ग्रामवासियों ने उठाई सरकार से मांग स्वतंत्रता सेनानियों के नाम से बनबाया जाए पार्क।

in #hathras2 years ago

हाथरस-हमारे देश की आजादी को मिले 75 वर्ष हो चुके हैं और सारा राष्ट्र आजादी की लड़ाई के योद्धाओं के प्रति सम्मान प्रदर्शित करने के लिए इस वर्ष आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है। यह समय उत्सव के साथ साथ उन लोगों की याद करने का भी है जिन्होंने आजादी के लड़ाई में अपना योगदान दिया और देश के प्रति समर्पित हो गए उन्हीं में से एक नाम ठाकुर राम सिंह का भी है जिनका जन्म सन 1912 ईस्वी में हाथरस जनपद के ग्राम शेखुपुर अजीत के एक किसान परिवार में हुआ था इनके पिता का नाम गुलाब सिंह था।
राम सिंह के जन्म के समय से पूर्व ग्राम शेखुपुर अजीत स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ रहा। मुंशी गजाधर सिंह और ठाकुर मलखान सिंह के संपर्क में आकर इस गांव के सबसे अधिक लोग स्वतंत्रता संग्राम में कूद पड़े मुंशी गजाधर सिंह इसी गांव के विद्यालय में अध्यापन कार्य किया करते थे और युवाओं में अपनी आजादी की लड़ाई के लिए चेतना जागृत करते थे। उन्हीं के संपर्क में आकर ठा. राम सिंह आजादी के इस आंदोलन में भाग लेने का दृढ़ निश्चय किया तथा गांव के ऐसे युवा लोगों का संगठन तैयार किया जो आस-पास के गांव में जाकर भी सभाएं करते तथा आजादी के लिए जनचेतना जागृत करते। इसी क्रम में ग्राम बघराया, ग्राम कौमरी जैसे बड़े बड़े गांव में आजादी के दीवानों ने इतनी पकड़ बना ली थी कि पुलिस और उनके मुखबिर लाख कोशिश करने के बावजूद भी आसानी से इनका पता नहीं लगा पाते थे और यह गांव के ही खेत- खलिहान में रहकर वहां से अपनी आजादी की लड़ाई का संचालन करते थे।
इसी क्रम में ठा. राम सिंह को ग्राम शाहगढ़ में एक सभा करते हुए अंग्रेजों द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया तथा राष्ट्रीय स्तर पर गांधीजी और लॉर्ड इरविन के मध्य 1931 में हुए समझौते के आधार पर इन्हें जेल से रिहा किया गया। उसके बाद भी अंग्रेजी कपड़ों की होली जलाना, असहयोग आंदोलन तथा राष्ट्रीय स्तर पर चलाए जा रहे विभिन्न आंदोलनों में ठा.राम सिंह और उनके युवा साथी समय-समय पर अंग्रजी सरकार द्वारा गिरफ्तार किए गए और उन्हें अर्थदंड भी देना पड़ा। आजादी के योद्धाओं की बदौलत वर्ष 1947 में देश को आजादी मिली।

फिर आजादी के बाद उस समय की ग्राम पंचायत जिसमें गांव शेखुपुर अजीत ,ठूलई ,हीरापुर, चंदनपुर सहित चार गांव को मिलाकर एक प्रधान बनाया जाता था तब गांव की समस्त जनता ने मिलकर उन्हें निर्विरोध ग्राम प्रधान बनाया और 15 वर्षों तक वह निर्विरोध इस पद पर बने रहे।
सरकार द्वारा आजादी के 25 वर्ष पूरे होने पर तत्कालीन केंद्रीय मंत्री ने ताम्रपत्र देकर सम्मानित किया और इन्हें पेंशन प्रदान की गई ।IMG-20220811-WA0016.jpg
परिवार में वह अपनी पत्नी तुलसा देवी पुत्र अमरपाल सिंह , बृजपाल सिंह और पुत्री इंद्रावती देवी को छोड़कर आप वर्ष 1984 में स्वर्गलोक को प्रस्थान कर गए और उनका परिवार आज भी गांव में रहकर कृषि कार्य में लगा हुआ है। इस गांव के 12 लोगों को स्वतंत्रता संग्राम सेनानी की पेंशन मिलती थी यह गांव स्वतंत्रता सेनानियों का गढ़ होने के कारण यहां के ग्रामवासियों की सरकार से मांग है कि यहां से स्वतंत्रता सेनानियों पार्क बनवा कर उनके नाम का एक शिलालेख लगवाया जाए।