मौसम के गणित को बिगाड़ रहा है जलवायु परिवर्तन, दुनिया भर की मौसम एजेंसियों के सामने बड़ी चुनौती

in #india2 years ago

IMD director general mrutyunjay mahapatra on weather pridiction: भारत मौसम विभाग के महानिदेश मृत्युंजय महापात्रा ने कहा जलवायु परिवर्तन ने जिस तरह से दुनिया को प्रभावित किया है, उससे मौसम के पूर्वानुमानों की क्षमता भी प्रभावित हुई है. ऐसे में मौसम की सटीक भविष्यवाणी करना दुनिया भर की मौसम एजेंसियों के सामने एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आई है.
नई दिल्ली. भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा है कि जलवायु परिवर्तन ने मौसम संबंधी गंभीर घटनाओं की सटीक भविष्यवाणी करने की पूर्वानुमान एजेंसियों की क्षमता को प्रभावित किया है. उन्होंने बताया कि दुनियाभर की मौसम एजेंसियां अपने निगरानी/अवलोकन नेटवर्क और मौसम पूर्वानुमान मॉडल में सुधार लाने पर ध्यान केंद्रित कर रही हैं. महापात्रा ने यह भी कहा कि हालांकि, देश में मानसूनी बारिश का कोई स्पष्ट रुझान देखने को नहीं मिला है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारण भारी वर्षा के मामले बढ़े हैं, जबकि हल्की बारिश की घटनाओं में कमी दर्ज की गई है.
मानसून का स्पष्ट रुझान दिख नहीं रहा
भारत में मानसून पर जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, हमारे पास 1901 से लेकर अब तक का मानसूनी बारिश का डेटा उपलब्ध है. इसके तहत उत्तर, पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के कुछ हिस्सों में बारिश में कमी, जबकि पश्चिम में कुछ क्षेत्रों, मसलन पश्चिमी राजस्थान में वर्षा में वृद्धि की बात सामने आती है. महापात्रा ने कहा, पूरे देश पर गौर करें तो मानसूनी बारिश का कोई स्पष्ट रुझान नजर नहीं आता. मानसून अनियमित है और इसमें व्यापक स्तर पर उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं. केंद्र सरकार ने 27 जुलाई को संसद को बताया था कि उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, मेघालय और नगालैंड में बीते 30 वर्षों (1989 से 2018 तक) में दक्षिण-पश्चिमी मानसून से होने वाली बारिश में उल्लेखनीय कमी देखी गई है. इसने कहा था कि इन पांच राज्यों और अरुणाचल प्रदेश व हिमाचल प्रदेश में वार्षिक औसत बारिश में भी उल्लेखनीय कमी दर्ज की गई है.

जहां हो रही है, वहां तेज बारिश हो रही
महापात्रा ने कहा कि हालांकि, 1970 से लेकर अब तक के बारिश के दैनिक डेटा के विश्लेषण से पता चलता है कि देश में भारी वर्षा के दिनों में वृद्धि हुई है, जबकि हल्की या मध्यम स्तर की बारिश के दिनों में कमी आई है. उन्होंने कहा, इसका मतलब है कि अगर बारिश नहीं हो रही है तो यह एकदम नहीं हो रही है. और अगर बारिश हो रही है तो बहुत ज्यादा पानी बरस रहा है. कम दबाव का क्षेत्र बनने पर बारिश अधिक तीव्र होती है. यह भारत सहित उष्णकटिबंधीय बेल्ट में देखे जाने वाले सबसे महत्वपूर्ण रुझानों में से एक है. अध्ययनों ने साबित किया है कि भारी बारिश की घटनाओं में वृद्धि और हल्की वर्षा के दिनों में कमी जलवायु परिवर्तन का नतीजा है.
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