मुगलों ने तोड़ा था सोरों का सीताराम मंदिर, अब मूर्ति की पुनर्स्थापना के लिए उठी आवाज

in #historical2 years ago

कासगंज: सोरों जी शूकर क्षेत्र में स्थित त्रेतायुगीन विशाल सीताराम मंदिर में भगवान राम और माता सीता की प्रतिमा की पुनर्स्थापना हेतु अखण्ड आर्यावर्त निर्माण संघ द्वारा डीएम कासगंज को ज्ञापन दिया गया है। PSX_20220506_143552.jpgज्ञापन के अनुसार सोरों जी शूकर क्षेत्र के त्रेतायुगीन सीताराम मंदिर में पिछले 400-500 वर्षों से भगवान श्री राम और माता सीता की प्रतिमा मौजूद नहीं है। क्योंकि वर्ष 1511 में मुस्लिम आक्रांता सिकंदर लोदी और वर्ष 1693 में औरंगजेब ने इस मंदिर में मौजूद सीता और राम की प्रतिमाओं को तोड़कर खंडित कर दिया था। तबसे लेकर आज तक इस मंदिर में सीता और राम की प्रतिमा की पुनर्स्थापना नहीं हो सकी है। प्रतिमा के बिना मंदिर अस्तित्वहीन है।

ज्ञापन में यह मांग भी की गई है कि , भारत की धरोहर के रूप में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा संरक्षित इस प्राचीन और पौराणिक मंदिर में माता सीता और भगवान श्रीराम की प्रतिमा को फिर से स्थापना की जाए।

डीएम कासगंज को ज्ञापन देने पहुंचे भूपेश शर्मा, संजय तिवारी, कपिल पंडित, राधेश्याम, अशोक पांडेय आदि का कहना है कि, इस मंदिर से अनगिनत हिन्दू श्रद्धालुओं की भावनाएं जुड़ी हुईं हैं। अगर भगवान की प्रतिमा की पुनर्स्थापना होती है, तो मंदिर में 500 वर्ष उपरांत एक बार फिर से पूजा प्रारम्भ हो जाएगी।

ऐतिहासिक संदर्भ- वर्ष 1862 में विश्व विख्यात पुरातत्ववेत्ता अलेग्जेंडेर कनिंघम ने भी अपने अध्ययन में यह पाया था कि यह मंदिर अतिप्राचीन है, जो अपने समय की एक समृद्धशाली सभ्यता का हिस्सा था।

पौराणिक संदर्भ- वनवास के उपरांत भगवान राम और माता सीता राजा दशरथ और जटायू के पित्र तर्पण हेतु जब शूकर तीर्थ आये तो इसी स्थान पर उन्होंने कुटिया बनाकर प्रवास किया था। बताया जाता है कि बाद में चालुक्य राजाओं ने इस मंदिर के पुनरोद्धार के साथ मंदिर के प्रांगण को एक दुर्गनुमा आकृति दी। इस मंदिर परिसर में ही राग रागनियों के प्रवर्तक स्वामी हरिहरदास जी ने तुलसीदास और नंददास को संगीत की शिक्षा दी, स्वामी हरिहर दास जी की समाधि इस मंदिर के प्रांगण में आज भी मौजूद है।