जब कलाम को राष्ट्रपति बनाने के लिए मुलायम ने चला दांव, कांग्रेस भी नहीं कर पाई थी इनकार..

in #india2 years ago

नई दिल्ली: देश को जल्द ही नया राष्ट्रपति (President Election 2022) मिलने वाला है। वर्तमान राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का कार्यकाल जुलाई में खत्म होने जा रहा है। राष्ट्रपति चुनाव से जुड़े कई दिलचस्प किस्से हैं लेकिन 2002 का राष्ट्रपति चुनाव कई मायनों में खास रहा। तब देश की दो धुर विरोधी पार्टियां एक मत हो गई थीं और एक-दूसरे का समर्थन करते हुए देश का राष्ट्रपति चुना था। इसी चुनाव में देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री ने फोन करके राष्ट्रपति उम्मीदवार की अनुमति मांगी थी। यह किस्सा देश के 11वें राष्ट्रपति अब्दुल कलाम से जुड़ा है-

Rashtrapati chunav

जुलाई 2002 में तत्कालीन राष्ट्रपति केआर नारायणन का कार्यकाल समाप्त होने वाला था। उस वक्त केंद्र में अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार सत्ता में थी। हालांकि एनडीए के पास इतना बहुमत नहीं था कि वह अपनी पसंद का राष्ट्रपति चुन पाती। उसे विपक्ष के साथ की जरूरत थी।

कलाम के नाम पर सबसे पहले आगे आए मुलायम

तब वाजपेयी ने मुस्लिम उम्मीदवार को उतारने का दांव चला था। सूत्रों के अनुसार, तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने बीजेपी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी से मुलाकात की और मिसाइल मैन एपीजे अब्दुल कलाम के नाम को राष्ट्रपति के रूप में प्रस्तावित करने की इच्छा जताई।

हालांकि बीजेपी के पास कलाम की उम्मीदवारी का समर्थन करने के लिए पर्याप्त संख्याबल नहीं थे। तब सपा संरक्षक मुलायम सिंह यादव ही थे जिन्होंने सबसे पहले कलाम के नाम पर सहमति जताई थी।

मुलायम के वैज्ञानिक सलाहकार थे कलाम
हालांकि खुद मुलायम सिंह यादव कई मौकों पर यह कहते आए हैं कि उन्होंने ही सबसे पहले कलाम की दावेदारी पेश की थी जिसके बाद सभी विपक्षी दलों ने उनका समर्थन किया था और कलाम राष्ट्रपति बने थे। दरअसल मुलायम कलाम को तबसे जानते थे जब वह केंद्र में रक्षा मंत्री थे। तब कलाम उनके वैज्ञानिक सलाहकार भी थे और कलाम पर लिखी एक पुस्‍तक के अनुसार, मिसाइल मैन उस दौरान कभी- कभी मुलायम से हिंदी सीखा करते थे।

मुलायम ने पलट दी पूरी कहानी

इस बारे में वरिष्ठ पत्रकार सिद्धार्थ कलहंस ने एनबीटी ऑनलाइन से बताया, 'मुलायम पहले विपक्षी नेता थे जिन्होंने कलाम के नाम का समर्थन किया था। तब विपक्ष काफी मजबूत हुआ करता था। राज्यों के विधायकों का और खासकर यूपी के विधायकों के वोटों के हिसाब से एनडीए का पलड़ा कमजोर था। लेकिन मुलायम ने सबसे पहले आगे आकर समर्थन कर दिया था। उसके बाद पूरी कहानी पलट गई थी और लगभग सभी दलों को सहमति देनी पड़ी थी क्योंकि एनडीए की स्थिति मजबूत हो गई थी।'

इसलिए कलाम को उम्मीदवार बनाना चाहता था NDA
कलाम को उम्मीदवार बनाने के पीछे एनडीए की नीति के बारे में वरिष्ठ पत्रकार ने बताया, 'कलाम को राष्ट्रपति उम्मीदवार बनाने के पीछे कई कारण थे। पहला पोखरण परीक्षण को लेकर राजनैतिक माइलेज लेना था, दूसरा कलाम एक सम्मानीय चेहरा थे और तीसरा एनडीए को लगता था कि कलाम के नाम पर विपक्ष एकजुट हो जाएगा।'

जब लेक्चर दे रहे थे कलाम, तभी पीएमओ से आया कॉल
कलाम की राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारी को लेकर एक और दिलचस्प किस्सा है। तत्कालीन पीएम अटल बिहारी वाजपेयी ने उन्हें फोन करके उनकी सहमति मांगी थी। कलाम चेन्नई की अन्ना यूनिवर्सिटी में अपना लेक्चर दे रहे थे। इसी दौरान पीएमओ से कॉल आया। दूसरी ओर से आवाज आई की पीएम वाजपेयी कलाम साहब से बात करेंगे।

'मुझे आपकी सिर्फ हां चाहिए, ना नहीं'
कुछ देर बाद वाजपेयी की आवाज कलाम को सुनाई दी। वाजपेयी ने कलाम से कहा कि 'मैं ऑल पार्टी मीटिंग से आया हूं और वहां सारी पार्टियां आपको देश के राष्ट्रपति के रूप में देखना चाहती हैं। मुझे आपकी सहमति चाहिए और इसका ऐलान रात को होना है। मुझे आपसे सिर्फ हां ही चाहिए, ना नहीं।' इस पर कलाम ने दो घंटे का वक्त मांगा। दो घंटे बाद कलाम ने सहमति दी और वाजपेयी से कहा कि वो सभी दलों की ओर से उम्मीदवार बनना चाहते हैं।

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