आंगनबाड़ी केन्द्रो पर घोटाला जारी, गरीबी के शिकार बच्चों तक नही पहुंच पा रहा

in #hathras2 years ago

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हाथरस। जनपद में आंगनबाड़ी केन्द्रो के नाम पर घोटाला जारी है? हालात ये हैं कि आंगनबाड़ी केन्द्रों की सेहत कागज पर बेहतर, धरातल पर बेहद खस्ता है?

सरकार भले ही बच्चों को कुपोषण से बचाने के लिए लाखों रुपये खर्च कर रही हो, लेकिन सच्चाई यह है कि इसका लाभ गरीब व कुपोषण के शिकार बच्चों तक नही पहुंच पा रहा है।

आंगनबाड़ी के नाम पर लूट का खेल चल रहा है? इसमें ऐसा नही है कि इसकी सच्चाई ऊपर तक के अधिकारियों को न हो, लेकिन लूट में सभी की बराबरी की हिस्सेदारी की चर्चाएं आम हैं?

लाभार्थियों का आरोप है कि आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से बच्चों, किशोरियों एवं गर्भवती महिलाओं को हर महीने दिया जाने वाला पोषाहार अप्रैल महीने के बाद अब तक नही दिया गया है? यानी मई से अब तक का पोषाहार कौन खा गया? इसे लेकर जिम्मेदार तरह-तरह के बहाने बना रहे हैं?

आंगनबाड़ी केन्द्रों की देखभाल के लिए बाल विकास परियोजना से जुड़े अधिकारियों, कर्मियों एवं सेविका-सहायिका के वेतन-मानदेय पर सरकार करोड़ों खर्च कर रही है, लेकिन भ्रष्टाचार व्यवस्था को निगल रहा है? इस खेल में सभी अपने-अपने हिस्से का हिसाब कर सरकारी खजाने को चूना लगाने में अधिक तत्पर दिखते हैं? हालात ये हैं कि कागज पर बच्चों का नामांकन चाहे जो हो मगर अधिकतर आंगनबाड़ी केंद्रों पर बच्चे नदारद ही रहते हैं? गर्भवती एवं पात्र महिलाओं को पौष्टिक आहार देने के नाम पर भी काफी धन खर्च हो रहा है? आंगनबाड़ी केंद्रों पर बरती जा रही गड़बड़ी का स्थानीय लोगों द्वारा विरोध भी किया जाता है। लेकिन सरकारी स्तर पर जनता की बातों को कोई तवज्जो नही दी जाती? विडंबना यह है कि अधिकतर आंगनबाड़ी केन्द्रो को सुपरवाइजर एवं सीडीपीओ की जांच में ‘ऑल इज वेल’ दिखा दिया जाता है।

बच्चों और गर्भवती महिलाओं को दिए जाने वाले पोषाहार में कुछ आंगनवाड़ी केंद्रों पर खानापूर्ती की जा रही है। आरोप है कि शहरी क्षेत्र के अधिकांश केंद्रों पर पोषाहार वितरण के साथ-साथ सोयाबीन के तेल का सही मात्रा में वितरण नहीं किया जा रहा है। आंगनबाड़ियों की मनमानी को लेकर जनता बहुत दुखी है। आंगनबाड़ी केंद्रों पर पंजीकृत बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए हर माह पोषाहार बांटने को शासन से भेजा जाता है। पोषाहार वितरण में गोलमाल को रोकने के लिए जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को भी इस ओर ध्यान देने की आवश्यकता है? जिससे कि जरूरतमंद तक सरकार की योजना का पूर्ण लाभ पहुँच सके ? फिलहाल तो पोषाहार वितरण में गोलमाल नहीं थम रहा है? अप्रैल से अब तक के माह का केंद्रों पर बच्चों और गर्भवती महिलाओं के लिए चना दाल, सोयाबीन का तेल और दलिया वितरण करने को नहीं पहुंचा है?

यहां है गोलमाल

पोषाहार के लाभार्थियों ने आरोप लगाते हुए बताया कि जब कभी दो माह का पोषाहार केंद्रों पर आता है तब सिर्फ चना दाल, दलिया और एक पैकेट सोयाबीन तेल देकर टरका दिया जाता है, जबकि मई से अब तक का पोषाहार तो केंद्र पर बंटा ही नही है?

ढकपुरा रोड माया टॉकीज के पास बने आंगनवाड़ी केंद्र पर कुछ लाभार्थियों ने अपना नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि कई बार सोयाबीन तेल के पैकेट को यह कह कर नही दिया जाता है कि इस बार सरकार से कम पोषाहार आया है जिसके कारण तेल नही मिल पायेगा और जब हम कहते हैं कि हम शिकायत कर देंगे तो कह दिया जाता है कि कहीं भी शिकायत कर लो हमारा कुछ नही होगा?

पोषाहार में मिलने वाला रिफाइन्ड आखिर जाता कहाँ हैं? सूत्रों की माने तो कुछ आंगनबाड़ी रिफाइन्ड के पैकेट को बेच देती हैं और कुछ अपने रिस्तेदारों के यहां भेज देतीं हैं? सूत्र बताते हैं कि कुछ आंगनबाड़ियों ने जून माह में भी रिफाइन्ड के कार्टून 2 हजार रुपये के हिशाब से बेचे हैं?

जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए, जिससे की जनता को सरकार द्वारा दिए जाने वाले पोषाहार का पूर्ण लाभ मिल सके और जो पोषाहार वितरण में गोलमाल कर रहे हैं, उनके खिलाफ कठोर कार्यवाही की जाए।

आंगनबाड़ियों के कथन

आगनबाड़ी बबीता से जब पूछा गया कि आपके यहां मई और जून का पोषाहार आया है या नहीं, तो उन्होंने कुछ नहीं बताया। मतलब यह है कि उनको आवाज तो पहुंच रही थी, पर शायद हमको जबाब नही देना चाह रहीं थीं।

आंगनबाड़ी मनीषा चौहान ने इस संदर्भ में बताया कि मई में पोषाहार आया था, तो हमने बांट दिया। लेकिन जून का नहीं आया है।

आंगनबाड़ी सुनीता को जब कॉल किया और पोषाहार वितरण के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि हमारे यहां ऊपर ऑफिस से मई और जून का पोषाहार नहीं आया है। अप्रैल का आया था, तो हमने वह बांट दिया है।

आंगनबाड़ी कृष्णा राना से जब यह पूछा गया कि आपके केंद्र पर मई और जून का पोषाहार आपको मिला है या नहीं, तो उन्होंने कहा कि हम आपको जानकारी क्यों दें? हम आपको कोई जानकारी नहीं दे सकते? मैं कोई भी जानकारी आपको नहीं दे सकती हूं?

आंगनबाड़ी हेमलता ने बताया कि मई और जून का पोषाहार हमको मिला था और हमने बांट भी दिया।

आंगनबाड़ी कृष्णा देवी ने बताया कि मई और जून का पोषाहार हमारे यहां नहीं आया है। इतना जरूर कह दिया है कि लास्ट में आएगा और हां छोटे बच्चों के आधार कार्ड मांगे हैं। अब हम बच्चों के आधार कार्ड कहां से दें?

आंगनबाड़ियों के कथन सुनने से तो यह लगता है कि शायद कहीं ना कहीं कुछ तो गोलमाल जरूर है? क्योंकि पोषाहार किसी ने मई माह में बांटा है तो किसी ने जून माह में बांटा है, किसी ने तो दोनों माह का बांटा है और किसी ने तो दोनों माह ही नहीं बांटा है। अब समझ में नहीं आता कि आंगनबाड़ी केंद्रों पर एक साथ पोषाहार भेजा जाता है या कुछ पर कभी और कुछ पर कभी?

आखिर जो पोषाहार आया था वो कहाँ गायब हो गया? क्या जिले के जिम्मेदार अधिकारी इस ओर ध्यान देकर पोषाहार में गोलमाल करने वालों पर कार्यवाही करेगें?