सावन आया रे मन को पावन करने सावन आया रे डॉ रश्मि चौबे
"सावन आया रे"
मन को पावन करने, सावन आया रे।
शिव - गौरा के आशीर्वाद से, मन को शांत करने आया रे,
माटी की सुगंध से , मन को हंर्षाने आया रे,
हरियाली के पावन पर्व पर, मन को रंग जाने आया रे,
श्रंगारों से सजी सखियों संग, नाच नचाने आया रे,
सावन आया रे, सावन आया रे।
तपती धरती की प्यास बुझाने आया रे,
झर-झर करती बूंदों से नहलाने आया रे,
टिप - टिप करती बूंदों में कागज की नाव चलावाने आया रे,
भाई को बहनों की याद दिलाने आया रे,
देखो - देखो साजन को सजनी से मिलाने आया रे,
सावन आया रे, सावन आया रे।
सोलह श्रृंगार कर , सखियों संग झूला झुलाने आया रे,
भैया को राखी बंधवाने आया रे,
घेवर और चाट पकौड़ी का आनंद दिलवाने आया रे,
सावन आया रे , सावन आया रे।
हे हरियाली ऐसे अओ रे,
जग में फूलों संग, शान्ति भरजाओ रे,
चर और अचर को, समृद्ध कर जाओ रे।
सावन आया रे, सावन आया रे।
डॉ.रश्मि चौबे, गाजियाबाद , उत्तर प्रदेश, भारत