अस्ताना-ए-सरकार बांसा व अपिया हजूर में जश्न-ए-ईद मिलादुन्नबी सम्पन्न
झांसी। मदरसा अल जमियातुल रज्जाकिया सोसायटी अस्ताना-ए-सरकार बांसा व अपिया हजूर महाराज सिंह नगर पुलिया नंबर 9 में मगरिब की नमाज़ के बाद पूरे अदब और एहतराम के साथ जश्ने ईद मिलादुन्नबी का जलसा सज्जादा नशीन सूफी अफराज हुसैन सिद्दीकी की जेरे निगरानी में मनाया गया। इस मुबारक मौके पर सैकड़ों की संख्या में मुरीदैन नौजवान, बुजुर्ग और बच्चों ने जलसे में शिरकत की।
आपको बता दें कि अस्ताना-ए-सरकार बांसा व अपिया हजूर में अकीदतमंदों ने सरकार की आमद मरहबा… रसूल की आमद मरहबा, रहबर की आमद मरहबा जैसे नारे लगाते हुए ईद मिलादुन्नबी के जलसे का आगाज किया। इस अवसर पर सूफी अफराज हुसैन सिद्दीकी ने पैगंबरे आज़म की हयाते तय्यबा पर रोशनी डालते हुए कहा कि हम मोमिन बहुत ही खुशनसीब हैं कि अल्लाह पाक ने हमें हुजूर की उम्मत में पैदा किया। आज़ उनके तालीम और दर्स की बैचेनी ओ ज़ुल्म के अंधेरे में डूबी सारी दुनिया को बेहद ज़रुरत है और उस पर चलकर ही इंसानियत और इंसाफ़ की बुनियाद डाली जा सकती है। इस्लाम का सच्चा पैगाम अमन और भाईचारे का है। जिसकी आज़ दुनिया को बहुत जरूरत है। ये हमारा जिम्मा है कि हम उनके पैगाम ए मुहब्बत को आम करें।
कारी अज़ीज़ ने बताया कि ईद मिलाद उन नबी इस्लाम धर्म के प्रमुख त्यौहारों में से एक है। ये अरबी भाषा के तीन शब्दों से मिलकर बना है। ईद का अर्थ होता है जश्न, मिलाद का अर्थ जन्म और नबी का अर्थ शांति का देवदूत होता है। ईद मिलाद उन नबी का जश्न पैगंबर मोहम्मद सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के जन्मदिन पर मनाया जाता है। ये इस्लामिक कैलेंडेर हिज्री के तीसरे महीने रबीउल अव्वल की 12वीं तारीख को मनाया जाता है। पैगंबर मोहम्मद का जन्म 570 ई में अरब के मशहूर शहर मक्का में हुआ था। उनके जन्मदिन की इस तारीख को दुनिया भर के मुसलमान अल्लाह की इबादत करते हुए अपने गुनाहों की मुआफी मांगते हैं। इसके अलावा गरीबों और मिस्कीनों को दान करते हैं। इस अवसर पर मौलाना इमरान, हाफिज मोहम्मद शफीक, कारी जमील ने नबी की शान में उनकी हयाते जिंदगी को विस्तार से बताया।
इस मौके पर बशारत अली, अलीम मास्टर, आरिफ खान, सूफ़ी साबिर, नईम, अब्बास, हाजी सलीम, मेहताब, हाजी अब्दुल गनी, सुल्तान, अब्दुल्ला, शाहरुख, फैजान, इम्तियाज, कदीम अहमद, नदीम, नियाज महोबी, मुमताज मास्टर सहित अनेक अकीदत मंद मुरिदैन मौजूद रहे। जश्ने ईद मिलादुन्नबी की निजामत कारी जमील साहब ने कि और आभार रहमान ने व्यक्त किया।