भारत छोड़ो आंदोलनः आज़ादी से पहले ऐसे छिड़ा था ये बड़ा संघर्ष
भारत छोड़ो आंदोलनः आज़ादी से पहले ऐसे छिड़ा था ये बड़ा संघर्षउस बुज़ुर्ग ने चेतावनी देने के भाव के साथ अपने हाथ उठाए और करो या मरो, करेंगे या मरेंगे के प्रण के साथ दो शब्द कहे. इसी से भारत में ब्रितानी साम्राज्य के अंतिम अध्याय शुरू हुआ
वो नारा था- 'भारत छोड़ो'. इस नारे की घोषणा कर रहे बुज़ुर्ग व्यक्तिमुंबई के आसमान में ब्रितानी विरोधी नारे गूंज रहे थे और डूबता हुआ सूरज आजादी का सपना दिखा रहा था.
'भारत छोड़ो' आंदोलन को आज़ादी से पहले भारत का सबसे बड़ा आंदोलन माना जाता है. देश भर में लाखों भारतीय इस आंदोलन में कूद पड़े थे. देश भर में जेलें क़ैदियों से भर रहीं थीं. इस भूमिगत आंदोलन ने ब्रितानियों को चौंका दिया था.
इस लेख में हम आपको उन घटनाओं और लोगों की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने इस आंदोलन को आगे बढ़ाया और भारत में आज़ादी का अलख जगाया. थे मोहनदास करमचंद गांधी.
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