तलाकशुदा की बढ़ती संख्या हमारे समाज के लिए खतरा, लिव-इन संबंध के मकड़जाल में फंसा युवा: हाई कोर्ट

in #india2 years ago

अदालत ने नौ साल के वैवाहिक संबंधों के बाद किसी अन्य महिला के साथ कथित प्रेम संबंधों के कारण अपनी पत्नी और तीन बेटियों को छोड़ने वाले व्यक्ति की तलाक की याचिका खारिज करते हुए कहा कि ‘ईश्वर की धरती’ कहा जाने वाला केरल एक समय पारिवारिक संबंधों के अपने मजबूत ताने-बाने के लिए जाना जाता था।उच्च न्यायालय ने हाल में टिप्पणी की कि ऐसा लगता है कि केरल में वैवाहिक संबंध ‘इस्तेमाल करो और फेंक दो’ की उपभोक्ता संस्कृति से प्रभावित हैं तथा ‘लिव-इन’ संबंधों और तुच्छ या स्वार्थ के आधार पर तलाक लेने के चयन के मामलों में बढ़ोतरी से यह साबित होता है। अदालत ने टिप्पणी की कि युवा पीढ़ी विवाह को स्पष्ट रूप से ऐसी बुराई के रूप में देखती है, जिसे बिना दायित्वों के आजादी वाले जीवन का आनंद लेने के लिए टाला जाना चाहिए। न्यायमूर्ति ए मोहम्मद मुस्ताक और न्यायमूर्ति सोफी थॉमस की पीठ ने कहा, ‘‘वे (युवा पीढ़ी) ‘वाइफ’ (पत्नी) शब्द को ‘वाइज इन्वेस्टमेंट फॉर एवर’ (सदा के लिए समझदारी वाला निवेश) की पुरानी अवधारणा के बजाय ‘वरी इन्वाइटेड फोर एवर’ (हमेशा के लिए आमंत्रित चिंता) के रूप में परिभाषित करते हैं।’’ पीठ ने कहा, ‘‘लिव-इन संबंध के मामले बढ़ रहे हैं, ताकि वे अलगाव होने पर एक-दूसरे को अलविदा कह सकें।’’ जब स्त्री एवं पुरुष बिना विवाह किए पति-पत्नी की तरह एक ही घर में रहते हैं, तो उसे ‘लिव-इन’ संबंध कहा जाता है।