सेना में जाते-जाते कैसे क्रिकेट के स्विंग किंग बन गए भुवी, जानें अनसुने राज

in #india2 years ago

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क्रिकेट की तीनों पारूप में अपने पहले शिकार को क्लीन बोल्ड करने वाले, साथ ही पांच-पांच विकेट लेने का कारनामा करने वाले भारतीय क्रिकेट टीम के तेज गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar) ने हाल ही में एशिया कप में अफगानिस्तान के खिलाफ मैच में केवल 4 ओवर में 5 विकेट लेकर टी20 क्रिकेट में सबसे अधिक विकेट लेने का रिकॉर्ड भी अपने नाम कर लिया.

साथ ही अफगानिस्तान के खिलाफ इस शानदार प्रदर्शन के बाद टी20 इंटरनेशनल में भुवी के 84 विकेट हो गए हैं. वह यजुवेंद्र चहल को पीछे छोड़कर टी20 इंटरनेशनल में भारत के लिए सबसे ज्यादा विकेट लेने वाले गेंदबाज बन गए हैं. भुवनेश्वर कुमार के नाम सचिन तेंदुलकर को प्रथम श्रेणी क्रिकेट में पहली बार शून्य पर आउट करने का रिकॉर्ड भी है, क्या आपको पता की वह बचपन में सेना में जाना चाहते थे. आज हम इस ऑर्टिकल में जानेंगे सेना में जाते-जाते कैसे क्रिकेट के स्विंग किंग बन गए भुवी और उनके अनसुने राज.

खबर में खास

पांच फरवरी 1990 में मेरठ में हुआ जन्म
पिता यूपी पुलिस में उपनिरीक्षक, मां हाउस वाइफ
बचपन से क्रिकेट का शौक
गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की कला
भुवनेश्वर ने कहा कि वह सेना में होते
पांच फरवरी 1990 में मेरठ में हुआ जन्म

पांच फरवरी 1990 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में जन्मे भुवी के अनुसार उनके घरवाले शुरू में उनके क्रिकेट खेलने के खिलाफ थे. उनका मानना था कि पढ़-लिखकर ही जीवन में आगे बढ़ने के मौके हासिल होते हैं, लिहाजा उन्हें पढ़ाई को पूरा समय देने के बाद ही क्रिकेट खेलने की इजाजत थी. उन्होंने हाल ही में एक टेलीविजन कार्यक्रम के दौरान कहा था, ''अंडर 15 टीम में चयन के बाद परिवार वालों को लगा कि लड़का कुछ कर जाएगा, लेकिन साथ ही यह डर भी था कि अगर सफल नहीं हुआ तो क्या करेगा. क्रिकेट के चक्कर में पढ़ाई तो ज्यादा की नहीं और अगर क्रिकेट में भी ज्यादा कुछ नहीं कर पाया तो क्या होगा.''

पिता यूपी पुलिस में उपनिरीक्षक, मां हाउस वाइफ

भुवनेश्वर के पिता किरण पाल सिंह उत्तर प्रदेश पुलिस में उपनिरीक्षक रहे और मां इंद्रेश घर संभालती थीं. उनके पिता अपने पुत्र के क्रिकेट के शौक को पूरा करने के लिए चाहकर भी समय नहीं निकाल पाते थे और मां को खेल के बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं था. ऐसे में उनकी बड़ी बहन रेखा ने खेल के प्रति उनके जज्बे को पहचाना और वह 12 साल की उम्र में उन्हें कोचिंग के लिए लेकर जाती थीं.

बचपन से क्रिकेट का शौक

22 साल की उम्र में भारत की टी20 टीम में चुने जाने पर उत्तर प्रदेश के इस ऑल राउंडर ने टीम इंडिया में पहुंचने की अपनी उपलब्धि के लिए अपने माता-पिता के साथ-साथ अपनी बहन को भी धन्यवाद दिया था. भुवी बताते हैं कि क्रिकेट का शौक तो उन्हें बचपन से ही था और पार्क में अकसर वह दोस्तों के साथ क्रिकेट खेला करते थे. 12-13 साल की उम्र में उन्होंने और उनके कुछ दोस्तों ने तय किया कि अब गली मोहल्ले में खेलने की बजाय स्टेडियम में जाकर खेलना होगा. स्थानीय स्टेडियम घर से सात-आठ किलोमीटर के फासले पर था.

गेंद को दोनों तरफ स्विंग कराने की कला

गेंद को विकेट के दोनों तरफ स्विंग करने वाले दुनिया के चंद गिने-चुने गेंदबाजों में शुमार भुवनेश्वर कुमार (Bhuvneshwar Kumar) को कई बार चोट लगने के कारण टीम से बाहर होना पड़ा. इस बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि शुरू में उनकी गेंदें स्विंग तो होती थीं, लेकिन उनमें बहुत ज्यादा तेजी नहीं होती थी. उनके अनुसार, ऐसे में बल्लेबाज कुछ समय बाद उनकी गेंदों को भांप जाते थे लिहाजा उन्होंने अपनी गेंदों की गति बढ़ाने का फैसला किया और इस पर बहुत मेहनत की. इस वजह से और कुछ और कारणों से कई बार चोट लगी और टीम से बाहर होना पड़ा.

भुवनेश्वर ने कहा कि वह सेना में होते

किसी भी गेंदबाज की गेंदों की वेरिएशन को उसका सबसे बड़ा हथियार मानने वाले भुवनेश्वर का कहना है कि हर खिलाड़ी टीम इंडिया के लिए खेलना चाहता है और जब टीम में चुन लिया जाता है तो अपनी टीम की जीत में योगदान देने के लिए अपनी जान लगा देता है, लेकिन कई बार हालात और किस्मत साथ नहीं देते. यह पूछे जाने पर कि अगर क्रिकेट में नहीं होते तो किस पेशे से जुड़े होते, भुवनेश्वर ने कहा कि वह सेना में होते. भुवी के अनुसार, ''उनके पिता पुलिस में रहे और परिवार के कई लोग सेना में भी हैं, लिहाजा जब वह बहुत छोटे थे तो सेना में जाने के बारे में सोचा करते थे, लेकिन जब क्रिकेट की तरफ रुझान बढ़ा तो बस फिर उसी के होकर रह गए.''