आखिर कौन देखेगा आवारा पशुओं की दयनीय दुर्दशा को?

in #hathras2 years ago

हाथरस। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में यूपी चुनाव में मंदिर, बिजली, सड़क के साथ-साथ आवारा पशुओं का मुद्दा लगातार बना रहा। विपक्षी ने इस मुद्दे को लेकर लगातार योगी सरकार पर हमला किये। यूपी चुनाव शुरू होने के बाद पीएम मोदी ने अपनी रैलियों में लगातार कहा था कि नई गवर्नमेंट बनने के बाद भाजपा सरकार सबसे पहले पशुओं के मुद्दे को खत्‍म करेगी।
पीएम मोदी के वायदे के बाद से ही आधिकारी आवारा पशुओं की समस्या का निस्तारण करने और उनके गोबर को धन बनाने के लिए मंथन कर रहे हैं। लोगों का कहना है कि 2017 में योगी आदित्यनाथ की सरकार बनने के बाद सभी अवैध बूचड़खाने बंद करा दिए, जिसमे पशुओं के कटान में काफी कमी आई। लेकिन इससे पशु सड़कों और खेतों में देखे जाने लगे। आए दिन किसानों ने भी आवारा पशुओं के द्वारा फसलों को बर्बाद करने की बातें कहीं।
दरअसल यूपी चुनावों में विपक्ष ने इस समस्या को मुद्दा बना दिया था। इसलिए पीएम को जनता को आश्वस्त कराना पड़ा कि ये समस्या उनके संज्ञान में है। यूपी में योगी सरकार के आने के बाद से ही अवैध बूचड़खाने बंद हो गए और आवारा पशुओं की तस्करी भी बंद हो गयी है। अब हालत यह है कि निर्बल हो चुके या बेकार हो चुके पशुओं की देखभाल करने के बजाय लोग उसे छुट्टा छोड़ देते हैं। सबसे बड़ी बात ये है कि कोई भी दल इस मुद्दे को लेकर मुख्य मुद्दा बनाकर जनता के बीच नहीं आना चाहता है। समस्या का सबसे बड़ा कारण बैलों की उपयोगिता खत्म होना, चारागाहों का इतिहास बनना, वन्य जीवों की तरह गायोंऔर अन्य मवेशियों के लिए अभ्यारण्य या नैशनल पार्क नहीं बनाना है। पर इस पर बात नहीं होती क्योंकि इस तरह की बातों से वोट नहीं मिलते।

राजनीतिकरण ही समस्या का समाधान नहीं

किसानों के लिए इतनी बड़ी समस्या का इस तरह राजनीतिकरण हो चुका है कि कोई भी दल इस समस्या का समाधान लेकर नहीं आता। इस मुद्दे की संवेदनशीलता का अंदाजा इस तरह लगा सकते हैं कि यूपी में मुख्य विपक्ष की भूमिका अदा कर रहे पूर्व सीएम और समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव भी यह खुलकर नहीं कह सकते हैं कि उनकी सरकार आने के बाद अवैध बूचड़खाने को वो बंद करा देंगे या पशु तस्करी को छूट मिल जाएगी। जरूरत ये है कि इस समस्या के व्यवहारिक समाधान का कोई भी दल समाधान बताना हुआ दिखाई नही देता। अखिलेश यादव ने कहा था कि वो सरकार में आने के बाद सांड़ के हमले में मरने वालों के परिजनों के लिए 5 लाख क्षतिपूर्ति की व्यवस्था करेंगे। दरअसल सांड़ से मरने की नौबत ही क्यों आए इस मुद्दे पर वो बात करते तो आम जनता की परेशानी का कुछ समाधान निकलता।
इस समय आवारा पशुओं की संख्या में रोजाना ही इजाफा हो रहा है। इससे जनता आवारा पशुओं की समस्या से त्रस्त है।
प्रदेश सरकार ने प्रत्येक जिलाधिकारी को अतिरिक्त गौशालाएं खोलने के लिए ऐलान भी किया है ।अब आप समझ सकते हैं कि गौशाला का क्या एक बड़ा कमरा बनवाना भी बिना कमीशन के सम्भव है।IMG-20220519-WA0017.jpg
उत्तर प्रदेश सरकार ने आवारा मवेशियों पर करोड़ खर्च कर दिए पर प्रदेश में आम जनता और किसान अभी भी इनके चलते त्रस्त हैं। 2017 से अब तक बेसहारा मवेशियों के लिए यूपी सरकार ने कई कदम उठाए हैं जैसे गौशालाएं, गौसंरक्षण केंद्रों का निर्माण आदि। इसके लिए छुट्टा गोवंश के रखरखाव के मद पर सहायता अनुदान के तौर पर भी कई करोड़ रुपए का प्रावधान किया। राज्य के बजट डॉक्यूमेंट बताते हैं कि यह राशि खर्च भी हो गई, इतना सब होने के बावजूद समस्या जस की तस है और यह भी कह सकते हैं कि बढ़ी है। दरअसल जब तक व्यवहारिक योजनाएं नहीं बनेंगी समस्या का समाधान नहीं होता है। सरकारी योजनाओं के पैसे की बंदरबांट होती है। यूपी में सरकार एक गाय पर प्रतिदिन के हिसाब से रुपए देती है, जिसमें उसका चारा, उनके रहने के लिए टिन शेड, पीने के पानी की व्यवस्था भी शामिल है। इतने में सरकारी अधिकारियों को कमीशन भी देना भी जोड़ लीजिए तो गाय के लिए क्या बचता होगा इसे आसानी से समझा जा सकता है।

झोलाछापों पर लगेगा प्रतिबंध
झोलाछाप चिकित्सकों के बाद अब योगी सरकार प्रदेश में पशु चिकित्सा के कार्य में लगे झोलाछापों पर शिकंजा कस रही है इसके लिए उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद तैयार है। अब बिना डिग्री के कोई भी पशुओं की भी चिकित्सा नहीं कर पाएगा।

चिकित्सा कार्य करने वाले बिना डिग्री वाले झोलाछापों पर तो सरकारी कार्रवाई का प्रावधान पहले से ही है, अब उत्तर प्रदेश सरकार पशु चिकित्सा के लिए गांवों में काम कर रहे झोलाछापों पर भी कार्रवाई कर रही है। मकसद है पशुओं की चिकित्सा भी डिग्री धारक पशु चिकित्सक ही करें। इसके लिए उत्तर प्रदेश पशु चिकित्सा परिषद तैयार है। झोलाछाप पशु चिकित्सकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए के लिए पूरी तरह से कमर कसने के काम है फिर बिना डिग्री के कोई भी पशुओं की भी चिकित्सा नहीं कर पाएगा।
प्रदेश में आवारा पशुओं की बढ़ी समस्या का एक बड़ा कारण झोलाछापों की ओर से गलत तरह से किया जाने वाला इलाज भी है। ऐसे में, अगर झोलाछापों की चिकित्सा पर प्रतिबंध लगने से अवारा पशुओं की समस्या में भी कमी आएगी।
जहां एक और प्रदेश सरकार की तरफ से आवारा पशुओं के लिए विशेष योजना बनाकर अभियान चलाया जा रहा है, वहीं दूसरी ओर पशु चिकित्सक प्रदेश सरकार की इस पहल को पलीता लगाने का काम कर रहे हैं। पशु चिकित्सक केवल आवारा पशुओं को टैग लगाने पर ज्यादा पर ध्यान दे रहे हैं, उनकी देखभाल करने पर नहीं। उनकी बीमारियों के प्रति पशु चिकित्सकों का ज्यादा ध्यान नहीं है। जिसके कारण कई आवारा पशुओं की मौत हो जाती है। कई-कई दिन तक आवारा पशुओं में इन्फेक्शन होने के कारण और उनकी सही तरीके से देखभाल ना होने व उपचार सही रूप में ना मिलने के कारण उनकी दर्दनाक मौत हो जाती है। जोकि एक विशेष धर्म की आस्था के साथ खिलवाड़ है। सरकार व जिले के जिम्मेदार अधिकारियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और ऐसे पशु चिकित्सकों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जानी चाहिए जो पशुओं का सही रूप में उपचार ना देते हो, उनकी देखरेख ना करते हो और अपना कर्तव्य न समझते हों।

गौ सेवक विशाल पंडित ने बताया कि प्रदेश सरकार आवारा पशुओं के प्रति चिंतित है, अस्थाई रूप से गौशालाओं का निर्माण कराकर उनके रहने व खाने पीने की व्यवस्था में निरंतर प्रयास कर रही है। लेकिन कुछ अधिकारी उसमें लीपापोती कर रहे हैं जो कि प्रदेश सरकार की शैली को धूमिल करना चाहते हैं। हाथरस नगर पालिका के चेयरमैन आशीष शर्मा द्वारा भी अस्थायी गौशाला बनाकर आवारा पशुओं की देखभाल की जा रही है और उनको अधिकतर सुविधाएं दिलाने में भी आशीष शर्मा निरंतर प्रयास में लगे रहते हैं।
ऐसे लोगों पर भी अब शिकंजा कसा जा रहा है जोकि अपने पालतू पशुओं को छोड़ देते हैं उनकी छानबीन कर उन पर जुर्माना लगाया जा रहा है और उनको हिदायत दी जा रही है कि अगर दोबारा ऐसा किया तो सख्त कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

जतिन वर्मा ने कहा कि सड़कों पर आवारा पशु घूमते रहते हैं जिसके चलते राहगीरों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। कभी-कभी सड़कों पर आपस में आवारा पशु लड़ते हैं जिसके चलते कई राहगीर घायल हो जाते हैं और कभी कभी किसी की मौत भी हो जाती है। सरकार और अधिकारियों को इस ओर गंभीरता से ध्यान देना चाहिए और जल्द से जल्द आवारा पशुओं के लिए अधिक से अधिक अस्थाई गौशालाओं का निर्माण कराना चाहिए।

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डीएम को इस खबर का संज्ञान लेना चाहिए और किसानों की समस्याओं का समाधान करना चाहिए