अल कायदा ने बदली रणनीति, अफगानिस्तान को छोड़ कश्मीर पर कर रहा फोकस, भारत की बढ़ेगी टेंशन?

in #hindustannews2 years ago

कुछ दिनों पहले अल कायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी ने कश्मीर में जिहाद का आह्वान भी किया था। ऐसे में आशंका जताई गई है कि अगर अल कायदा कश्मीर में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करता है तो इससे भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कश्मीर पिछले कई दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का दंश झेल रहा है।न्यूयॉर्क: ओसामा बिन लादेन का खूंखार आतंकी संगठन अल कायदा अब अफगानिस्तान को छोड़ कश्मीर पर अपना ध्यान केंद्रित कर रहा है। संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अल कायदा ने हाल में ही अपनी मैगजीन का नाम बदलकर इस बात के संकेत भी दे दिए हैं। कुछ दिनों पहले अल कायदा सरगना अयमान अल जवाहिरी ने कश्मीर में जिहाद का आह्वान भी किया था। ऐसे में आशंका जताई गई है कि अगर अल कायदा कश्मीर में अपनी पैठ बनाने की कोशिश करता है तो इससे भारत की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। कश्मीर पिछले कई दशकों से पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद का दंश झेल रहा है। हाल के वर्षों में सेना और दूसरी सुरक्षा एजेंसियों ने घाटी से आतंकियों का लगभग सफाया कर अमन और चैन को फिर से स्थापित करने की कोशिश को तेज किया है।यूएन रिपोर्ट में अल कायदा की कारगुजारियों का जिक् संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान की शांति, स्थिरता एवं सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले तालिबान और अन्य संबद्ध व्यक्तियों एवं संस्थाओं के संबंध में संकल्प 2611 (2021) के तहत विश्लेषणात्मक सहायता और प्रतिबंध निगरानी दल की 13वीं रिपोर्ट शनिवार को पेश की गई। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अल-कायदा के अधीनस्थ होने के कारण एक्यूआईएस अफगानिस्तान में अधिक चर्चा में नहीं रहता, जहां उसके अधिकतर आतंकवादी मौजूद हैं।अल कायदा में शामिल हैं इन देशों के लड़ाके
इसमें कहा गया है कि अल कायदा के लड़ाकों में बांग्लादेश, भारत, म्यांमा और पाकिस्तान के नागरिक शामिल हैं। वे गजनी, हेलमंद, कांधार, निमरुज, पक्तिका और जाबुल प्रांत में सक्रिय हैं। रिपोर्ट के मुताबिक, एक्यूआईएस का कांधार के शोराबक जिले में अक्टूबर 2015 में अमेरिका और अफगानिस्तान द्वारा किए गए संयुक्त हमले से हुए नुकसान के कारण अब भी एक कमजोर संगठन के रूप में आकलन किया जा रहा है। एक्यूआईएस को वित्तीय रुकावटों के कारण कम आक्रामक रुख अपनाने के लिए मजबूर होना पड़ा है।
अल कायदा ने अपनी मैगजीन का नाम नवा-ए-गजवाह-ए हिंद किया
अफगानिस्तान में पिछले साल अगस्त में तालिबान के सत्ता में आने के नौ महीने बाद जारी इस रिपोर्ट में कहा गया है कि अफगानिस्तान में नई परिस्थितियां अल-कायदा की तरह एक्यूआईएस को भी खुद को पुनर्गठित करने की अनुमति दे सकती हैं। एक्यूआईएस की पत्रिका का नाम 2020 में नवा-ए-अफगान जिहाद से बदलकर नवा-ए-गजवाह-ए हिंद किया जाना संकेत देता है कि एक्यूआईएस अपना ध्यान एक बार फिर अफगानिस्तान से कश्मीर की ओर केंद्रित कर रहा है।कश्मीर में जिहाद का आह्वान कर रहा अल कायदा
रिपोर्ट के अनुसार, मैगजीन ने अपने पाठकों को याद दिलाया है कि अप्रैल 2019 के दाएश श्रीलंका हमलों के बाद अल-जवाहिरी ने कश्मीर में जिहाद का आह्वान किया था। रिपोर्ट में सदस्य देशों ने यह भी बताया है कि 2021 की दूसरी छमाही में अफगानिस्तान से नशीले पदार्थों की तस्करी के मामलों में वृद्धि हुई है। इसमें कहा गया है कि 15 अगस्त 2021 को अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे के बाद इस्लामिक स्टेट इन इराक एंड द लिवेंट-खोरसान (आईएसआईएल-के) ने अपने हमले तालिबान पर केंद्रित कर लिए हैं, लेकिन संभवत: सर्दियां होने के कारण उसकी गतिविधियों में 2021 के अंत में गिरावट आई थी।

तालिबान नहीं कर रहा आतंक को रोकने का कामरिपोर्ट के मुताबिक, ऐसा माना जा रहा है कि आईएसआईएल-के और अलकायदा का भले ही कोई भी इरादा हो तथा तालिबान उन्हें रोकने के लिए कार्रवाई करे या नहीं, लेकिन दोनों ही संगठन 2023 से पहले अंतरराष्ट्रीय हमले करने में सक्षम नहीं हैं। हालांकि, अफगान भूमि पर उनकी और अन्य आतंकवादी संगठनों की मौजूदगी पड़ोसी देशों और व्यापक अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए चिंता का विषय है।’’अल कायदा और तालिबान के बीच करीबी संबंधअल कायदा और तालिबान के बीच करीबी संबंध
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने तालिबान प्रतिबंध समिति के अध्यक्ष के तौर पर सुरक्षा परिषद के सदस्यों के संज्ञान में लाने के लिए रिपोर्ट पेश की और परिषद का दस्तावेज जारी किया। रिपोर्ट में कहा गया है कि अलकायदा और तालिबान के बीच करीबी रिश्ते बरकरार हैं। इन पर अलकायदा से संबद्ध एक्यूआईएस जैसे संगठनों की मौजूदगी का कोई प्रभाव नहीं पड़ा है।