क्लाइमेट चेंज का बच्चों की हलचल पर असर

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NEWS DESK: WORTHEUM, PUBLISHED BY: HEENA MANSURI, 9TH AUG 2022, 11:13 PM IST

दुनियाभर में बढ़ रही गर्मी का जीवन के विभिन्न पहलुओं पर खराब असर पड़ रहा है। टेम्प्रेचर जर्नल में प्रकाशित एक नए साइंटिफिक रिव्यू में पाया गया है कि भीषण गर्मी बच्चों की पर्याप्त शारीरिक गतिविधियों के रास्ते में एक बड़ी बाधा है। रिव्यू में 150 से ज्यादा अध्ययनों का विश्लेषण किया गया है।

आज के बच्चे अपने माता-पिता के समान उम्र की तुलना में 30% कम फिट हैं। इससे वे गर्म और ज्यादा मुश्किल मौसम से निपटने के लिए कम तैयार हैं। जलवायु परिवर्तन के कारण ग्रीष्म लहर जैसी स्थितियां ज्यादा सामान्य हो रही हैं। प्रदूषण से हवा की गुणवत्ता खराब हो गई है। संक्रामक बीमारियाें का फैलाव तेजी से होने का अंदेशा है। इसलिए फिटनेस का पहलू महत्वपूर्ण है।

बच्चों की सक्रियता पर प्रभाव

स्टडी की लेखक ल्यूबलियाना यूनिवर्सिटी, स्लोवेनिया में असिस्टेंट प्रोफेसर शांडा मॉरिसन कहती हैं, बाहरी दुनिया का वातावरण बच्चों सहित सभी मनुष्यों के लिए ज्यादा कठिन होता जा रहा है। शांडा हृदयरोग और एक्सरसाइज साइंस की विशेषज्ञ हैं। बच्चों की शारीरिक गतिविधि पर रिसर्च करने वाले संगठन एक्टिव हेल्थ किड्स स्लोवेनिया की फाउंडर हैं।

उनका कहना है, क्लाइमेट चेंज (जलवायु परिवर्तन) के नतीजे बच्चों की सक्रियता को प्रभावित करते हैं। इससे जीवन भर स्वास्थ्य पर खराब प्रभाव पड़ने का खतरा है। रिव्यू में 2018 की एक रिपोर्ट शामिल है। रिपोर्ट में 49 देशों में बच्चों की गतिविधियों के स्तर की तुलना की गई है। रिपोर्ट के मुताबिक इन देशों में केवल 39% या कम बच्चे ही पर्याप्त शारीरिक गतिविधि करते हैं। लगभग 61% बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं कर पाते हैं।

अनफिट वयस्कों को होती हैं कई तरह की बीमारियां

जो बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते हैं, वे भविष्य में ज्यादा गर्म और उग्र मौसम के लिए तैयार नहीं हैं। दिल की गति तेज करने और शरीर में ऑक्सीजन का उपयोग बढ़ाने में सक्षम लोग एरोबिक रूप से फिट होते हैं। ऐसे लोग गर्म तापमान का सामना अच्छे तरीके से कर सकते हैं। उनका पसीना ज्यादा निकलता है। फिट लोगों के खून का प्रवाह बेहतर रहता है इसलिए उनके दिल को स्वयं को ठंडा रखने के लिए ज्यादा मेहनत करने की जरूरत नहीं पड़ती है।

अनफिट वयस्कों के दिल की बीमारियों, डायबिटीज और कैंसर जैसी स्थायी बीमारियों की चपेट में आने की आशंका ज्यादा रहती है। उनके स्वास्थ्य पर लू और दिल के दौरे जैसे गर्मी के नकारात्मक असर ज्यादा पड़ते हैं। फिट व्यक्ति तूफान, लू, ग्रीष्म लहर, जंगलों की आग और सूखा जैसे जलवायु के उग्र प्रभावों से निपटने के लिए ज्यादा तैयार रहते हैं।

बचपन में सक्रियता की कमी का जीवनभर असर

विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) की सिफारिश है कि बच्चों को औसतन हर दिन कम से कम एक घंटे तक मध्यम से तेज शारीरिक गतिविधि करने की जरूरत है। जुलाई में प्रकाशित एक विश्लेषण में बताया गया है, ज्यादातर बच्चे ऐसा नहीं कर पाते। कोविड-19 महामारी ने बड़ी संख्या में बच्चों की गतिविधियां सीमित कर दीं।

मॉरिसन कहती हैं, इससे अस्वास्थ्यकर दौर की शुरुआत होती है। चूंकि बच्चे पर्याप्त शारीरिक गतिविधि नहीं करते, इसलिए वे वयस्क होने पर भी सक्रिय नहीं रहते हैं। नतीजा यह कि आज के बच्चे पूरी तरह फिट नहीं हैं।

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