हिंदू-मुसलमान या सिर्फ हिंदुस्तान, भागवत के बयान पर क्या सोचती है ब्यूरोक्रेसी?
भागवत के बयान को लेकर अमर उजाला ने कूटनीति, विदेश नीति और अर्थ नीति के जानकारों से बातचीत की। साथ ही, जानने की कोशिश की कि इस मसले पर उनकी क्या राय है?
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के बाद अगर कुछ चर्चा में है तो वह है वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद। यहां शिवलिंग मिलने के बाद माहौल काफी ज्यादा गरमा गया। इस बीच राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने बड़ा बयान दिया। उन्होंने कहा कि हम हर मस्जिद में शिवलिंग क्यों देखें? भागवत के इस बयान के बाद दो धड़े बंट गए। एक भागवत के पक्ष में हैं तो दूसरा उनके बयान का विरोध कर रहा है। ऐसे में अमर उजाला ने कूटनीति, विदेश नीति और अर्थ नीति के जानकारों से बातचीत की। साथ ही, जानने की कोशिश की कि इस मसले पर उनकी क्या राय है?
विदेश मंत्रालय के अफसर खुश, देव बंद उलेमा ने किया स्वागत
संघ प्रमुख के बयान पर विदेश मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि ऐसा हो जाए तो इससे अच्छा कुछ नहीं हो सकता। विदेश मंत्रालय के सूत्र कहते हैं कि यदि देश में हिंदू बनाम मुसलमान का माहौल खत्म हो जाएगा तो अर्थव्यवस्था की गाड़ी तेजी से पटरी पर लौटेगी। उधर, देवबंद के उलेमा मौलाना असद कासमी ने भी भागवत के बयान का स्वागत किया। कासमी के मुताबिक, अगर हम मंदिर-मस्जिद की लड़ाई में उलझे रहेंगे तो भाईचारा कमजोर होने का खतरा बढ़ता चला जाएगा।
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