'कांग्रेस की हार देखकर मेरा दिल रो रहा है', कांग्रेस नेताओं ने हार पर उठाए सवाल- प्रेस रिव्यू

in #inc3 years ago

wortheum , published by, indianews , 13 Mar 2022
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पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस केवल दो राज्यों राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक सिमट कर रह गई है. जबकि मई 2014 के लोकसभा चुनाव में जब पीएम मोदी सत्ता में आए थे तब कांग्रेस शासित राज्यों की संख्या नौ थी.

वहीं, पार्टी 2014 के बाद से 45 में से सिर्फ़ पांच चुनाव जीत पाई है.

इन नतीजों ने कांग्रेस की विश्वसनीयता और नेतृत्व पर फिर से सवाल खड़ा कर दिया है. ये सवाल बाहर से नहीं बल्कि पार्टी के अंदर से ही उठाए जाने लगे हैं. अंग्रेज़ी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस ने कांग्रेस के प्रदर्शन पर पार्टी नेताओं से बात की है जिसमें उन्होंने आंतरिक कलह और नेतृत्व की कमी पर सवाल उठाए हैं.

कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस बात के संकेत दिए थे कि आगे की योजनाओं पर चर्चा के लिए जल्द ही पार्टी की कार्यकारी समिति की बैठक होगी. लेकिन, कई नेता इसे लेकर आश्वस्त नहीं हैं.
कुछ युवा नेता पंजाब में आम आदमी पार्टी की जीत को देखते हुए कहते हैं कि 'पुराने और थक चुके नेताओं' को नए लोगों के लिए रास्ता बनाने की ज़रूरत है.
कांग्रेस की हार पर पाटी र्के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आज़ाद ने कहा, ''मैं हैरान हूं, पार्टी की हार देख कर मेरा दिल रो रहा है. हमने पार्टी को अपनी पूरी ज़िंदगी और जवानी दी है. मुझे भरोसा है कि पार्टी का नेतृत्व सभी कमज़ोरियों और कमियों पर ध्यान देगा जो मैं और मेरे साथी पिछले कुछ समय से उठा रहे हैं.
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वहीं, वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने भी नेतृत्व में सुधार की मांग दोहराई. उन्होंने ट्वीट किया, ''जो भी कांग्रेस पर भरोसा रखते हैं उन्हें चुनावी नतीजों से दुख हुआ है. ये भारत के उस विचार को मज़बूत करने का समय है जिसके लिए कांग्रेस खड़ी है और देश को सकारात्मक एजेंडा देती है. ये हमारे संगठनात्मक नेतृत्व को इस तरह सुधारने का समय है जो उन विचारों में फिर से जान भर दे और लोगों को प्रेरित करे. एक बात साफ़ है- सफ़ल होने के लिए परिवर्तन अनिवार्य है.''
अख़बार ने सूत्रों के हवाले से लिखा है कि आगे की योजना के लिए 'जी-23' नेता गुलाम नबी आज़ाद के घर पर बैठक करने वाले हैं.

सूत्र के मुताबिक़ फ़िलहाल सबसे बड़ी चिंता ये जताई गई है कि पार्टी को अंदरूनी झगड़ों और विभाजन से बचाकर एकजुट रखा जाए.

एक युवा कांग्रेस नेता ने कहा, ''हम बार-बार ये नहीं बोल सकते कि बीजेपी हिंदू-मुस्लिम करके जीत जाती है. अगर हम ऐसा सोचते हैं तो हम ख़ुद को बहका रहे हैं. पंजाब में मुसलमान कहां थे? उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में कहां थे? हमारे नेतृत्व ने विश्वसनीयता खो दी है. हमें ये स्वीकार करना चाहिए.''

एक अन्य नेता ने कहा, ''प्रियंका गांधी वाड्रा ने अकेले ही यूपी में 209 रैलियां और रोड शो किए हैं. वो और राहुल गांधी हाथरस गए, लखीमपुर खीरी का मामला उठाया. लेकिन, कुछ काम नहीं आया. जातिगत और धार्मिक ध्रुवीकरण को देखते हुए हम यूपी में बहुत कुछ नहीं कर सकते थे. ऐसे में महिला केंद्रित अभियान चलाया गया. लेकिन, इससे कुछ नहीं हुआ. ये दुख की बात है कि हम और हमारे नेता विश्वसनीयता खो चुके हैं जिससे हमारी बात लोगों तक नहीं पहुंच पाती.''