नाबालिग की सहमति से भी शारीरिक संबंध बना है तो उसकी मर्जी का महत्व नही- इलाहाबाद हाइकोर्ट

in #india2 years ago

प्रयागराज: उत्तर प्रदेश की इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक अहम फैसला सुनाया है। जिसमें कोर्ट ने कहा है कि हाईकोर्ट ने कहा नाबालिग की सहमति से बनाया गए शारीरिक सम्बन्ध मे नाबालिग की सहमति का कोई महत्व नही है, इसी के आधार पर कोर्ट ने इस मामले मे दुष्कर्म मे फंसे आरोपी की जमानत याचिका को भी खारिज कर दिया है।

दुष्कर्म के आरोपी के वकील द्वारा दिए गए तमाम तर्कों को भी कोर्ट खारिज कर दिया। इस मामले की सुनवाई जस्टिस सुधारानी ठाकुर की सिंगल बेंच ने की और फिर जमानत अर्जी को खारिज कर दिया।

दरअसल, अलीगढ़ के प्रवीण कश्यप की ओर से जमानत अर्जी दाखिल की गई थी। उसपर आरोप है कि उसने एक नाबालिग के साथ दुष्कर्म किया. इस मामले मे याची के खिलाफ अलीगढ़ के लोढ़ा थाने मे अपहरण, दुष्कर्म और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज है। जिसमें जमानत लेने के लिए याची ने याचिका दाखिल की थी। याची ने अर्जी दाखिल करने के साथ ही तर्क दिया था कि आरोपी का कहना था कि उसने नाबालिग की सहमति से शादी और उससे शारीरिक संबंध बनाए है, वहीं याची अधिवक्ता का तर्क था कि लड़की ने पुलिस और कोर्ट के सामने दिए अपने बयान मे कहा है, कि वह अपनी मर्जी से आरोपी के साथ घर से गई और उसके साथ शादी की। लड़की की सहमति से दोनों ने शारीरिक संबंध बनाए है और दोनों पति-पत्नी की तरह साथ रह रहे थे।
जबकि दूसरी ओर सरकारी वकील ने जमानत अर्जी का विरोध करते हुए कहा कि स्कूल द्वारा दिए गए प्रमाण पत्र से घटना के दिन लड़की की उम्र 17 वर्ष थी तथा वह नाबालिग है, नाबालिक द्वारा दी गई सहमति का कोई महत्व नही है, कोर्ट ने कहा कि भले ही लड़की ने अपनी मर्जी से घर छोड़ा और शादी की हो, लड़की की सहमति से दोनों मे शारीरिक संबंध बने हों। इसके बावजूद नाबालिक द्वारा दी गई सहमति का कानून की नजर मे कोई महत्व नही है। जिसके बाद जस्टिस सुधारानी ठाकुर की सिंगल बेंच ने आरोपी की याचिका को खारिज कर दिया और कोर्ट ने दुष्कर्म के आरोपी को इस आधार पर राहत देने से इंकार कर दिया।IMG_20221013_181054.jpg