ा घोषित कराने के लिए भी कदम उठाएं।
न्यायमूर्ति यू यू ललित और न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट की पीठ गुरुवार को मामले में जमानत की मांग करने वाले एक आरोपी वर्नोन गोंजाल्विस की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बॉम्बे हाईकोर्ट ने पहले उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अदालत ने कहा कि कुछ आरोपियों ने आरोपमुक्त करने के लिए भी आवेदन दायर किए हैं और निर्देश दिया है कि उन पर भी एक साथ फैसला किया जाए। कोर्ट ने कहा, "पूरी कवायद तीन महीने में कीजिए।"
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