भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में क्या महत्व है 9 अगस्त का

in #indian2 years ago

भारत के इतिहास (Indian History) में 9 अगस्त का दिन कई घटनाओं के लिए याद किया जाता है. इनमें 1942 को अगस्त क्रांति दिवस (August Karnti Diwas) और भारत छोड़ो आंदोलन के फैसले का अगले दिन सबसे प्रमुख है. इसी दिन भारत छोड़ो आंदोलन शुरू हुआ था और महात्मा गांधी ने करो या मरो का नारा दिया था जिसके बाद उनकी गिरफ्तारी हो गई थी. इसी दिन 1925 में क्रांतिकारियों ने काकोरी षड़यंत्र (Kokori Conspiracy) को अंजाम देकर अंग्रेजी हुकूमत की चूलें हिला दी थीं.
इस साल भारत की आजादी (Indian Independence) की 75वीं वर्षगांठ होने से अगस्त के महीने का महत्व ज्यादा हो गया है. इस महीने में 9 अगस्त की तारीख का विशेष महत्व है. 8 अगस्त 1942 भारत छोड़ो आंदोलन (Quit India Movement) चलाने का फैसला किया गया और इसकी जमीनी स्तर पर शुरुआत इसके अगले दिन 9 अगस्त को हुई थी जिसे अगस्त क्रांति दिवस (August Kranti Diwas) के रूप में मनाया जाता है. इस दिन साल 1925 में मशहूर काकोरी घटना को अंजाम दिया गया था और साल 1947 में कलकत्ता में दंगे भड़के थे जिसके बाद गांधी जी वहां चले गए थे और आजादी के दिन भी वहीं रहे थे.ऐलान के बाद का अगला दिन
साल 1942 में अगस्त के महीने में 8 तारीख को कांग्रेस ने बंबई अधिवेशन में महात्मागांधी के नेतृत्व में भारत छोड़ो आंदोलन शुरू करने का संकल्प पारित किया था. इसके अगले दिन या 9 अगस्त के देश भर के लोग इससे जुड़ गए थे और इस आंदोलन ने तुरंत ही जोर पकड़ लिया था. इसी दिन महात्मा गांधी ने मशहूर करो या मरो का नारा दिया था. इसी दिन महात्मा गांधी को गिरफ्तार भी कर लिया था.

बेमिसाल आंदोलन
इस आंदोलन ने पूरे देश के लोगों को आपस में जोड़ने में अहम भूमिका निभाई थी. हालांकि यह आंदोलन 1944 तक दबा दिया गया था. लेकिन इस आंदोलन में देशवासियों ने एकता, सक्रियता, साहस, धैर्य और सहनशीलता की शानदार मिसाल पेश की थी. बताया जाता है कि यही आंदोलन था जिसके बाद अंग्रेजों ने वाकई भारत छोड़ने पर गंभीरता से विचार किया था, जबकि इस फैसले के पीछे कई अंतरराष्ट्रीय घटनाक्रमों की भी भूमिका थी.

उस 9 अगस्त की अहमियत
इस आंदोलन की 50वीं वर्षगांठ पर राम मनोहर लोहिया ने 9 अगस्त के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा था कि 9 अगस्त का दिन हम भारतवासियों के लिए महान घटना है और हमेशा बनी रहेगी…. 9 अगस्त देशकी जनताकी उस इच्छा की अभिव्यक्ति थी जिसमें उसने यह ठान लिया था कि हमें आजादी चाहिए और हम आजादी को लेकर रहेंगे.काकोरी कांड की घटना
9 अगस्त का भारत के इतिहास में एक और महत्व है. इसी दिन भारत के क्रांतिकारी सपूतों ने काकोरी में ट्रेन से जा रहे अंग्रेजों के खजाने को लूटने की घटना को अंजाम दिया था और अंग्रेजों की नीदें उड़ा कर रख दी थी. इस घटना के बाद ही अंग्रेज क्रांतिकारियों के पीछे हाथ धो कर पड़ गए थे. घटना के तीन महीने के भीतर लगभग सभी क्रांतिकारियों को गिरफ्तार कर लिया गया था और उन पर देशद्रोह का मुकदमा चलाया गया था.अंग्रेजों को ही लूटने का इरादा
इस घटना से पहले हिंदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन के क्रांतिकारियों ने देश के अमीरों के लूटने का सोचा था, लेकिन इस काम में उन्हें लोगों की नाराजगी झेलनी पड़ी और उन्होंने अंग्रेजों को ही लूटने का फैसला किया जिससे वे ब्रिटिश हुकूमत के खिलाफ संघर्ष के लिए हथियार खरीद सकें. इस डकैती में जर्मनी में बने चार माउजर पिस्तौल का उपयोग कर केवल दस लोगों ने इस लूट को सफलता पूर्वक अंजाम दिया था.

केवल 10 लोगों का था ये काम
एसोसिएशन के प्रमुख राम प्रसाद बिस्मिल ने इस लूट की योजना बनाई और उसके मुताबिक दल के प्रमुख सदस्य राजेंद्र लाहिड़ी ने 9 अगस्त 1925 को काकोरी रेलवे स्टेशन पर सहारनपुर-लखनऊ पैसेंजर ट्रेन की चेन खींच कर गाड़ी को रोका. इसके बाद बिस्मिल के नेतृत्व में अशफाक उल्ला खान, चंद्रशेखर आजाद और छह अन्य सहयोगियों ने गाड़ी पर धावा बोल कर सरकीर खजाना लूट लिया.40 क्रांतिकारियों को सजा
अंग्रोजों ने इस मामले में कुल 40 क्रांतिकारियों को गिरफ्तार किया और उनके खिलाफ सशस्त्र युद्ध छेड़ने, सरकारी खजाना लूटने और यात्रियों की हत्या करने का प्रकरण चलाया. इसके तहत राम प्रसाद बिस्मिल, राजेंद्र लाहिड़ी, अशफाकउल्ला और ठाकुर रोशन सिंह को फांसी की सजा सुनाई गई जबकि 16 अन्य को 4 साल कैद से लेकर काले पानी की सजा सुनाई गई थीसब जानते हैं 15 अगस्त 1947 को आजादी का जश्न मनाने के लिए गांधी जी दिल्ली में नहीं थे. वे कलकत्ता में हिंदू मुस्लिम दंगों को रोकने का प्रयास कर रहे थे. ये दंगे 9 अगस्त 1947 को ही भड़के थे और इसी दिन बापू भी दंगे रोकने के लिए कलकत्ता रवाना हो गए थे. जबकि गांधी जी को आगाह भी किया गया था कि वे कलकत्ता ना जाएं क्योंकि दंगाई उन्हें भी निशाना बना सकते हैं. लेकिन गांधी जी नहीं माने.
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