Parsi Community: शादी में कम दिलचस्पी के कारण पारसी समुदाय की घट रही आबादी, 30 प्रतिशत योग्य वयस्क अविवाहित
: सार
अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ‘जियो पारसी’ योजना के तहत पारसी पुरुष एवं महिलाओं को विवाह के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से ‘ऑनलाइन डेटिंग’ और काउंसलिंग पर विशेष जोर दिया रहा है।
विस्तार
देश में सबसे कम जनसंख्या वाले अल्पसंख्यक समुदाय पारसियों की आबादी घटने का एक बड़ा कारण इस वर्ग के लोगों की शादी में दिलचस्पी की कमी होना है। फिलहाल इस समुदाय के करीब 30 प्रतिशत विवाह योग्य वयस्क अविवाहित हैं। यही कारण है कि अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ‘जियो पारसी’ योजना के तहत पारसी पुरुष एवं महिलाओं को विवाह के लिए प्रोत्साहित करने के मकसद से ‘ऑनलाइन डेटिंग’ और काउंसलिंग पर विशेष जोर दिया रहा है। अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय ने पारसी समुदाय की आबादी का संतुलन बनाए रखने और प्रजनन दर बढ़ाने के मकसद से नवंबर, 2013 में ‘जियो पारसी’ योजना की शुरुआत की थी, जिसके लिए हर साल चार से पांच करोड़ रुपये का बजट मुहैया कराया जाता है। मंत्रालय की इस योजना का क्रियान्वयन ‘पारजोर फाउंडेशन’ नामक संस्था द्वारा कुछ अन्य पारसी संगठनों के साथ मिलकर किया जाता है।
प्रजनन दर प्रति दंपती महज 0.8 प्रतिशत
मंत्रालय की इस योजना की क्रियान्वयन संस्था ‘पारजोर फाउंडेशन’ की निदेशक शेरनाज कामा ने यह जानकारी दी। उनका कहना है कि पारसी समुदाय के लोगों को शादी और बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है क्योंकि इस समुदाय में कुल प्रजनन दर करीब 0.8 प्रति दंपति है और हर साल औसतन 200 से 300 बच्चों के जन्म की तुलना में औसतन 800 लोगों की मृत्यु होती है, जो हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाइयों के मुकाबले बहुत खराब स्थिति है।
मुस्लिम समुदाय में प्रजनन दर 2.36 और हिंदू में 1.94 प्रतिशत
नये राष्ट्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सर्वेक्षण के अनुसार, हिंदू समुदाय में कुल प्रजनन दर 1.94, मुस्लिम समुदाय में 2.36, ईसाई समुदाय में 1.88 और सिख समुदाय में 1.61 है। वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार, देश में पारसी समुदाय की आबादी 57,264 थी, जो 1941 में 1,14,000 थी।
‘जियो पारसी’ योजना शुरू होने से लेकर 15 जुलाई तक हमारे प्रयासों से 376 बच्चे पैदा हुए, जो हर साल पारसी समुदाय में पैदा होने वाले औसतन 200 बच्चों से अतिरिक्त हैं - शेरनाज कामा, पारजोर फाउंडेशन