गंगा दशहरा पर मिलेगी 10 पापों से मुक्ति, 4 विशेष योग से बढ़ा गंगा दशहरा का महत्व

in #india2 years ago

10170.jpg

रायपुरः ज्येष्ठ माह की शुक्ल पक्ष की दशमी को गंगा दशहरा मनाया जाता है। स्कंदपुराण के अनुसार गंगा दशहरा को व्यक्ति को किसी भी पवित्र नदी में स्नान, ध्यान तथा दान करना चाहिए। इससे वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है। यदि कोई मनुष्य पवित्र नदी तक नहीं जा पाता, तब वह अपने घर के पास की किसी नदी पर स्नान करे। इस दिन दान और स्नान का ही अत्यधिक महत्व है। इस पवित्र नदी में स्नान करने से दस प्रकार के पाप नष्ट होते
भगीरथी की तपस्या के बाद जब गंगा माता धरती पर आती हैं, उस दिन ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि थी। गंगा माता के धरती पर अवतरण के दिन को ही गंगा दशहरा के नाम से पूजा जाना जाने लगा। इस दिन गंगा नदी में खड़े होकर जो गंगा स्तोत्र पढ़ता है, वह अपने सभी पापों से मुक्ति पाता है। गंगा दशहरा के दिन श्रद्धालु जिस भी वस्तु का दान करें उनकी संख्या दस होनी चाहिए और जिस वस्तु से भी पूजन करें उनकी संख्या भी दस ही होनी चाहिए। ऐसा करने से शुभ फलों में और अधिक वृद्धि होती है।

ज्येष्ठ शुक्ल दशमी के दिन गंगा स्नान करने से व्यक्ति के दस प्रकार के पापों का नाश होता है। इन दस पापों में तीन पाप कायिक, चार पाप वाचिक और तीन पाप मानसिक होते हैं। इन सभी से व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।
इस दिन पवित्र नदी गंगा जी में स्नान किया जाता है। यदि कोई मनुष्य वहां तक जाने में असमर्थ है, तब अपने घर के पास किसी नदी या तालाब में गंगा मैया का ध्यान करते हुए स्नान कर सकता है। गंगा जी का ध्यान करते हुए षोडशोपचार से पूजन करना चाहिए। गंगा जी का पूजन करते हुए निम्न मंत्र पढ़ना चाहिए- “ऊँ नमः शिवायै नारायण्यै दशहरायै गंगायै नमः”

ये भी पढ़ें- गंगा सप्तमी पर करें यह उपाय, धुल जाएंगे पाप और मिलेगा सौभाग्य
इस मंत्र के बाद “ऊँ नमो भगवते ऐं ह्रीं श्रीं हिलि हिलि मिलि मिलि गंगे मां पावय पावय स्वाहा” मंत्र का पांच पुष्प अर्पित करते हुए गंगा को धरती पर लाने भगीरथी का नाम मंत्र से पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही गंगा के उत्पत्ति स्थल को भी स्मरण करना चाहिए। गंगा जी की पूजा में सभी वस्तुएं दस प्रकार की होनी चाहिए। जैसे दस प्रकार के फूल, दस गंध, दस दीपक, दस प्रकार का नैवेद्य, दस पान के पत्ते, दस प्रकार के फल होने चाहिए।

Sort:  

Good