ईलाज के लिए हुआ कंगाल ,पिता की बीमारी के चलते छुट्टी बच्चों की पढ़ाई अब होने लगे भूखमरी के शिकार

in #ilaj2 years ago

IMG-20220925-WA0282.jpgनागौर-खींवसर के कन्हैया लाल सुपुत्र रामपाल रैगर (38 वर्ष) की दोनों किडनियाँ खराब होने पर परिजनों ने हैसियत अनुसार अपनी तरफ व अपने पड़ोसियों एवं रिश्तेदारों से कर्ज लेकर उनके ईलाज में पैसा लगाया गया। लेकिन भयंकर बीमारी एवं दयनीय आर्थिक स्थिति के चलते अभी तक इनका सफल ईलाज नहीं हो पाया। इनके परिवार में पत्नी मिठू (33),तीन पुत्रियां एवं एक पुत्र हैं जिनमें खुशबू (10),कोमल (8),महक (7),अनिल (5) व कार्तिक (3) हैं । कन्हैया लाल परिवार का एकमात्र कमाऊ सदस्य था । जो कि 8 वर्ष तक मुम्बई के चप्पलों की दुकान पर और पिछले 3-4 सालों से यहीं कमठा मजदूरी का कार्य करता था। लेकिन पिछले डेढ़ साल से किडनी बीमारी से पीड़ित होने के कारण घर और हॉस्पिटल के बीच चक्कर लगा रहा है। वर्तमान में इनकी आजीविका का कोई स्थायी स्रोत नहीं है। इनके हिस्से की खेती योग्य सिर्फ 6 बीघा जमीन है। जहाँ से उत्पादन भी बारिश पर निर्भर है। बीमार पति की सेवा के लिए पत्नी को हरदम इनके पास में रहना पड़ता है और पिता की बीमार हालत देख मासूम बच्चे भी माँ के कामकाज में हाथ बंटाने के लिए स्कूल छोड़ कर घर पर ही रहने लग गए हैं। ऐसे में बिना आमदनी और बिना मजदूरी किए एक बीमार का ईलाज और ऊपर से परिवार का गुजारा चलाना बेहद मुश्किल है। यह बात दुःखी घर की औरत ही बता सकती है। वर्तमान में कन्हैया लाल का सप्ताह में दो बार राज्य सरकार की चिरंजीवी योजना द्वारा सिर्फ डायलिसिस जरूर होता है परंतु दवाईयां एवं आने जाने का किराया स्वयं को भुगतना पड़ रहा है। जो कि एक महीने का लगभग 25-30 हजार रुपए का खर्चा लग जाता है। जो खर्चा इनके परिवार के लिए वहन करना असम्भव है। इनके साथ ही अब इनका परिवार आर्थिक रूप से कंगाल हो चुका है एवं उनके बच्चे भुखमरी के शिकार होने लगे हैं। वर्तमान में कन्हैया लाल जोधपुर के महात्मा गांधी अस्पताल में ICU में भर्ती हैं,जहाँ वो जीवन और मृत्यु के बीच संघर्ष कर रहा है। इनकी पत्नी ने स्थानीय जनप्रतिनिधियों, भामाशाहों एवं समाजसेवियों से अपने पति के ईलाज एवं परिवार का गुजारा चलाने के लिए अपनी तरफ से यथाशक्ति मदद करने की गुहार की है।

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