बाल मजदूर से खुलेआम काम करा रहे लोग

in #hathras2 years ago

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हाथरस: बाल श्रम उन्मूलन को लेकर सरकार ने कई कार्यक्रमों की शुरुआत की है। फिर भी खेत खलिहानों से रोडवेज बसों में पानी की बोतल बेचते, होटलों , चाय-नाश्ता या किराना दुकानों पर बाल श्रमिकों को काम करते देखा जा रहा है। यही नहीं कई बच्चे कूड़े की ढेर पर अपना बचपन तलाशते देखे जाते हैं। बाल श्रम उन्मूलन के लिए कई तरह की योजनाएं चलाई गई हैं।
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बाल श्रम रोकने के लिए कानून बनाकर दोषी लोगों को दंडित करने का प्रावधान भी बना, लेकिन इसका अपेक्षित परिणाम अब तक सामने नजर नहीं आ पा रहा है। लोग बाल मजदूर से खुलेआम काम करा रहे हैं, क्योंकि छोटे बच्चे कम मजदूरी पर काम करते हैं। ऐसा माना जाता है कि एक बाल श्रमिक पूरे दिन में दो से ढ़ाई मजदूर के बराबर काम करता है। इतना करने के बाद भी उसे उस काम के बदले में कम मजदूरी मिलती है। ऐसे में बाल मजदूर शोषण के शिकार हो रहें हैं। बाल श्रम उन्मूलन की दिशा में प्रशासन ठोस कार्रवाई करने के बजाय महज खानापूर्ति कर अपने कर्तव्य का इति श्री कर लेता है। प्रशासनिक कार्रवाई पर गौर करें तो बाल श्रम के प्रति श्रम विभाग पूरी तरह खामोश दिख रहा है। जबकि प्रशासन के अधिकारी कभी कभार बाल श्रमिकों को मुक्त करते नजर आते हैं। अवस्थित मिठाई, चाय, चाट पकौड़ी, किराना आदि दुकानों पर बाल श्रमिक काम करते हमेशा नजर आते हैं। बावजूद इसके श्रम विभाग या फिर प्रशासन के अधिकारी इन दुकान के संचालकों पर कार्रवाई करते नजर नहीं आते। निरक्षरता है मुख्य कारण बाल मजदूरी के पीछे मुख्य कारण है माता-पिता का अशिक्षित होना माना जाता है। वे स्वयं नहीं पढ़े तथा अब बच्चों को भी नहीं पढ़ा रहे हैं। जिस दलदल में खुद फंसे हैं उसी में बच्चों को धकेल रहे हैं। छोटी सी उम्र में बच्चों को खतरनाक कार्य में लगाने से परहेज नहीं करते। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत छह से 14 वर्ष तक के बच्चे को सरकार शिक्षा देने को लेकर वचनबद्ध है लेकिन अभिभावकों ने शायद कुछ और ही सोच रखा है। ऐसा नहीं कि प्रशासन इन्हें पढ़ाने के लिए कार्य नहीं कर रहा है। लेकिन इन बच्चे के माता-पिता उन्हें स्कूल नहीं भेजकर उससे काम करवाना ही ठीक समझ रहे हैं।

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