वायु प्रदूषण है फेफड़ों के कैंसर की वजह, जानिए नई रिसर्च क्या कहती है

in #india2 years ago

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शोधकर्ताओं का कहना है कि उन्होंने वायु प्रदूषण और कैंसर का रिश्ता खोज निकाला है. यह एक बिलकुल नया शोध है. इससे कैंसर के बढ़ने को लेकर हमारी समझ पूरी तरह से बदल सकती है.

लंदन के फ्रांसिस क्रिक इंस्टीट्यूट के शोधकर्ताओं की टीम की रिसर्च के मुताबिक वायु प्रदूषण पुरानी क्षतिग्रस्त कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाने के बजाय उन्हें फिर जागृत कर देता है. इस मामले के दुनिया के शीर्ष विशेषज्ञों में से एक प्रोफेसर चार्ल्स स्वैनटन ने इस खोज को एक 'नया युग' करार दिया है.

इस नई वजह का पता चलने से शरीर के अंदर अब कैंसर के निर्माण को रोकने के लिए दवाएं विकसित की जा सकेंगी. ये नई खोज यह समझा सकती है कि कैंसर पैदा करने वाले हजारों तत्व शरीर के अंदर कैसे काम करते हैं.

कैंसर के बारे में क्लासिक अवधारणा की शुरुआत एक स्वस्थ कोशिका से होती है. जब तक कि ये एक टिपिंग प्वाइंट पर नहीं पहुंच जाए तब तक अपने जेनेटिक कोड या डीएनए में इसका लगातार म्यूटेशन होता रहता है. इसके साथ ही यह कैंसर बन जाता है और इसकी बढ़त नियंत्रण से बाहर हो जाती है.

लेकिन शरीर में कैंसर के जन्म को लेकर इस विचार के साथ कुछ दिक्कतें हैं. ऐसा लगता है कि कैंसर वाले म्यूटेशन स्वस्थ उत्तकों में होते हैं. कैंसर की वजह बनने वाली वायु प्रदूषण जैसी कई चीजें लोगों के डीएनए को नुकसान पहुंचाने वाली नहीं लगतीं.
रिसर्चरों ने कैंसर पैदा होने को लेकर एक नया विचार पेश किया है. दरअसल हमारी कोशिका के डीएनए में जो नुकसान होता है वो उम्र बढ़ने के साथ ही रफ्तार पकड़ लेता है.

लेकिन इसे कैंसर से ग्रस्त करने के लिए कोई चीज ऐसी होनी चाहिए जो इस उस सीमा (कैंसर होने तक) ले जाए.

यह खोज आखिर कैसे हुई? इस खोज का आधार बनी ध्रूमपान न करने वालों में फेफड़े के कैंसर होने की पड़ताल. फेफड़े के कैंसर के लिए धूम्रपान सबसे ज्यादा जिम्मेदार है.

लेकिन ब्रिटेन में कैंसर के दस मामलों की एक की वजह वायु प्रदूषण निकला.

क्रिक के वैज्ञानिकों ने प्रदूषण के एक किस्म पर फोकस किया. इसे पर्टिकुलेट मैटर 2.5 कहा जाता है (पीएम 2.5) यह मनुष्य के बाल के एक टुकड़े के व्यास से भी छोटा होता है.