देशभर में जालसाजों ने जारी किया है दो हजार से अधिक स्मार्ट ड्राइविंग लाइसेंस

in #india2 years ago

Screenshot_2022-08-25-08-41-14-29_40deb401b9ffe8e1df2f1cc5ba480b12.jpgपडरौना। कई प्रदेशों में वाहनों का फर्जी आरसी पेपर, आर्मी मूवमेंट का परमिट और स्मार्ट डीएल बनाने वालों ने दो हजार से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस जारी किया है। इनके संपर्क में आसपास के जिलों के अलावा दूसरे राज्यों या फिर वहां काम-धंधा करने वाले लोग थे। यही वजह है कि टूर ट्रैवल्स की आड़ में संचालित जालसाजी के इस केंद्र से यूपी-बिहार के साथ-साथ महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और केरल राज्य का भी लाइसेंस जारी हुआ है। एक ड्राइविंग लाइसेंस के लिए जालसाज दो से 20 हजार रुपये तक वसूलते थे।यूपी-बिहार की सीमा पर बैठकर देश भर में फर्जी स्मार्ट डीएल, आरसी पेपर आदि मुहैया कराने वालों के पास से पुलिस को चौंकाने वाली जानकारियां मिलीं हैं। जानकारी मिली है कि जालसाजों ने उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और केरल राज्य के स्मार्ट डीएल तैयार कर जरूरतमंदों में मुहैया कराया है। यूपी, बिहार में 50-50 के आसपास जबकि पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, हरियाणा, दिल्ली और केरल राज्य में एक हजार से अधिक डीएल जारी हुए हैं। फर्जी डीएल बनवाने वालों में ट्रक चालक और अपराधी शामिल हैं। अपराधी इस फर्जी स्मार्ट डीएल के आधार पर दूसरे राज्यों में सिम कार्ड जारी कराते थे। हरियाणा व महाराष्ट्र राज्य के ऐसे चालक जिनका लाइसेंस रद कर दिया गया है, वे यहां 15 से 20 हजार रुपये देकर फर्जी स्मार्ट डीएल बनवाते थे।

लूट की घटना के पर्दाफाश के बाद हुई गिरोह की जानकारी

20 जून 2022 को तरयासुजान के गोपालपुर के पास तमकुही-सिसवा नाहर मार्ग पर बाइक सवार बदमाशों ने ग्राहक सेवा केंद्र चलाने वाले विनोद तिवारी को चाकू घोंपकर झोले में रखी नकदी लूट ली थी। पांच जुलाई को पुलिस ने लूट में शामिल तीनों बदमाशों को गिरफ्तार कर घटना का पर्दाफाश कर दिया। बदमाशों के पास मिले मोबाइल में प्रयोग किए जा रहे सिमकार्ड बिहार के पाए गए थे। छानबीन में फर्जी स्मार्ट डीएल के जरिए सिमकार्ड जारी होने की बात सामने आई। तभी से पुलिस उस गिरोह तक पहुंचने में जुट गई, जहां से फर्जी स्मार्ट डीएल बनाने का कारोबार संचालित हो रहा था।

ग्राहक बन पहुंचे पुलिसकर्मी को तीसरी बार में मिली हरी झंडी
शातिरों तक पहुंचने के लिए साइबर सेल व पुलिस टीम को एक माह से अधिक समय लगा। शातिरों की कारगुजारी को देखने व परखने के लिए टीम ने फर्जी स्मार्ट डीएल बनवाने के लिए सादे वेश में एक पुलिसकर्मी को भेजा। शातिरों ने इन्कार करते हुए उसे वापस लौटा दिया। एक सप्ताह बाद पुलिसकर्मी फिर पहुंचा तो भी उसे सफलता नहीं मिली। 20 दिन बाद पुलिसकर्मी ने केंद्र पहुंचकर बिहार राज्य के स्मार्ट डीएल की सख्त आवश्यकता होने की बात बताई। काफी पूछताछ करने के बाद शातिर तैयार हुए और दो हजार रुपये जमा करने को कहे।

पुलिस अधीक्षक धवल जायसवाल ने बताया कि जिन लोगों के नाम फर्जी स्मार्ट डीएल, आरसी पेपर आदि तैयार किए गए हैं, उनके बारे में गहराई से छानबीन की जा रही है। शातिरों के विरुद्ध गैंगस्टर की कार्रवाई की जाएगी।

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